रविवार शाम 5 बजे के बाद रामगढ़ताल थाने का नजारा बदला हुआ था. बाहर से लेकर भीतर तक पुलिस ही नजर आ रही थी. करीब 200 मीटर का दायरा छावनी बन चुका था. थाने के सामने से गुजरने वाला हर शख्स भौंचक हुआ थाने के बाहर जमा भीड़ पर नजर गड़ाता. फिर पूछ बैठता कि क्या हुआ है... अच्छा जगत नारायण अक्षय मिश्रा पकड़ लिए गए हैं. बताइए यह भी दिन आ गया. इसी थाने में ऑर्डर चलाते थे. वहीं मुल्जिम बन गए. इतना कहकर लोग आगे बढ़ जाते थे.


गोरखपुर (ब्यूरो)। थाने के पास जमा भीड़ में कुछ ने कभी इंस्पेक्टर से मदद ली दी थी। तो कुछ ऐेसे भी थे जिनका इंस्पेक्टर ने कुछ नुकसान किया था। सभी अपने-अपने नजरिए से अलग-अलग बातें कहते रहे। इस दौरान रात के नौ बजे तक गुजरने वाले राहगीर अपनी गाडिय़ों में ब्रेक लगाकर एक बार यह जानने की कोशिश करते थे कि आखिर भीतर क्या चल रहा है। आगे अब क्या होने वाला है। रामगढ़ताल थाना के एसएचओ आफिस में ही जगत नारायण सिंह और अक्षय मिश्रा से घंटों पूछताछ चलती रही। थाने में मौजूद दरोगा, दीवान और अन्य कर्मचारी भी प्रक्रिया में शामिल रहे। बतौर एसएचओ तैनात रहे जगत नारायण को जो दरोगा रोज सलाम ठोंकते थे। वही दरोगा और कांस्टेबल गिरफ्तारी पर जेल पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी करते रहे। जगत नारायण और अक्षय मिश्रा को अपने थाने में अरेस्ट देखकर वहां तैनात पुलिस कर्मचारियों के मायूसी छाई रही। मनीष मर्डर कांड में आरोपित एक लाख रुपए के इनामी इंस्पेक्टर जगत नारायण और अक्षय मिश्रा की गिरफ्तारी से सीनियर अफसरों को बड़ी राहत मिली। घटना के बाद से ही गोरखपुर पुलिस लगातार फजीहत हो रही थी। एसएसपी के निर्देश पर शनिवार को रवाना हुई आठ टीमों में एसएचओ बांसगांव राणा देवेंद्र प्रताप सिंह की टीम को बड़ी कामयाबी मिली। रविवार शाम पांच बजे पुलिस ने आरोपित जगत नारायण और अक्षय मिश्रा को दबोच लिया। घटना में मुख्य आरोपित दोनों को माना जा रहा है। उनको अरेस्ट करके गोरखपुर पुलिस ने अपने माथे लगे कलंक को धोने का प्रयास किया है। विजय ने दी हाईकोर्ट में अर्जी, घर पर नहीं राहुल दुबे मर्डर कांड में फरार चल रहे सब इंस्पेक्टर विजय यादव ने हाईकोर्ट में सरेंडर की अर्जी दी है। वह लगातार इस कोशिश में जुटा रहा कि किसी तरह से उसे राहत मिल जाए। लेकिन अवकाश की वजह से उसके अरमान पूरे नहीं हो सके। विजय ने यह दावा किया है कि वह सीसीटीवी फुटेज में कहीं नहीं नजर आ रहा है। उधर आरोपित एसआई राहुल दुबे की तलाश में कानपुर एसआईटी, वाराणसी एटीएस की टीम उसके मिर्जापुर देहात कोतवाली स्थित मिश्र पेचरी पहुंची, लेकिन उसके बारे में जानकारी नहीं मिली। पुलिस की अलग-अलग टीमें लखनऊ, वाराणसी, गाजीपुर, प्रयागराज लगातार छापेमारी कर रही हैं।


