मेडिकल कॉलेज में पांच सौ से अधिक पेशेंट्स रजिस्टर्ड

आधा दर्जन प्राइवेट संस्थाओं में औसतन दो सौ का उपचार

GORAKHPUR:

शहर में ड्रग्स लेने वालों की तादाद को देखते हुए रिहैलिबेशन सेंटर भी खुल रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नशा मुक्ति केंद्र के अतिरि?क्त आधा दर्जन संस्थाएं काम कर रही है। प्राइवेट संस्थाओं के संचालकों का कहना है कि कम से कम सात से आठ सौ मरीजों का उपचार हर साल होता है। लोगों को नशे की लत से निजात दिलाने के लिए तमात तरह के उपाय अपनाए जाते हैं। लॉक डाउन के दौरान भी इसके मामले सामने आए हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित नशा मुक्ति केंद्र करीब पांच सौ लोगों उपचार चल रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर ने बताया कि अफीम के नशे से प्रभावित करीब पांच सौ मरीजों का रजिस्ट्रेशन है।

शहर में बढ़ रहे रिहैलिबेशन सेंटर

नशे की लत बढ़ने के साथ-साथ रिहैबिलेशन सेंटर्स की संख्या भी बढ़ रही है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की गई है। इससे जुड़े लोगों का कहना है कि स्मैक, अफीम और इंजेक्शन से नशा लेने वाले तकरीबन 500 पेशेंट्स रजिस्टर्ड हैं। हर माह पांच से आठ मरीज नए एडमिट होते हैं। ठीक होकर घर लौटने वालों की तादाद भी चार से पांच होती है। इस केंद्र पर सालाना 450-500 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो जाता है। इसके अलावा प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्रों पर बड़ी संख्या में मरीज एडमिट किए जाते हैं। शुद्धि्करण नशा मुक्ति केंद्र से जुड़े लोगों का कहना है कि उनके सेंटर पर एक हजार से लेकर 11 सौ तक मरीजों का उपचार होता है। वर्तमान में 208 पेशेंट्स का उपचार चल रहा है। इस सेंटर से 5835 मरीज ठीक होकर लौट चुके हैं।

ऐसे छुड़ाते नशे की लत

तंबाकू - इसका विदड्रॉल पीरियड कम होता है। दो से तीन दिन में यह शुरू हो जाता है। शुरूआत में बेचैनी और तनाव होता है। यदि पेशेंट ने इसे एक हफ्ते तक बर्दाश्त कर लिया तो यह आदत छूट सकती है।

शराब - इस नशे में भी विदड्रॉल पीरियड कम से कम तीन दिन बाद शुरू होता है। अधिक सेवन करने वालों को बदन दर्द होता है या नींद न आने की समस्या हो जाती है। इस स्थिति में दवाओं का सहारा लिया जा सकता है। 10 दिन बाद खुद पर नियंत्रण करके यह आदत छु?ाई जा सकती है।

अफीम : इसका सेवन करने वालों के साथ परेशानी ज्यादा होती है। दो दिन बाद असर दिखने लगता है। डायरिया और कंपकंपाहट होती है, शरीर टूटने लगता है। ऐसी स्थिति में सामान्य दर्दनिवारक दवाएं ली जा सकती हैं। ब्रेन को दूसरे कामों में डायवर्ट करना होता है। यदि 10 दिनों तक नशे पर काबू कर लिया तो छोड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

ऐसे छूटेगी नशे की लत

- अल्कोहल के आदी सुबह उठकर नींबू पानी पी सकते हैं।

- सूखा नशा करने वाले प्रोटीन डाइट ब?ा सकते हैं।

- ध्यान लगाकर नशे की लत पर काबू पा सकते हैं।

- पेशेंट्स को कुछ काम देकर उनका ध्यान बंटा सकते हैं।

- टेलीमेडिसिन के जरिए काउंसिलिंग और दवाएं ले सकते हैं।

- तंबाकू का सेवन करने वाले च्यूइंगम या टॉफी को विकल्प बना सकते हैं।

नशे के दो तरह के मरीजों का उपचार होता है। अफीम के पेशेंट्स का अलग रजिस्ट्रेशन होता है। इनकी तादाद पांच सौ से अधिक है। आमतौर पर 50 से 60 मरीज हर महीने रजिस्टर्ड होते हैं।

- डॉ। आमिल हयात खान, एसोसिएट प्रोफेसर मानसिक रोग विभाग,

बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर

शहर में कई संस्थाएं खुल गई हैं। हमारी संस्था में वर्तमान में 208 मरीजों का उपचार चल रहा है। हर साल करीब 1100 मरीजों का ट्रीटमेंट हो रहा है.अभी तक हम लोगों 5835 को नशे की लत से मुक्ति दिलाई है।

दुर्गेश सिंह चंचल, को - डाइरेक्टर, शुदिधकरण नशा मुक्ति केंद्र

Posted By: Inextlive