-नूरी मस्जिद व मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में मनाया गया मुफ्ती-ए-आजम हिन्द का उर्स-ए-पाक

GORAKHPUR: शहर में मुफ्ती-ए-आजम हिन्द हजरत मुफ्ती मो। मुस्तफा रजा खां अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक मनाने का सिलसिला जारी है। नूरी मस्जिद व मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में 41वां उर्स-ए-नूरी अकीदत के साथ मनाया गया। महफिल सजी। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत पेश की गई।

मुस्तफा रजा ने रखी थी बुनियाद

नूरी मस्जिद के इमाम मौलाना मो। असलम रजवी ने बताया कि नूरी मस्जिद की बुनियाद मुफ्ती-ए-आजम हिन्द हजरत मुफ्ती मो। मुस्तफा रजा खां ने ही रखी थी, इसीलिए इसे नूरी मस्जिद कहते हैं। मुफ्ती-ए-आजम हिन्द जिन्दा वली थे। आप बहुत बड़े आलिम, इबादतगुजार, परहेजगार, सखी, शरीअत पर अमल करने वाले, नेक तबियत, खुशमिजाज, लेखक, शायर, समाज सुधारक, हक बात कहने वाली अजीम शख्सियत थे। मकतब इस्लामियात के शिक्षक कारी मो। अनस रजवी ने कहा कि मुफ्ती-ए-आजम हिन्द हजरत मुफ्ती मो। मुस्तफा रजा खां हर काम शरीअत के मुताबिक करते थे। हर सुन्नत-ए-रसूल को अपनाते थे और लोगों को भी इसके लिए तालीम देते थे।

आने वालों को सही जवाब

इल्मे दीन सीखने वाले और मसाइल जानने के लिए आने वालों को हमेशा सही जवाब देते थे चाहे बड़ा हो या छोटा। आप हक बात कहने में किसी से डरते नहीं थे और हर बुरी बिदअत को रद्द करके लोगों को उससे दूर रहने के लिए कहते थे। तमाम जिन्दगी महफिल-ए-मीलाद व महफिल-ए-जिक्र में इश्क व अदब के साथ शामिल होते रहे। आप एक अजीम शोधकर्ता और लेखक भी थे। आपने तकरीबन 40 से अधिक किताबें लिखीं। आपने तीन मर्तबा हज अदा किया। चौदह मोहर्रम 1402 हिजरी को इस फानी दुनिया को अलविदा कहा। आखिर में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। उर्स-ए-नूरी की महफिल में मुअज्जम रजा, कारी हबीबुल्लाह, अलाउद्दीन निजामी, मास्टर अरशद, मनोव्वर अहमद, मुंशी रजा, हाजी नबी, मो। शहजादे, राशिद निजामी, अब्दुल्लाह कादिर आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive