- मोडिफाइड साइलेंसर लगाकर सिटी में फर्राटा भर रहे युवा

- विजय चौक और काली मंदिर के आस-पास साइलेंसर बदलने का है मार्केट

स्टिंग ऑपरेशन लोगो के साथ

गोरखपुर। सिटी के लिए यह गुड न्यूज नहीं है। मॉडिफाइड साइलेंसर का प्रेशर हॉर्न शोरगुल बढ़ा रहा है। यूथ के लिए फैशन बना यह मॉडिफिकेशन कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है, लेकिन सिस्टम को सुनाई नहीं दे रहा। सिर्फ कार्रवाई की बात की जा रही है। चालान काटने के दावे किए जा रहे हैं। विजय चौक और काली मंदिर के आस-पास साइलेंसर बदलने का है मार्केट सजता है। 1000 से 4000 में कानफोड़ शोर सिटी में बांटा जा रहा है। इस शोरगुल से सिटी के अधिकांश लोग कान और दिल के मरीज हो रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने जब बाइक में प्रेशर हार्न लगवाने की बात की तो मिस्त्री ने कहा- हो जाएगा, लेकिन बुलेट में लग पाएगा।

- ईयर प्लग्स का यूज करें। इससे कान हाई साउंड से सेफ रहते हैं।

मल्टीटोन आवाज का लगा रहे हॉर्न

मल्टीटोन हॉर्न एक इलेक्ट्रानिक डिवाइस है। टू व्हीलर व फोर व्हीलर में लगता है। इसमें साउंड बदला जा सकता है। पुलिस सायरन, प्रेशर हार्न, एम्बुलेंस हॉर्न आदि इसमें आते हैं, मार्केट में फिल्मी गानों के म्यूजिकल हॉर्न भी अवेलेबल हैं। नार्मली बीप को छोड़कर अन्य सभी हार्न मल्टीटोन हार्न माने जाते हैं।

बुलेट में लग जाएगा, ले आओ

रिपोर्टर: मिस्त्री साहब, हमें साइलेंसर मोडिफाइड करवाना है।

मिस्त्री: हो जाएगा। बुलेट कहां है।

रिपोर्टर: पैशनप्रो में लगा दिजिए।

मिस्त्री: नहीं नहीं सिर्फ बुलेट में लगता है।

रिपोर्टर: देख लीजिए, हो जाए तो अच्छा रहेगा।

मिस्त्री: कहा ना, सिर्फ बुलेट में लगता है।

रिपोर्टर: बुलेट तो लाए नहीं है अभी घर पर है।

मिस्त्री: घर से जाकर लाइए, चेंज कर देंगे।

रिपोर्टर: कितना पैसे लगेंगे?

मिस्त्री: आवाज के अनुसार रेट है।

रिपोर्टर: फिर भी एक अनुमान।

मिस्त्री: 1000 से 4000 तक का रेट है। इसके अंदर हो जाएगा।

रिपोर्टर: कुछ कम हो सकता है।

मिस्त्री: हो जाएगा।

रिपोर्टर: ठीक है तो कल लेकर आते हैं।

मिस्त्री: इसी जगह रहते हैं, कल ले आना।

पर्दे हिला दे रहे है प्रेशर हॉर्न

सिटी के युवाओं में वाहनों में प्रेशर हार्न व मोडिफाइड साइलेंसर लगाने का फैशन फिर से बढ़ रहा है। इसका कारण पुलिस-प्रशासन की सुस्ती है। इन पर काफी समय से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इन प्रेशर हॉर्न और मोडिफाइड साइलेंसर से आम नागरिकों के कान के पर्दे तक हिल जाते हैं, जिसके चलते पूरा शहर कानफोडू शोर की गिरफ्त में आ गया है। शोर इतना कर्कश होता है कि बुजुर्ग और दिल के मरीजों की धड़कन तेज होती है। बुलेट और मोडिफाइड टू व्हीलर में लगे प्रेशर हॉर्न लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।

15 परसेंट तक ईयर पेशेंट की बढ़ोतरी

प्रेशर हार्न व साइलेंसर के जरिए बाइकर्स 135-145 डेसीमल तक का ध्वनि प्रदूषण फैला रहे हैं। जो लोगों की सुनने की शक्ति को नुकसान पहुंचा सकता है। यह कई डिजीज को जन्म दे रहा है। डॉक्टर्सकी मानें तो 15 परसेंट तक ईयर पेशेंट की बढ़ोतरी हुई है। जो तेज ध्वनि के शिकार हैं। तेज आवाज के कानों पर अचानक से पड़ने पर कानों का कोटिला तक खराब हो सकता है। इसके साथ रैनाइटरा डिजीज हो सकती है, जिसमें कानों में हमेशा सीटी बजने जैसी आवाज सुनाई देती है। वरटाइगो डिजीज हो सकती है, जिससे चक्कर आने लगते हैं। कानों में ज्यादा तेज आवाज आने से हाई बीपी की भी शिकायत आने लगती है।

कहां, कब कितना शोर होना चाहिए

जोन - पासिबल डेसीबल लेवल डे - नाइट

इंडस्ट्रियल - 75 - 70

कॉमर्शियल - 65 - 55

रेजीडेंशियल - 55 - 45

साइलेंस जोन - 50 - 40

क्या करें

- खुद अवेयर हों। वाहनों में लगे मल्टीटोन हार्न हटाएं और परिचितों के वाहनों से भी हटवाएं।

- अगर किसी गाड़ी में मल्टीटोन हॉर्न लगा दिखाई दे तो तुरंत आरटीओ या पुलिस को सूचित करें

वर्जन

2000 अधिनियम के अनुसार 60 डेसीबल तक मानक है। अगर इससे अधिक अगर ध्वानि होती है तो आरटीओ डिपार्टमेंट कार्रवाई करता है।

पंकज यादव, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, गोरखपुर

बुलेट में मॉडिफाई साइलेंसर लगाकर फायरिंग जैसी आवाज निकालने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा। अभियान चलाकर ट्रैफिक पुलिस चालान काटेगी।

आरएस गौतम, एसपी ट्रैफिक

प्रेशर हार्न से कान की नसों को नुकसान होता है। लोगों को सुनाई कम देने लगता है। चिड़चिड़ापन, ब्लड पे्रशर जैसी बीमारियां हो जाती हैं। आजकल इस प्रकार का पेशेंट अधिक आ रहे हैं।

- डॉ। आलोक अग्रहरी, ईएनटी स्पेशिलस्ट, जिला अस्पताल

Posted By: Inextlive