कानपुर के रियल एस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता मर्डर केस में आरोपित पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियों की सुस्ती ने तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं. गोरखपुर पुलिस की जानलेवा हरकत को शर्मनाक बताते हुए मृत मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने आरोप लगाया है कि कप्तान उनकी एफआईआर लेने को तैयार ही नहीं थे. वहीं उन्होंने एक बार फिर गोरखपुर पुलिस के प्रति अविश्वास दोहराया.


गोरखपुर ब्यूरो। मीनाक्षी की मानें तो मनीष मर्डर केस की लड़ाई दिल्ली में लड़ी जाएगी। पुलिस की पिटाई से मनीष की मौत के बाद उसे इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की चर्चित वकील सीमा समृद्धि ने ली है। सीमा इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही अर्जी लगाएंगी। 27 सितंबर की रात मनीष गुप्ता मर्डर केस के बाद गोरखपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर तमाम सवाल खड़े हुए थे। जबकि मृतक की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने साफ तौर पर कहा था कि उन्हें गोरखपुर पुलिस पर जरा भी भरोसा नहीं है। मीनाक्षी की मांगों को पूरा करते हुए सीएम योगी ने इस मामले की जांच कानपुर एसआईटी को सौंप दी। एसआईटी फिलहाल मामले की जांच कर रही है। लेकिन पीडि़त परिवार और घटना के बाद मनीष के साथ मौजूद उनके दोस्तों में इस कदर खौफ हो गया है कि वह किसी भी हाल में गोरखपुर आने को तैयार नहीं हैं। हालांकि, एसआईटी मनीष के दोस्तों संग होटल के रूम नंबर 512 का सीन रिक्रिएट कराना चाहती है, लेकिन वह आने को तैयार नहीं हुए। उधर, इस मामले में हत्यारोपी बनाए गए रामगढ़ताल थाने के इंस्पेक्टर जेएन सिंह सहित 6 पुलिस वालों को जेल भेजा जा चुका है। बिना फीस लिए केस लड़ेंगी सीमा


निर्भया को इंसाफ दिलाने और दोषियों को फांसी दिलाने में सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा समृद्धि की बड़ी भूमिका थी। मृतक मनीष के परिवार के मुताबिक सीमा समृद्धि बिना कोई फीस लिए मनीष मर्डर का केस लड़ेंगी। ऐसे ट्रांसफर होगा केसदरअसल, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी धारा 406 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि वह किसी केस या अपील को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफर कर सकता है। धारा 406 के अनुसार जब भी सुप्रीम कोर्ट को यह प्रतीत करवाया जाता है कि न्याय के उद्देश्य के लिए यह समीचीन है कि इस धारा के तहत आदेश किया जाए तो सुप्रीम कोर्ट किसी विशेष मामले या अपील को एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट या किसी हाईकोर्ट के अधीनस्थ आपराधिक न्यायालय से दूसरे हाईकोर्ट के अधीनस्थ आपराधिक न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्देश दे सकता है। धारा 406 आगे कहती है कि सुप्रीम कोर्ट भारत के अटॉर्नी जनरल या हितबद्ध पक्षकार के आवेदन पर ही इस धार के तहत कार्य कर सकता है। अगर यह आवेदन अटॉर्नी जनरल नहीं दे रहे हैं और कोई पक्षकार दे रहा है तो पक्षकार को इस आवेदन के साथ एक शपथ पत्र लगाना होगा।एक नजर में कब क्या हुआ

- 27 सितंबर की रात रामगढ़ताल एरिया के होटल कृष्णा पैलेस में पुलिस पिटाई में कानपुर के मनीष गुप्ता की जान चली गई थी।- 28 सितंबर को पोस्टमॉर्टम के बाद तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की नामजद एफआइआर, 6 को सस्पेंड किया गया।- 29 सितंबर की सुबह परिजन शव लेकर कानपुर पहुंचे। सीएम से मिलने की जिद पर अड़े थे। अंतिम संस्कार करने से भी इंकार किया।- 30 सितंबर को प्रशासन के आश्वासन के बाद सुबह 5 बजे मनीष का अंतिम संस्कार किया गया। फिर उसी दिन सीएम ने मनीष की पत्नी से मुलाकात की।- 10 अक्टूबर की शाम रामगढ़ताल पुलिस ने इंस्पेक्टर जेएन सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा को गिरफ्तार किया।-12 अक्टूबर को पुलिस ने दरोगा राहुल दुबे और कांस्टेबल प्रशांत कुमार को गिरफ्तार किया। 13 अक्टूबर को पुलिस ने मुख्य आरक्षी कमलेश यादव को गिरफ्तार किया था।- 16 अक्टूबर को पुलिस ने आखिरी आरोपी दरोगा विजय यादव को गिरफ्तार किया।


वर्तमान में केस में क्या चल रहा है। इसकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है। अभी तक केस सीबीआई को ट्रांसफर नहीं हुआ है। हमारा प्रयास है कि केस सुप्रीम कोर्ट जाए, चाहे वह सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से ही क्यों न हो। एडवोकेट सीमा समृद्धि ने इस केस को लिया है। इससे न्याय की आस बढ़ी है। प्लानअप करके हत्या के आरोपित पुलिसकर्मियों को जेल भेजा गया। गोरखपुर पुलिस पर कतई ट्रस्ट नहीं है। पुलिस को अपने ऊपर शर्म आनी चाहिए। गोरखपुर में कप्तान ने सीधा कहा था कि मैं एफआईआर लूंगा ही नहीं। मीनाक्षी गुप्ता, मृत मनीष की पत्नी

Posted By: Inextlive