कोरोना वायरस के नए रूप ओमिक्रॉन से डरने की जरूरत नहीं है. इससे सतर्क रहने की जरूरत है. वायरस का यह म्यूटेशन डेल्टा या डेल्टा प्लस की तरह खतरनाक नहीं है. यह कहना है इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. समीरन पांडा का. वह गोरखपुर में बने रिजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर आरएमआरसी के भवन के उद्घाटन समारोह में शिरकत करने के लिए आए हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। कहा की विश्व में अब तक 900 ओमिक्रॉन के मामलों की पुष्टि हो चुकी है। सभी संक्रमित डब्ल्यूएचओ व अन्य संस्थाओं की निगरानी में है। इनमें से ज्यादातर सिर्फ घर पर हो रहे इलाज से ही ठीक हो रहे हैं। इन पेशेंट्स में ऑक्सीजन लेवल तेजी से कम होने, फेफड़ों में ज्यादा धब्बा होने जैसे लक्षण नहीं मिली। इक्का-दुक्का मरीज ही गंभीर हुए हैं। इन पेशेंट्स पर स्टडी हो रही है। अब तक जो केस सामने आए उस आधार पर कहा जा सकता है कि यह कोविड की दूसरी लहर की तरह खतरनाक साबित नहीं होगा। तेज है संक्रमण की दर


उन्होंने कहा कि वायरस के इस रूप की सबसे खास बात यह है कि इसका संक्रमण की दर (इंफेक्शन रेट) अधिक है। यह कम्यूनिटी में लोगों को तेजी से संक्रमित कर रहा है। इसकी मारक क्षमता और संक्रमण दर को लेकर अभी शोध चल रहा है। इस वजह से किसी ठोस नतीजे पर अभी विशेषज्ञ नहीं पहुंच पा रहे हैं। कोविड पर चल रही स्टडीउन्होंने बताया कि कोविड के सामने आए दो साल हो चुके हैं। अभी उस पर स्टडी चल रही है। कोविड के वायरस में म्यूटेशन अपेक्षित था। हालांकि यह अपेक्षा से तेजी से म्यूटेट हो रहा है। एचआईवी 2030 तक होगा नियंत्रित

पुणे स्थित नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट(नारी) के निदेशक रहे डॉ। पाण्डा ने बताया कि विश्व में यह दशक एचआईवी संक्रमण के नजरिए से बेहद खास होने वाला है। वर्ष 2030 तक एचआईवी संक्रमण को पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया जाएगा। इस वायरस के संक्रमण क्षमता को कमजोर करने की दवाओं पर रिसर्च अंतिम चरण में है।

Posted By: Inextlive