- एसिंप्टोमेटिक हैं तो होम आइसोलेशन में बीमारी से जीत लेंगे जंग

- 70 फीसद मरीजों ने होम आइसोलेशन में रहकर दी है कोरोना को मात

केस वन

सिंघाडि़या के रहने वाले प्रियांशु की मम्मी, बहन और वह खुद कोविड पॉजिटिव हो गए। होम आईसोलेट हुए और एक ही रूम में रहते थे। डेली सात से आठ बार काढ़ा लेते थे। जो दवाएं दी गई थी वह डेली रूटीन में खाते थे। सुबह में काढ़ा, गिलोय और गर्म पानी के साथ पीते रहे। हल्दी व मुनक्का डालकर दूध लेते थे। डॉक्टर के मुताबिक इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाने के लिए गाइडलाइन पर अमल करते रहे। उनका कहना है कि मास्क लगाकर रखना है। घर से जरूरत पड़ने पर ही बाहर निकलना है। स्टीम लेते रहना है और साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करना है। वायरस खुद ब खुद भाग जाएगा।

केस टू

आनंद बताते हैं कि कोविड पाजिटिव होने के बाद भी वह हिम्मत नहीं हारे। होम आईसोलेशन के सारे नियमों का पालन करते हुए कोरोना से जंग जीत कर बेहद खुश हैं। शुभचितंकों को संदेश देते हुए वह कहते हैं कि पॉजिटिव रिपोर्ट आते ही चिंता के बजाय अपने घर में होम आईसोलेट हो जाए। सुबह फ्रेश होने के बाद योगा, प्राणायाम, एक्साइज करें। फिर काढ़ा पीने के बाद वह ब्रेक फास्ट जरूर ले। जो सरकारी दवाएं मिले, उनका टाइमली सेवन करते रहें। दोपहर का लंच और शाम को नाश्ते में कुछ न कुछ जरूर लेते रहें। उन्होंने बताया कि मैंने म्यूजिक सुनने के साथ ही बुक्स पढ़कर 14 दिन का आइसोलेशन पीरियड स्पेंड किया। आज वह फिर से अपने परिवार के बीच स्वस्थ हैं। मास्क जरूर लगाए, कोविड पॉजिटिव होने पर टेंशन लेने या अनावश्यक दवा खाने के बजाय खानपान बेहतर रखें।

यह दो केस बानगी भर है, ऐसे सैकड़ों लोग जो कोरोना से जंग जीत चुके हैं। वह भी होम आईसोलेशन में रहते हुए कोरोना पर फतह हासिल कर रहे हैं। इन दिनों सिटी के सभी कोविड प्राइवेट हॉस्पिटल के बेड फुल हो चुके हैं, लोग इलाज के लिए हॉस्पिटल के चक्कर लगा रहे हैं। जो एसिंप्टोमेटिक हैं और उनकी विल पॉवर बेहद स्ट्रांग हैं, वे इस जंग को घर में ही जीत रहे हैं और अपनी फैमिली मेंबर्स के बीच हंसते खेलते हुए नजर आ रहे हैं। बेतियाहाता की रहने वाली दीप्ती बताती हैं कि उनकी सास और बेटा दोनों कोविड पॉजिटिव थे, लेकिन 4 दिन तक घर में ही एक कमरे में सेपरेट रहे। इस बीच कभी भी अकेलापन महसूस नहीं किया। हंसना, बोलना, खेलना और एक्सरसाइज करना, एक दूसरे का मनोबल बढ़ाना यही हम लोग डेली अपने रूटीन में शामिल किए थे और पता भी नहीं चला कि हम कोविड पॉजिटिव से कब निगेटिव हो गए। हां, इतना जरूर किया कि होम आईसोलेशन के दौरान जो दवाईयां खानी है, उसका डेली सेवन करते गए। बेटा खाने-पीने में कभी मना करता भी था तो उसे मोटिवेट करते थे,

बिना हॉस्पिटल गए बीमारी को दे सकते हैं शिकस्त

- जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ। नीरज पांडेय ने बताया कि कोविड के होम आइसोलेशन संबंधित प्रोटोकॉल का पालन कर इस बीमारी को बिना अस्पताल गये शिकस्त दी जा सकती है।

- जिले के 29845 कोविड मरीजों के सापेक्ष 21137 मरीजों ने यही विकल्प चुना।

- यानि 70 फीसदी से अधिक मरीज होम आइसोलेशन में कोविड को हरा चुके हैं।

- इस समय भी 3399 लोग होम आइसोलेशन में इलाज करवा रहे हैं।

- सीएमओ डॉ। सुधाकर पांडेय का कहना है कि बस इस बात का ध्यान देना है कि अगर ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे हो या फिर सांस संबंधित व अन्य कोई गंभीर परेशानी न महसूस हो।

