अब जेल जैसी लगने लगी जेल
- कोरोना संक्रमण के कारण ठप है मुलाकात
- इमरजेंसी में पीसीओ से परिजन करते बातचीत कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जेल में बंदियों से मुलाकात का सिलसिला ठप है। 31 अगस्त तक बंदियों के परिजन मुलाकात नहीं कर सकेंगे। लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही जेल में बंदियों से मुलाकात पर रोक लगा दी गई थी। करीब पांच माह से बंदी अपने घरवालों को चेहरा नहीं देख सके हैं। इसलिए बंदियों को अब जेल भी जेल की तरह लगने लगी है। जेल अधिकारियों का कहना है कि बंदियों के लिए आवश्यक सामान जांच और सेनेटाइजेशन के बाद पहुंचाए जा रहे हैं। अगले आदेश तक बंदियों से मुलाकात ठप रहेगी। पांच माह से मुलाकात ठप, नहीं देखा घर वालों का चेहराकोरोना संक्रमण के फैलने के बाद जेल में बंदियों से मुलाकात पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई। इस दौरान कुछ बंदियों को आठ हफ्ते के लिए पैरोल पर छोड़ा गया। बाद में उनके जेल से बाहर रहने की अवधि बढ़ती रही। उधर, जेल में परिजनों से मुलाकात रोक लग गई। इस कारण बंदी और उनके घर वालों की मुलाकात थम गई। कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए मुलाकात बंद हुए करीब पांच गुजरने को हैं। इससे बंदियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। आम दिनों में हर हफ्ते बंदियों से उनके परिजन नियमानुसार दो बार मुलाकात कर लेते थे। इस दौरान बंदियों और परिजनों को बातचीत के लिए काफी समय मिल जाता था। बंदियों से मिलने पहुंचे परिजन आवश्यक सामान भी पहुंचा देते थे। लेकिन संक्रमण के कारण बंदियों का सामान पहुंचने में भी प्रॉब्लम आ रही है। एक माह से जेल प्रशासन ने बंदियों का सामान उन तक भेजने का इंतजाम किया है। बंदियों तक जाने वाले सामानों की बाकायदा जांच पड़ताल की जाती है। फिर उसे एक दिन स्टोर कर रखा जाता है। सेनेटाइजेशन के बाद बंदी रक्षक ही सामान को बैरक तक पहुंचाने में सहयोग करते हैं। इस व्यवस्था से भी बंदियों को पूरी राहत नहीं मिल पा रही। पीसीओ के जरिए बंदियों के परिजनेां से बातचीत कराने का प्रबंध भी जेल प्रशासन ने किया है। लेकिन अति आवश्यक होने पर ही बंदी बातचीत कर पाते हैं।
जेल में कुल बंदी सजायाफ्ता पुरुष 139 महिलाएं 13 कुल 152 महिलाओं के साथ बच्चे 06 अस्थाई जेल में कुल बंदी 101बाल अपचारी 64
विदेशी बंदी 06 विचाराधीन बंदी पुरुष 1315 महिलाएं 80 अल्पव्यस्क 86 वर्जन कोरोना संक्रमण को देखते हुए बंदियों की उनके परिजनों से मुलाकात पर रोक लगाई है। लेकिन जेल में बंदियों को मैन्युअल के अनुसार सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। आवश्यकता पड़ने पर पीसीओ के जरिए उनकी बातचीत परिजनों से कराई जाती है। डॉ। रामधनी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक