- देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचे गोरखनाथ मंदिर

-गोरक्षपीठाधीश्वर के बाद चढ़ेगी नेपाल नरेश की खिचड़ी

- खिचड़ी मेले में बच्चे उठाएंगे झूलों का लुत्फ

GORAKHPUR: मकर संक्रांति के मौके पर देश एवं विदेशों से आस्था की खिचड़ी लिए श्रद्धालु गोरखनाथ मंदिर पहुंच चुके हैं। वेंस्डे की मिड नाइट से ही श्रद्धालु के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। थर्सडे की भोर में मंदिर के पट खुलते ही बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। सबसे पहले पूजा-अर्चना के बाद गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाएंगे। उसके बाद नेपाल नरेश की खिचड़ी बाबा के चरणों में अर्पित की जाएगी। खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला पूरे एक माह तक चलेगा।

खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है मकर संक्रांति

मकर संक्रांति मुख्य रूप से सूर्योपासना का पर्व है। इस दिन गोरखनाथ मंदिर सहित देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालु स्नान केसाथ दान-पुण्य करने के लिए जुटते हैं। हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान-दान, जप-होम आदि शुभ कार्यो के लिए अच्छा समय माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस संक्रांति केपुण्यकाल में किया गया दान, दाता को सौगुना होकर प्राप्त होता है। सूर्य देवता इस दिन दक्षिणायण से उत्तरायण होकर विशेष फलदायक हो जाते हैं। शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन बताया गया है। इस दृष्टि से मकर संक्रांति देवताओं का प्रभातकाल सिद्ध होता है। उत्तर भारत में यह पर्व खिचड़ी संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। जबकि दक्षिण भारत में पोंगल, पश्चिम बंगाल में तिलुवा संक्रांति और पंजाब में लोहिड़ी के रूप में मनाने की प्रथा है। वहीं विश्व प्रसिद्घ बाबा गुरु गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी का मेला लगता है। यह मेला एक महीने तक चलता है।

सुरक्षा के लिए है चाक चौबंद व्यवस्था

गोरक्षनाथ मंदिर परिसर में पूरी आस्था के साथ खिचड़ी चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। प्रशासनिक व पुलिस के आलाधिकारियों ने सुरक्षा की कमान संभाल रखी है। मंदिर परिसर की हर गतिविधि को सीसी टीवी कैमरे में कैद किया जाएगा। एक हजार स्वयंसेवक व मंदिर के सेवक श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने और व्यवस्था संभालने के लिए अपना सहयोग दे रहे हैं। भक्तजनों द्बारा खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला दिन-रात चलेगा।

दूसरे स्टेट्स से भी आते हैं श्रद्धालु

नेपाल सहित अन्य देशों के साथ देश की राजधानी दिल्ली, मुंबई, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, पंजाब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने के लिए श्रद्धालु आते हैं। दूर-दराज से आए लोग खिचड़ी चढ़ाने के साथ ही मेले का भी भरपुर लुत्फ उठाते हैं। मंदिर परिसर में विभिन्न प्रकार के झूले, खाजा-खजला, मिठाई और श्रृंगार के साथ अन्य जरूरत के सामानों की दुकानें बरबस ही लोगों को आकर्षित कर रही हैं।

चलती चली आ रही है परंपरा

पौराणिक मान्यता है कि बाबा गुरु गोरक्षनाथ भगवान शिव के अंशज अवतार थे। वह एक बार हिमाचल के कांगण नामक क्षेत्र से विचरण करते हुए जा रहे थे। अभी वह च्वाला देवी के धाम के पास से गुजर रहे थे कि च्वाला देवी ने प्रकट होकर धाम में आतिथ्य स्वीकार करने का आग्रह किया। उनके आग्रह पर ही वह भिक्षा मांगते हुए यहां पर आए और तप करने लगे। तभी से उन्हें खिचड़ी चढ़ाने की परम्परा अनवरत चली आ रही है।

क्या है परंपरा

सांख्य परम्परा का पीठ होने के कारण च्वाला देवी के पीठ में मद्य-मांस का भोग लगता था। गोरखनाथ जी योगी थे, लेकिन मां च्वाला देवी के आग्रह को नकारा नहीं जा सकता था। उन्होंने आग्रह किया कि मां मैं तो मधुकरी (भिक्षा) में जो कुछ प्राप्त होता है, उसी का सेवन करता हूं। च्वाला देवी ने उनसे कहा कि आप भिक्षा मांगकर अन्न ले आइये और मैं चूल्हा जलाकर पानी गरम करती हूं। देवी ने पात्र में पानी भर चूल्हे पर चढ़ा दिया। गोरखनाथ जी भ्रमण करते हुए वनाच्छादित क्षेत्र (वर्तमान गोरखपुर) पहुंचे। त्रेता युग में यह क्षेत्र वनों से घिरा हुआ था। उन्हें यह क्षेत्र तप करने के लिए अच्छा लगा और वह यहीं तप करने लगे। भक्तों ने गुरु गोरखनाथ के लिए कुटिया बना दी। उन्होंने बाबा के चमत्कारी खप्पर (भिक्षा मांगने का पात्र) में खिचड़ी भरना प्रारम्भ कर दिया। यह मकर संक्रांति की तिथि थी। यह खप्पर आज तक नहीं भरा है और तभी से प्रतिवर्ष गोरखनाथ मंदिर में श्रद्धा और आस्था की खिचड़ी चढ़ाने की परम्परा निरंतर चली आ रही है। मकर संक्रांति को भोर में फ् बजे मुख्य मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं। इसके बाद गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ व मंदिर के अन्य पुजारियों द्बारा की गयी आरती के बाद खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

देवी-देवताओं के मंदिर हैं आस्था का केन्द्र

गोरखनाथ मंदिर कैंपस के भीतर अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी लोगों की आस्था का केंद्र है। नाथ सम्प्रदाय के सभी ब्रह्मलीन संतों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे आज भी वह सैकेड़ों वर्षो वषरें से तप कर रहे हैं।

भीम सरोवर करता है आकर्षित

गोरखनाथ मंदिर में बना भीम सरोवर श्रद्धालुओं को काफी आकर्षित करता है। जहां एक तरफ आस्था से ओत-पोत श्रद्घालु बाबा गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। वहीं भीम सरोवर के आसपास का मनोरम दृश्य लोगों के लिए त्रेता युग की गाथा का प्रतीक होने के साथ उनकेमनोरंजन का भी केंद्र है।

योगी ने दी शुभकामनाएं

मकर संक्रांति के महापर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुराइट्स को ढेर सारी शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति महापर्व का भारत के पर्व एवं त्योहारों की परंपरा में एक विशिष्ट स्थान है। इस दिन से सूर्य नारायण उत्तरायण में प्रवेश करते हैं जो हिंदू धर्म और संस्कृति में हर प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्यो को सम्पन्न करने के लिए पुण्य एवं प्रशस्त माना जाता है।

Posted By: Inextlive