करीब नौ माह पूर्व रामगढ़ताल थाने पर बतौर एसएचओ तैनात हुए जगत नारायण का मैनेजमेंट सिस्टम काफी दुरुस्त था। गिरफ्तारी के बाद यह भी चर्चा रही कि उसने अपने हुनर और अधिकारियों की बीच पैठ का पूरा फायदा उठाया। जगत नारायण को लगा था कि मनीष मर्डर कांड भी हर मामले की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा। लेकिन इंस्पेक्टर यह भूल भारी पड़ी। रविवार की शाम पुलिस कर्मचारियों के बीच यह चर्चा रही कि तैनाती के दौरान जिस दरोगा ने जगतनारायण की बात नहीं मानी। उनकी रिपोर्ट देकर हटवा दिया। अपने मनपंसद लोगों को वह चौकी प्रभारी और कांस्टेबल के रूप में तैनाती कराता रहा। सिपाही से इंस्पेक्टर हुआ हूं, घाट-घाट का पानी पीकर यहां तक पहुंचाजगत नारायण की अपनी शैली है। इंस्पेक्टर अक्सर उन्हीं लोगों को तवज्जो देता रहा, जिनसे उसे फायदे की बात समझ में आई। थाने के लोगों ने बताया कि वह अक्सर कहता रहता था कि सिपाही से इंस्पेक्टर हुआ हूं, घाट-घाट का पानी पीकर यहां तक पहुंचा हूं। वह किसी से भी बेअदबी से पेश आने लगता था। फिल्मी कलाकारों की तरह उसका एक डॉयलाग' ऐ मिस्टर आइ एम इंस्पेक्टर, हू आर यू की भी चर्चा रही। 100 मीटर पर घटनास्थल, तीन सौ मीटर पर गिरफ्तारी

जिस रामगढ़ताल थान में एसएचओ के रूप में जगत नारायण की तैनाती रही। उसी थाने में मुल्जिम बनकर बैठा हुआ था। उसके दफ्तर में ही पूछताछ की गई। थाने से करीब सौ मीटर की दूरी पर घटना हुई थी। करीब तीन सौ मीटर की दूरी पर पुलिस ने अरेस्ट किया। किसी जमाने में अक्षय और जगत नारायण एक साथ कांस्टेबल थे। लेकिन आउट आफ टर्न मिलने से जगत नारायण इंस्पेक्टर हो गया था। जगत नारायण की तैनाती गोरखपुर में वर्ष 2018 में हुई। कानपुर से गोरखपुर आने पर उसे झंगहा थाना का चार्ज मिला। इसके बाद वह गगहा और बांसगांव थाने पर भी रहा। एक मामले में उसे बांसगांव से हटा दिया गया था। बाद में अपने रसूख के बल पर उसने रामगढ़ताल जैसे अहम थाने की कमान पा ली। लाइट बुझाकर की गई पूछताछ शाम पांच बजे पकड़े गए इंस्पेक्टर और एसआई से देर रात तक पूछताछ चलती रही। अधिकारियों की मौजूदगी के दौरान कमरे का परदा पूरी तरह से ढका हुआ था। रात 10 बजे लाइट भी बुझा दी गई। इस दौरान अभियुक्तों का मेडिकल परीक्षण कराने की तैयारी भी चलती रही जिससे गहमा-गहमी बनी रही। कयास लगाया गया कि रात में स्पेशल मजिस्ट्रेट के सामने पेश करके पुलिस उनको जेल रवाना कर देगी। उधर सोमवार को कोर्ट में आरोपित पुलिस कर्मचारियों की पेशी को लेकर भी व्यूह रचना होती रही। रामगढ़ताल थाना के आसपास अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया।

आरपीएफ और जीआरपी में बढ़ी सक्रियता घटना में शामिल दो अभियुक्तों को अरेस्ट करके पुलिस टीमें अन्य चार की तलाश में जुटी है। उनके जीआरपी और आरपीएफ में गिरफ्तारी देने की आशंका में एसएसपी डॉ। विपिन ताडा ने सभी जगहों पर पत्र भेज दिया है। वह ट्रेन से भी कहीं भाग सकते हैं। सोशल मीडिया के जरिए पुलिस, आरपीएफ और जीआरपी के तस्वीरें भी भेजी गई हैं। नेपाल बार्डर के जिलों की पुलिस को भी अलर्ट किया गया है।

Posted By: Inextlive