उमस ने किया तंग, डाइजेशन की बढ़ी प्रॉब्लम
- मौसम की उठापटक से बच्चों में बढ़े डायरिया के केसेज
- इंफेक्टेड फूड और पानी बन रहा है सबसे बड़ी वजह - खुद न बने डॉक्टर, एंटी बायोटिक न देकर ओआरएस और जिंक का करें इस्तेमालGORAKHPUR: मौसम की मार ने जहां एक तरफ लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। वहीं दूसरी ओर बैक्टीरिया और वायरस के लिए फेवरेबल कंडीशन पैदा कर दी है। नतीजा, अब लोग डाइजेशन के साथ ही डायरिया के भी शिकार हो रहे हैं। इसकी जद में सबसे ज्यादा 'नन्हीं जानें' आ रही हैं, जिन्हें वायरल ग्रोथ की वजह से लूज मोशन और उल्टी की शिकायत हो रही है। हालत यह है कि इस वक्त डायरिया से पीडि़त लोगों की तादाद आम दिनों के मुकाबले तीन गुनी बढ़ चुकी है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मगर कोविड पेनडेमिक की वजह से लोग ज्यादातर अपने डॉक्टर्स से फोन पर ही से सलाह ले रहे हैं।
ब्लडेड डायरिया के भी केसअब तक डॉक्टर्स के पास जो केसेज आ रहे थे, उनमें 20 फीसद डायरिया के केस शामिल थे। मगर उमस बढ़ने के साथ ही डायरिया के मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ गई है। डॉक्टर्स के पास आने वाली कॉल्स में सबसे ज्यादा इन डाइजेशन के मरीज हैं। वहीं डायरिया के केस भी शामिल हैं। इनमें से भी सबसे ज्यादा ब्लडेड डायरिया के केस हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स की मानें तो जिस तरह से इन दिनों टेंप्रेचर है, ऐसे कंडीशन में यह केसेज और भी बढ़ सकते हैं।
फास्ट फूड से आती है शिकायत सीनियर पिडियाट्रिशियन डॉ। अरुण गर्ग की मानें तो कुछ लोगों को फास्ट फूड आदि खाने पर डायरिया की शिकायत हो जाती है। इसमें ज्यादातर प्रोटीन कंटेनिंग फूड के साथ ही सी-फूड शामिल हैं। ऐसे कंडीशन में उन्हें वह फूड न ही दिया जाए, तो बेहतर होगा। सिर्फ डिहाइड्रेशन से बचाना ही सॉल्युशन डॉ। अरुण गर्ग की मानें तो पेशेंट को डिहाइड्रेशन से बचाया जाए तो डायरिया की प्रॉब्लम नहीं आएगी। इसके लिए उसे जिंक के साथ ही ओआरएस का घोल देते रहे। ह्यूमन बॉडी में एंटीबॉडीज होती हैं, जो इन वायरस से लड़ने के लिए काफी मददगार होती है। हां, थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है। अगर किसी को डायरिया हुआ है, तो वह बजाए एंटीबायोटिक खाने के सिर्फ जिंक और ओआरएस ले, तो वह ठीक हो जाएगा। बच्चों के लिए मां का दूध बेस्टछोटे बच्चों की बात की जाए, तो मां के दूध में बैक्टीरिया से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज मौजूद रहते हैं, जो डायरिया को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं। इसलिए मदर फीडिंग ही उनके लिए बेस्ट ऑप्शन हैं। डॉ। गर्ग ने बताया कि कुछ ऐसे केसेज सामने आए हैं, जिसमें कमजोर और समय से पहले पैदा हुए बच्चों की आंत सड़ गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह बाहर या अंदर सोर्स से दूध पिलाना है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
यह है वजह - - बैक्टीेरिया - वायरस - फूड एलर्जी - गंदा या इंफेक्टेड पानी - बच्चों को बॉटल फीडिंग - इंफेक्शन ऐसे करें बचाव - - हाईजीन मेनटेन रखें। - खुले खाने का इस्तेमाल न करें। - खाना ज्यादा देर तक रखकर न खाएं। - साफ पानी ही पीएं। - डायरिया होने पर ओआरएस का घोल और जिंक लेते रहें। - खुद से एंटीबायोटिक न लें। - पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी न होने दें। डायरिया खुद ही दो-तीन दिन में ठीक हो जाता है। यह अनहाईजेनिक फूड और पॉल्युटेड वॉटर की वजह से होता है। इस बीमारी से ग्रसित पेशेंट ओआरएस का घोल और जिंक की गोली ले। तथा तत्काल एंटीबायोटिक का इस्तेमाल न शुरू कर दें। - डॉ। अरुण गर्ग, सीनियर पिडियाट्रिक सर्जन