- मंदिर का मुक्तेश्वरनाथ नाम इसके बगल में मुक्तिधाम होने के कारण पड़ा

- श्रावण मास के हर सोमवार को यहां शिव भक्तों का उमड़ता है जन सैलाब

GORAKHPUR:

श्रावण मास का दूसरा पावन सोमवार आज है। गोरखपुर शहर के शिवालयों में भोले की भक्ति के लिए श्रद्धालु उमड़ेंगे। शहर के प्रसिद्ध शिवालयों की यदि बात करें तो राप्ती नदी के तट पर स्थित मुक्तेश्वरनाथ मंदिर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का मुक्तेश्वर नाम इसके बगल में मुक्तिधाम होने के कारण पड़ा। श्रावण मास में यहां शिव भक्तों का सैलाब उमड़ता है। श्रावण मास पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं।

मुक्तेश्वरनाथ की ये है मान्यता

ऐसी मान्यता है कि 400 वर्ष पूर्व यहां घना जंगल हुआ करता था। एक बार बांसी स्टेट के राजा यहां शिकार करने आए और जंगल में शेरों ने उन्हें घेर लिया। जान संकट में फंसी देखकर राजा ने अपने इष्टदेव भगवान शिवशंकर को याद किया। चमत्कार हुआ और शेर वापस लौट गए। इसी स्थान पर राजा ने भगवान का मंदिर बनवाने का संकल्प लिया। उनके आदेश पर महाराष्ट्र निवासी बाबा काशीनाथ ने यहां मंदिर की स्थापना कराई। काशीनाथ नौसड़ के बगल में स्थित पेवनपुर निवासी यदुनाथ उपाध्याय को मंदिर का कार्यभार सौंपकर तीर्थाटन के लिए चले गए। तब से उन्हीं के परिवार के लोग मंदिर की देखरेख करते आए हैं। पुजारी यदुनाथ के बाद स्व। शिवपूजन और वर्तमान में मुख्य पुजारी रमानाथ उपाध्याय मंदिर की देखभाल कर रहे हैं।

श्रावण मास में हर सोमवार को लगती है श्रद्धालुओं की भीड़

मुख्य पुजारी रमानाथ उपाध्याय ने बताया, आम दिनों में मंदिर में प्रतिदिन सुबह सात बजे और शाम को आठ बजे आरती होती है। शिवरात्रि के दिन यहां रात्रि जागरण होता है। रात में 9 बजे, 12 बजे, भोर में 3 बजे और सुबह 6 बजे आरती होती है। लोग बाबा की पूजा के बाद जलाभिषेक कर मेले का लुत्फ उठाते हैं।

मंदिर में होते हैं विभिन्न अनुष्ठान

पुजारी रमानाथ उपाध्याय ने बताया- संतान प्राप्ति एवं आरोग्यता के लिए साधक यहां आकर अनुष्ठान आदि कराते हैं। पहले केवल भगवान शिव का मंदिर था, बाद में हुए नवनिर्माण के बाद यहां शिव परिवार, मां दुर्गा, हनुमान जी की भी प्रतिमाएं स्थापित की गईं। आज भी यहां प्राचीन कुआं और पीपल वृक्ष शिवभक्तों के श्रद्धा का केंद्र हैं।

दूसरे सोमवार को महत्व

Posted By: Inextlive