- पंजाब के जालंधर से कामगारों को लेकर गोरखपुर पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन

- कामगारों ने बयां किया दर्द, पंजाब सरकार पर खाना और बस की सुविधा न देने का आरोप

GORAKHPUR: यूपी छोड़ हजारों कामगार रोजी-रोटी के लिए परदेस कमाने निकले तो उन्हें लगा कि अब आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी और परिवार खुशहाल होगा। मगर उन्हें क्या पता था कि कोरोना उनके कामकाज के साथ उनकी खुशियां छीनने आ रहा है। लॉकडाउन के बीच पंजाब के जालंधर में हजारों कामगारों पर जब बुरे दिन आए तो वहां की सरकार ने भी किनारा कर लिया। यूपी गवर्नमेंट ने उन्हें वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई तो पंजाब सरकार ने स्टेशन तक आने के लिए एक बस तक का इंतजाम नहीं किया। सैकड़ों लोग तो 150 किमी तक पैदल चलकर ट्रेन पकड़ सके। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम से गुरुवार को जालंधर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए गोरखपुर स्टेशन पहुंचे कामगारों ने ये दर्द बयां किया।

100 किमी पैदल चल पकड़ी ट्रेन

कारपेंटर का काम करने वाले महराजगंज के मूल निवासी विश्वजीत ने बताया कि लॉकडाउन में कामकाज बंद होने से भुखमरी के हालात हो गए थे। मालिक ने भी साथ छोड़ दिया। दिन-रात परिवार की याद आती थी। श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलने की जानकारी मिली तो ट्रेन पकड़ने के लिए पैदल ही 100 किमी की दूरी तय करना पड़ी। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और बच्चों को हुई। साथ ही गोरखपुर पहुंचने के लिए टिकट भी लेना पड़ा। वहीं ट्रेन में बैठना तो दूर की बात खड़े होने तक की जगह नहीं थी।

परीक्षण के नाम पर वसूले पैसे

वहीं जालंधर से लौटे महराजगंज के धानी निवासी अखिलेश, चंद्रेश और शिवपूजन ने बताया कि यूपी गवर्नमेंट ने जबसे श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई है तब से पंजाब में दलालों की चांदी है। उन्होंने मजबूरी का फायदा उठाकर मेडिकल परीक्षण के नाम पर पैसे वसूल लिए। इतना ही नहीं थाने पर फॉर्म जमा कराने और उसे क्लीयर कराने में भी पैसे लिए जा रहे हैं। कामगारों का कहना था कि अपना राज्य छोड़ पंजाब कमाने गए लेकिन वहां के लोग इस दुख की घड़ी में साथ देने के बजाए अपनी जेब भरने में लगे हैं।

स्पेशल ट्रेन से पहुंचे कामगार

- गोरखपुर-बस्ती मंडल के अलावा कई मंडलों के श्रमिक शामिल रहे।

- हर कामगार से लिया गया किराया

- स्टेशन पर पहुंचने के बाद सभी की थर्मल स्क्रीनिंग की गई, साथ ही मास्क दिए गए।

- नाम, पता और आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराने के बाद रोडवेज बसों में मिली इंट्री।

- रोडवेज बसों से उनके गंतव्य तक रवाना किया गया।

- किसी भी यात्री में कोरोना का कोई लक्षण नहीं मिला।

- कामगारों को छोड़ने के लिए रोडवेज की ओर से लगाई गई थीं 400 से अधिक बसें।

कोट्स

चार साल से जालंधर की एक प्राइवेट फैक्ट्री में काम कर रहा था। लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया। मालिक ने भी पैसे देने से इंकार कर दिया। सरकार की ओर से भी सहयोग नहीं मिल रहा था। यूपी सरकार ने ट्रेन चलाई तो घर आने और परिवार के साथ रहने का मौका मिला।

अखिलेश, महराजगंज

सात साल से जालंधर के पठानकोट में कारपेंटर का काम कर रहा था। यहां पर किराया का मकान ले लिया था। मगर लॉकडाउन में कामकाज छूट जाने की वजह से स्थिति खराब हो गई। यूपी सरकार ने हम सभी पर मेहरबानी की है तब जाकर घर पहुंच सका हूं।

विश्वजीत, महराजगंज

Posted By: Inextlive