वैसे तो एनई रेलवे की तरफ से कई जगहों पर पुराने इंजन को धरोहर के रूप में रखा गया है लेकिन एक ऐसा इंजन है जिसे देखनेके लिए हर कोई रुकता जरूर है. यह नैरो वाष्प इंजन एनई रेलवे जीएम आफिस की शोभा तो बढ़ा रहा है. इस इंजन को हाल ही में एनई रेलवे के वर्कशॉप में मोडिफाई किया गया है जिसमें शाम ढलते ही इंजन के पास लाइट जल जाती है और फिर लाइट के जलते ही इंजन से धुआं निकलने लगता है वह भी सीटी बजने के साथ. धरोहर के रूप में रखे गए इस इंजन को देखकर ऐसा प्रतीत होता है. जैसे कि वह चलने ही वाला है.


गोरखपुर (अमरेंद्र पांडेय)। बता दें, शायद ही कोई ऐसा यात्री होगा जिसे, रेलवे स्टेशन के जरिए गुरु गोरक्षनगरी में प्रवेश के दौरान रेल के नजरिए से नगर की प्राचीनता, भव्यता और उपयोगिता का अहसास न होता हो। स्टेशन का बड़ा और भव्य भवन तो इस अहसास के लिए मजबूर करता ही है। परिसर में शान से सजे-धजे खड़े दो अति प्राचीन इंजन भी इस पर मुहर लगाते नजर आते हैं। रेल म्यूजियम प्रभारी अजय यादव ने बताया कि नैरोगेज वाष्प इंजन है, जिसे मोडिफाई करके जीएम आफिस के पास रखा गया है। शाम के वक्त इस इंजन से धुआं निकलता है। फिर आवाज निकलती है। जो चलने का अहसास कराती है। शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक यह धुआं देते हुए इंजन को देखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। इस इंजन टीबी-6 नैरोगेज वाष्प इंजन है, जिसका निर्माण मेसर्स डब्लू जी बैगनल स्टाफोर्ड, इंग्लैंड ने किया था। इस इंजन को वर्ष 1940 में सेवा में लाया गया। इसकी अंतिम बार मरम्मत 24 अप्रैल 1983 में की गई। अंतिम बार इससे 24 अगस्त 1990 में कार्य लिया गया था।

Posted By: Inextlive