- अपने घर लौटे श्रमिक अब होने लगे वापस

- श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सूरत, पंजाब आदि प्रदेश से लौटे हुए श्रमिक वापस लौटने का मजबूर

- गोरखपुर में श्रमिकों को नहीं मिला रोजगार, तो पुराने जगह का सहारा

sunil.trigunayat@inext.co.in

GORAKHPUR: मुंबई में लॉक डाउन के बीच पूर्वाचल में रहने वाले हजारों कामगार वापस लौट आए। बिना खाए-पीए कई दिनों तक वहां गुजारा करने के बाद किसी तरह वापस लौटे मजदूर अब फिर वापस मायानगरी को लौटने के लिए मजबूर हैं। नौकरी की चाहत और परिवार की जिम्मेदारी ने उनके दिलों से कोरोना का डर निकाल दिया है। अब वह अपने फंसे हुए पैसे और फिर से नौकरी की उम्मीद में वापस लौटना शुरू कर चुके हैं। गुरुवार को गोरखपुर जंक्शन में ऐसे कामगारों की कतारें नजर आई, जो कुछ दिन पहले ही लंबी लाइन लगाकर किसी तरह वापस लौटे थे, अब वह फिर वापस मुंबई लौट रहे हैं।

बकाए के साथ देंगे नौकरी

गोरखपुर जंक्शन से मुंबई जा रहे कामगारों से जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मालिक ने बोला है कि वापस मुंबई आ जाओ, जो पिछला बकाया था, वह तो मिलेगा ही साथ ही दोबारा नौकरी मिल जाएगी। शमसाद अंसारी ने बताया कि वह लॉकडाउन में मार्च के बाद गोरखपुर आ गया था। वहां पर सिलाई का काम करता था। सबकुछ बंद हो जाने के बाद खाने के लाले पड़ने लगे। कुछ नहीं सूझा तो सब छोड़ श्रमिक स्पेशल से जैसे-तैसे गोरखपुर पहुंच गया।

सब्जी बेची, लेकिन कमाई नहीं

शमशाद ने बताया कि गोरखपुर आ तो गया, लेकिन यहां अभी कोई काम नहीं हैं। रोजी रोटी के लाले पड़ गए। काम न मिलने की वजह से परिवार का खर्च भी चलाना मुश्किल हो गया। अब यहां मेरे पास कोई काम नहीं है। दो दिन लोगों के पास काम के लिए गया तो वहां से वापस कर दिया गया। यहां दो दिन सब्जी बेची, लेकिन 100 रुपए भी नहीं कमा पा रहा था। इसी बीच मेरे मुंबई में मालिक का फोन आ गया उसने बताया कि वहां काम शुरू हो गया है। वापस लौट जाओ। यहां पिछला बकाया मिलेंगे। दोबारा काम भी मिल जाएगा। परिवार और पेट से मजबूर था इसलिए वापस जाने का मन बना लिया। और टिकट कटा कर ट्रेन पकड़ ली।

दर्जनों श्रमिक वापस लौटे

अफरोज आलम के अलावा एहतुल्ला समेत ऐसे दर्जनों श्रमिक अब वापस जाने लगे हैं। ये सभी वे ही हैं जो बीते दिनों श्रमिक स्पेशल से गोरखपुर आए थे। परिवार की चिंता ने दूसरे शहरों में मिली दुश्वारियों और तकलीफे भुला दी हैं। यहीं कारण है कि दूसरे शहरों में अपना सबकुछ गंवा चुके श्रमिक अब दोबारा वापस जाने लगे हैं। उन्हें यह उम्मीद है कि वह यहां कैसे भी रह लेंगे, लेकिन कम से कम फैमिली का गुजारा तो हो सकेगा।

मैं लॉकाडाउन में ही दुश्वारियों को झेलते हुए गोरखपुर आया था। अप्रैल माह में शहर के दो तीन फैक्ट्रियों में काम तलाशने के लिए पहुंचा। काम नहीं मिला। इसी बीच पुराने सुपरवाइजर का फोन आ गया। उन्होंने दोबारा काम दिलाने और बकाया भुगतान करने का भरोसा जताया है। इसलिए वापस लौट रहा हूं।

शमसाद अंसारी

मैं मुंबई में सिलाई का काम करता हूं, पिछले लॉकडाउन में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से गोरखपुर लौट आया था। लेकिन यहां कोई खास काम नहीं मिला। काम के लिए इधर-उधर भटकता रहा, लेकिन काम नहीं मिला। अब रोजी रोटी के लाले पड़ गए हैं। अब मालिक बुला रहा है।

अफरोज आलम

पूरे देश में कोरोना का खौफ है, इसलिए अप्रैल के लास्ट में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से गोरखपुर आ गया था। काम बंद हो जाने की वजह से खाने के लाले पड़ गए। यहां सबकुछ ठीक है अब परिवार चलाने के लिए जेब में एक भी पैस नहीं बचे हैं। इस बीच मालिक का फोन आया कि वापस चले आओ, मजबूरी में जाना पड़ रहा है।

एहतुल्ला अंसारी

मैं डाबर कंपनी में काम करता हूं। पहले ही दिल्ली ट्रांसफर हो गया था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से फंस गया। अब जब थोड़ी राहत मिली है तो ज्वाइन करने जा रहा हूं। कोरोना का डर तो सभी को हैं लेकिन मजबूरी नौकरी जाने का भी हैं इसलिए जाना पड़ रहा है।

डीके श्रीवास्तव

Posted By: Inextlive