- दिवाली में वेरी पुअर कंडीशन में पहुंचा एक्यूआई, बारिश से थोड़ी राहत

- मॉडरेट जोन में पहुंच चुका है गोरखपुर का पॉल्युशन, फॉगी वेदर में और बढ़ने की संभावना

GORAKHPUR: दिल्ली में पॉल्युशन की मार से जिंदगी बेहाल है। वहीं ठंड और कोहरा बढ़ने के साथ ही हालात और खराब होते जा रहे हैं। खुली हवा में सांस लेना दूभर हो गया है। गोरखपुर भी फिलहाल हालात काबू में हैं, लेकिन आने वाले दिनों में पॉल्युशन का लेवल यहां की आबोहवा को भी नुकसान पहुंचा सकता है। पिछले कुछ दिनों से मौसम के रुख में आए जबरदस्त बदलाव की वजह से पॉल्युशन का खतरा अब बढ़ने लगा है। एटमॉस्फियर की नमी पॉल्युटेंट को ऊपर नहीं जाने दे रही है, जिससे कि वह भी अब नीचे डेरा जमाने लगे हैं। इसका असर यह है कि जहां गीडा में लोगों के लिए सांस लेना भी दूभर चुका है, वहीं कॉमर्शियल एरिया के हालात भी राहत देने वाले नहीं हैं। अगर कोहरा बढ़ा और गाडि़यों की आवाजाही यूं ही बढ़ती गई, तो आने वाले दिन और भी खतरनाक होने वाले हैं।

दिवाली में अचानक उछाल

मौसम में मौजूद नमी की वजह से दिवाली से पहले ही पॉल्युशन का लेवल धीरे-धीरे बढ़ने लगा। दिवाली के दिन तो पॉल्युशन लेवल में अचानक बड़ा उछाल देखने को मिला, लेकिन इसके बाद हुई रिमझिम बरसात ने काफी राहत दी और पर्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड कॉसंट्रेशन के साथ एयर क्वालिटी इंडेक्स भी नीचे आ गया। इससे फौरी तौर पर लोगों को थोड़ा राहत जरूर मिली, लेकिन जैसे-जैसे नमी बढ़ रही है, एटमॉस्फियर में मौजूद पॉल्युटेंट नीचे आ रहे हैं, इससे आने वाले दिनों में मुसीबत बढ़नी तय है।

अक्टूबर से ही बढ़ने लगी परेशानी

मौसम का रुख अक्टूबर से ही बदलना शुरू हो गया था, इस दौरान रेसिडेंशियल, कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल एरियाज में एयर क्वालिटी मॉडरेट जोन में पहुंच गई थी। इन सभी एरियाज में रहने वाले लोगों को सांस लेने में मुश्किलें पेश आने लगीं थी, जबकि लंग और हार्ट डिजीज के मरीजों की तादाद बढ़ गई। वहीं बच्चों और दमा अस्थमा से पीडि़त बुजुर्गो को भी हॉस्पिटल का रुख करना पड़ा। तबसे यह परेशानी अब कई गुना बढ़ चुकी है। पॉल्युटेंट निचली सतह पर हैं, जिसकी वजह से परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं कंस्ट्रक्शन वर्क की वजह से मुश्किलें दोगुनी हो जा रही हैं।

लिमिट क्रॉस, तो मुश्किलें बढ़ी

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन को हम इनहेल करते हैं, जिससे हमारी सांसे चलती हैं। इसमें तरह-तरह के पॉल्युटेंट मौजूद होते हैं। इसमें एक लिमिट तक तो प्रॉब्लम नहीं होती, लेकिन जैसे ही लिमिट क्रॉस होती है, मुश्किलें बढ़ने लगती हैं। एयर क्वालिटी इनडेक्स (एक्युआई)इसी का मानक है। इसमें अगर किसी जगह का एक्युआई 50 या उससे कम है, तो इसका काफी थोड़ा असर ह्यूमन बींग पर पड़ता है, लेकिन जैसे-जैसे एक्युआई बढ़ता है, मुसीबत भी बढ़ जाती है।

गीडा में एक्युआई 297

साइंटिफिक असिस्टेंट एनवायर्नमेंट सत्येंद्र नाथ यादव ने बताया कि गोरखपुर की बात करें तो इस वक्त कॉमर्शियल, इंडस्ट्रियल और रेसिडेंशियल तीनों जगह का एक्युआई बढ़ा है। दिवाली के दिन इसमें काफी उछाल आया था। इसमें सबसे ज्यादा मुश्किल इंडस्ट्रियल एरिया गीडा में है, जहां एक्युआई 297 पहुंच चुका है। हालांकि बारिश होने की वजह से अगले दिन ही लोगों को काफी राहत मिली है और पॉल्युशन लेवल थोड़ा नीचे आ गया है। कॉमर्शियल एरिया में भी यह 199 यानि मॉटरेट क्वालिटी में है, जो कि पुअर क्वालिटी की ओर बढ़ रहा है। रेसिडेंशियल एरिया की कमो-बेश यही स्थिति है।

दिवाली में यह रहे हालात

दिवाली से पहले फ‌र्स्ट वीक - 2 नवंबर को

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

इंडस्ट्रियल 327.13 19.57 36.42 277

पैरामीटर्स एंड इफेक्ट्स -

0-50 - मिनिमम इंपैक्ट

51-100 - सेंसिटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ा प्रॉब्लम

101-200 - लंग, हर्ट पेशेंट के साथ बच्चों और बुजुर्गो को सांस लेने में दिक्कत

201-300 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने में प्रॉब्लम

301-400 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस की बीमारी

401 या ऊपर - हेल्दी लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत, रेस्पिरेटरी इफेक्ट

मॉर्निग वॉकर्स रहें सावधान -

दमा और अस्थमा वालों को परेशानी

मौसम के इस उठा-पटक भरे रुख की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी दमा और अस्थमा का शिकार हुए मरीजों को हो रही है। इस वक्त मौसम में फ्लक्चुएशन काफी ज्यादा होता है। ऐसे में फॉग और दबाव ज्यादा होने से पॉल्युटेंट सीधे अटैक कर रहे हैं और रेस्पीरेटरी ऑर्गन में इंफेक्शन के चांसेज काफी बढ़ गए हैं। इस समय सबसे ज्यादा प्रॉब्लम जॉगर्स और मॉर्निग वाकर्स को हो सकती है। यह समय ऐसा है जब ओस गिर रही है। इस दौरान खुले सिर बाहर टहलने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इसलिए अगर आप भी मॉर्निग वार्कर हैं या फिर हेल्थी-वेल्दी होने के लिए जॉगिंग कर रहे हैं, तो आप घर को ही इसके लिए ठिकाना बनाए और बाहर निकलकर एक्सरसाइज करना अवॉयड करें, वरना आपकी थोड़ी सी भी लापरवाही आपको काफी बीमार बना सकती है।

क्या बरतें सावधानी

- पूरे शरीर को ढंक कर चलें जिससे म्वाइस्ट एयर न कॉन्टैक्ट होने पाए

- धूप निकलना शुरू न हो जाए तब तक बाहर निकलना अवाइड करें।

- ढके बदन और नाक मुंह पर कपड़ा बांधकर ही वॉकिंग के लिए जाएं।

- सिर को ढंक कर निकलें।

- गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट पहने जिससे दोनों ही कंडीशन में बचा जा सके।

- कोई प्रॉब्लम हो रही है, तो चिकित्सक की सलाह लें।

- बच्चों को खुले में न टहलाएं और कवर किए रहे।

यह होती है प्रॉब्लम

- एलर्जी

- फीवर

- नाकों में जलन

- वायरल इंफेक्शन

- मिजल्स

- वूफिंग कफ

- स्किन रैशेज

- खुजलाहट

टेंप्रेचर डिफरेंस और नमी लोगों को बीमार कर रही है। नमी की वजह से पॉल्युटेंट आसमान में ऊपर नहीं जा पा रहे हैं, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ रही है। मास्क का इस्तेमाल करें और ठंडी चीजों से परहेज करें। ऐसा न करने में परेशानी बढ़ सकती है। जो दमा और अस्थमा के पेशेंट हैं, वह रेग्युलर दवा लें।

- वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट

पॉल्युटेंट का लेवल अब बढ़ने लगा है। सर्दी के मौसम में यह ज्यादा हो जाता है। इसलिए अब जितना पॉसिबल हो सके, पॉल्युशन कम फैलाएं और बजाए पॉल्युशन का उपाय करने के फोकस इस बात पर हो कि पॉल्युशन कैसे न फैले? तभी इस प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। आने वाले कुछ महीने इस लिहाज से काफी सेंसिटिव हैं।

- डॉ। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट

आवासीय 096.68 01.59 05.02 97

कॉमर्शियल 174.36 05.05 13.08 150

इंडस्ट्रियल 266.01 17.14 29.69 216

दिवाली के दिन - 14 नवंबर की रात 8 से 15 नवंबर की रात 8 बजे तक

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 134.23 2.09 05.81 123

कॉमर्शियल 248.37 07.01 19.27 199

इंडस्ट्रियल 346.54 24.48 42.29 297

दिवाली के बाद - 16 नवंबर की सुबह 6 से 17 नवंबर की सुबह 6 बजे तक

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 113.36 1.95 5.27 109

कॉमर्शियल 201.23 6.27 15.41 167

Posted By: Inextlive