- जिला अस्पताल के नि:शुल्क डायलिसिस यूनिट में बढ़ी पेशेंट की संख्या

- वेटिंग वाले मरीजों के नाम, पता के साथ टाइम का बनाया जा रहा है शेड्यूल

GORAKHPUR: सर प्लीज मेरे पापा की दोनों किडनी खराब हैं। प्लीज कुछ कीजिए न, एडमिट कर लीजिए। यह गुहार मैत्रीपुरम निवासी रामवीर पिता के इलाज के लिए जिला अस्पताल के नि:शुल्क डायलिसिस यूनिट में करते हुए मिले। रामवीर जैसे दर्जनों अटेंडेंट हैं, जिनके पेशेंट डायलिसिस सेंटर आ रहे हैं। लेकिन बेड न होने की वजह से उन्हें सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। डायलिसिस सेंटर के इंचार्ज की मानें तो इन दिनों मरीजों की संख्या बढ़ने से 50 मरीज वेटिंग में हैं। जिनका नाम, पता और शेड्यूल नोट कर लिया गया है। मशीन खाली होने पर उन्हें कॉल कर डायलिसिस की जाएगी। ऐसे में प्राइवेट हास्पिटल में लोगों का जाना मजबूरी है।

10 बेड की है यूनिट

जिला अस्पताल में 10 बेड की डायलिसिस यूनिट है। दिन-प्रतिदिन जिला अस्पताल में डायलिसिस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। फ्री ऑफ कॉस्ट डायलिसिस होने की वजह से डिमांड ज्यादा है। यूनिट प्रभारी अरुण यादव बताते हैं कि 50 मरीज को वेटिंग में रखा गया है। डायलिसिस के लिए मरीजों की संख्या पहले से काफी बढ़ी है। वे बताते हैं कि दोनों किडनी खराब होने के कंडीशन में कृत्रिम ब्लड चढ़ाया जाता है। इसके लिए हफ्ते में मरीज के कंडीशन पर उसे दो बार या तीन बार चढ़ाया जाता है। उसके लिए उन्हें बुलाया जाता है। वर्तमान में 12 मशीन क्रियाशील है। बाकी दो और मशीन की कवायद चल रही है। इनके डिमांड के लिए एसआईसी को लेटर लिखा गया है।

दबे पांव आती है किडनी की बीमारी

जिला अस्पताल के डॉ। राजेश कुमार बताते हैं कि किडनी की बीमारी दबे पांव आती है और पूरा जीवन तबाह कर देती है। मरीजों की संख्या को देखते हुए सरकारी व्यवस्था में सभी के डायलिसिस की सुविधा नहीं है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 6 बेड की यूनिट है।

- गुरु श्रीगोरक्षनाथ चिकित्सालय में प्रतिदिन औसतन 40, महीने में 1200 व साल में 14400 लोगों की डायलिसिस होती है।

- गोरक्षनाथ में 12 बेड की यूनिट है।

- एक मशीन आईसीयू में भी लगी है, इसलिए इमरजेंसी में आने वाले मरीज को भी लाभ मिल जाता है।

किडनी खराब होने की वजह

किडनी खराब होने के प्रमुख कारणों में शुगर व ब्लड प्रेशर, दर्द निवारक दवाइयां, ऑटो इम्यून डिसऑर्डर। यह होने पर हमारे अंदर केबैक्टीरिया हमारे ही सेल खाने लगते हैं। पथरी की बीमारी, मूत्र प्रणाली की संरचना में विकार, पेशाब में प्रोटीन आना, धूमपान और प्रदूषित जल का सेवन है।

ये हैं लक्षण

- यदि किडनी खराब हो गई है तो आंखों के चारों तरफ सूजन हो जाती है।

- पैरों सहित पूरे शरीर में सूजन, भूख कम लगना, रात को बार-बार पेशाब के लिए जाना।

- हड्डियों में दर्द, बार-बार मिचली, उल्टी आना, सांस फूलने की शिकायत, पेशाब में झाग आना या मटमैले रंग का पेशाब होना और खून की कमी रहेगी।

ऐसे करें बचाव

- नियमित व्यायाम, सुबह टहलना, शुगर व ब्लड प्रेशर को अच्छी तरह से नियंत्रित रखना, धूमपान व किसी तरह का नशा न करना, बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द निवारक दवाइयां न लेना, जंक व फास्ट फूड बिल्कुल न लें, नमक कम मात्रा में लें, किडनी की बीमारी नहीं है तो रोज औसतन तीन लीटर पानी जरूर पीना चाहिए।

एडवाइज फॉर ऑल

- 30 वर्ष की उम्र के बाद साल में एक बार ब्लड, यूरिया, क्रिटनिन, यूरिन में प्रोटीन या ब्लड की जांच व अल्ट्रासाउंड एब्डॉमेन जरूर करा लें।

- यदि किडनी में किसी तरह की दिक्कत आ रही है, तो इससे पता चल जाएगा।

- लिपिड प्रोफाइल

डायलिसिस यूनिट में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। चूंकि फ्री ऑफ कॉस्ट डायलिसिस होती है। जो मरीज वेटिंग में हैं, उन्हें भी जल्द एडमिट किए जाएंगे। दो मशीन जल्द हमारे पास और आ जाएंगी। इससे काफी राहत मिलेगी।

- डॉ। एसी श्रीवास्तव, एसआईसी, जिला अस्पताल

- समय से इलाज हो जाने पर किडनी खराब नहीं होने पाएगी।

- यदि कोई किडनी का मरीज है, तो उसे हर तीन महीने में यह जांच करा लेनी चाहिए।

- बच्चों के पेशाब में भी प्रोटीन आने की शिकायत मिलती है, यदि उसकी आंख व पैर में सूजन दिखे तो तत्काल इसकी जांच करा लेनी चाहिए।

- बच्चे का विकास न हो रहा हो, हड्डियां कमजोर हो रही हों तो भी गुर्दे की जांच करा लेनी चाहिए।

बिना कोविड जांच के नहीं होगी डायलिसिस

डायलिसिस यूनिट में मरीजों के इलाज से 15 दिन पहले में हर दिन में नई कोविड-19 की रिपोर्ट हास्पिटल प्रबंधक, डाक्टर, टेक्नीशियन को दिखाना जरूरी है। बिना रिपोर्ट दिखाए किसी भी मरीज के डायलिसिस नहीं होगी। किसी भी परेशानी होने पर 8736901434 पर संपर्क कर सकते हैं।

डायलिसिस कराने वाले मरीजों के लिए आवश्यक जांच

प्रत्येक माह

- सीरम क्रिटनीन

- डायलिसिस के पहले व बाद में

- ब्लड यूरिया नाइट्रोजन

- सीबीसी

- सीरम इलेक्ट्रोलाइट

प्रत्येक तीन माह पर

सीबीसी

एचबीए वन सी (शुगर के रोगियो के लिए)

- आईटीपीएच

प्रत्येक छह माह पर

- वायरल स्क्रीनिंग

- सीरम इलेक्ट्रोलाइट

Posted By: Inextlive