- अगर ऐसा होता है तो इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर की मदद से अस्पताल में इलाज करवाएं।

- होम आइसोलेशन का निर्णय भी स्वयं से नहीं लेना चाहिए।

- अगर चिकित्सकीय सलाह है तभी यह फैसला लें अन्यथा अस्पताल का विकल्प चुनें।

20 अप्रैल तक 6868 नए आए कोरोना के केसेज

सीएमओ ने बताया कि जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ। एके चौधरी की देखरेख में सर्विलांस टीम प्रत्येक कोविड मरीज की कांटैक्ट ट्रेसिंग कर रही है। टेस्ट और ट्रिटमेंट के जरिएि कोविड को हराने का प्रयास जारी है। जिले में 14 मार्च से 20 अप्रैल के बीच 6868 नये कोरोना मामले सामने आए। इन केसेज के सापेक्ष 87702 लोगों की कांटैक्ट ट्रेसिंग की गई। कोविड मरीज से हफ्ते भर में संपर्क में आए सभी लोगों की ट्रेसिंग की जाती है। कुछ ऐसे कांॅन्टैक्ट होते हैं जो कॉमन होते हैं। ऐसी स्थिति में यूनिक कोविड पॉजिटिव कांटैक्ट ट्रेसिंग की जाती है। इसके लिए एएमओ राजेश चौबे, मलेरिया इस्पेक्टर पूजा राय व वंदना श्रीवास्तव को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह लोग डेली सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक कांटैक्ट ट्रेसिंग कर उस फार्मेट को फिलअप करते हैं।

सीएमओ ने की अपील

सीएमओ डॉ सुधाकर पांडेय ने गोरखपुराइट्स से अपील की है कि अगर कोविड मरीज के संपर्क में आ जाते हैं तो जांच अवश्य करवा लें। सामान्य कोविड मरीज होम आइसोलेशन के नियमों का पालन करे। लोग मास्क, दो गज दूरी, हाथों की स्वच्छता के नियमों को गंभीरता से आत्मसात करें। अपने हाथों ने नाक, मुंह और आंख को न छुएं। अगर पास-पड़ोस में कोई प्रवासी हो या बाहर से आया व्यक्ति हो तो उसे भी कोविड जांच के लिए प्रोत्साहित करें। ज्यादा से ज्यादा जांच, इलाज और कांटैक्ट ट्रेसिंग के जरिए यह लड़ाई जीती जा सकती है।

होम आइसोलेशन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान

- घर के अन्य सदस्यों से दूरी रहे। मरीज अलग हवादार कमरे में रहें। जहां खिड़कियां खुली हों।

- घरवालों से अलग शौचालय व बाथरूम हो। अलग शौचालय व बाथरूम का इस्तेमाल करें।

- मरीज को हमेशा ट्रिपल लेयर मॉस्क पहनना है। यह मॉस्क छह से आठ घंटे में बदलना है। प्रयोग किये गये मॉस्क को पेपर बैग में लपेट कर तीन दिन के बाद ही सामान्य कचरा पात्र में डालें।

- साबुन पानी से हाथों को 40 सेडकें तक अच्छी तरह से धोएं या 70 प्रतिशत एल्कोहलयुक्त हैंड सेनेटाइजर का प्रयोग करें।

- हमेशा मॉस्क, रूमाल या कोहनी में ही खांसे या छींके।

- मरीज का बर्तन, तौलिया और चादर अलग होना चाहिए।

- दिन में दो बार बुखार और ऑक्सीजन के स्तर की जांच करें।

- अगर शुगरए बीपी या अन्य कोई रोग हो तो उसका इलाज जारी रखें।

- पानी, ताजा जूस, शूप, ताजा फल, सब्जी, प्रोटिन युक्त आहार ज्यादा लें।

- शराबए धूम्रपान या नशीली चीज का सेवन न करें।

- पालतू जानवरों से दूर रहें।

- आरआरटी और चिकित्सक की सलाह मानें।

- न घर पर किसी को बुलाएं और न ही घर से बाहर जाएं।

- मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउलोड कर 24 घंटे जीपीएस और लोकेशन ऑन रखें।

- शौचालय में ढक्कनदार पॉट है तो इस्तेमाल के बाद ढक्कन को बंद कर दें।

- छुई जाने वाली चीजों को एक फीसदी सोडियम हाईपोक्लोराइड साल्यूशन से सेनेटाइज करें।

दिक्कत हो तो यहां करें कॉल

डीएसएचई सुनीता पटेल ने बताया कि अगर होम आइसोलेशन के दौरान मरीज को तकलीफ हो तो अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए आईसीसीसी के हेल्पलाइन नंबर 9532797104, 9532041482, 0551-2202205 और 0551-2204196 पर सूचित करें।

Posted By: Inextlive