पुलिस अफसरों के पास अक्सर दूसरे पक्ष के दबाव में एफआईआर न दर्ज करने का आरोप फरियादी लगाते हैं. शिकायत करने पर लोकल पुलिस किसी न किसी लाभ के चक्कर में फरियादी की अनसुनी कर देती है. कई बार पुलिस कर्मचारी पीडि़त के विपक्षी से बात करके मामले को निपटाने का आश्वासन देते हैं. इसलिए उनकी कोशिश रहती है कि थाने पर एफआईआर लिखने के बजाय मामले में सुलह करा दी जाए.


गोरखपुर (ब्यूरो)। पुलिस की अनदेखी से बड़ी संख्या में मामले पेंडिंग केस-1: गुलरिहा एरिया के जंगल सखनी माखनपुर निवासी सूर्यनाथ अपनी पुस्तैनी जमीन पर मकान का निर्माण करा रहे थे। इस दौरान पड़ोसियों इसका विरोध करते हुए गाली गलौज करते हुए पिटाई कर दी। पीडि़त ने कंप्लेन की कि मैं विकलांग हूं। इसका फायदा उठाते हुए मेरा मानसिक व शारीरिक उत्पीडऩ कर रहे हैं। उन्होंने ट्विटर के माध्यम से पुलिस अफसरों से न्याय की गुहार लगाई हैं। लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ। गोरखपुर पुलिस ने ट्विटर पर जवाब दिया कि मामले में जांच व कार्रवाई के लिए प्रभारी निरीक्षक गुलरिया को निर्देशित किया गया है।


केस-2: पीपीगंज एरिया के मुहम्मदपुर पचवारा निवासी सोनी वर्मा की शादी 7 मई 2021 को सतीश वर्मा निवासी कुरी बाजार थाना बेलघाट से हुई थी। 8 मई को ससुराल जाने के बाद से ही उनके साथ दुव्र्यवहार होने लगा। आये दिन सोनी के पति और परिवार के अन्य सदस्य गाली गलौज कर कमरे में बंद कर बाहर से ताला बंद कर देते। महिला थाने में इसकी लिखित सूचना दी गई। 2 जून को ससुराल पहुंची। इसके बाद भी उनकी आदत में बदलाव नहीं आया और वह लोग मारने पीटने लगे। उन्होंने पुलिस में शिकायत की, लेकिन केस दर्ज नहीं किया गया। गोरखपुर पुलिस ने ट्विटर पर जवाब दिया कि मामले में जांच व कार्रवाई के लिए प्रभारी निरीक्षक पीपीगंज को निर्देशित किया गया है। केस-3: सहजनवां एरिया के मक्टापार निवासी वरुण कुमार 2 जून की शाम अपने गांव के बगल में कोडरा मंदिर के रास्ते से घर जा रहे थे। जैसे ही वह ज्योही पुलिया के पास पहुंचे। पहले से घात लगाए बैठे बाहरी युवकों ने उन पर हमला बोल दिया। वरुण के शोर मचाने पर ग्रामीणों ने बीचबचाव किया। थाने पर आरोपितों के खिलाफ तहरीर दी, लेकिन अभी तक उन्हें अरेस्ट नहीं किया जा सका है। जीतेंद्र कुमार भारतीय के ट्विट पर गोरखपुर पुलिस ने जवाब दिया कि मामले में जांच व कार्रवाई के लिए प्रभारी निरीक्षक सहजनवां को निर्देशित किया गया है।

केस-4: चौरीचौरा एरिया के सरैया निवासी सविता देवी पत्नी विनोद कुमार अपने बच्चों के साथ कमरे में सोए थे। आरोप है कि पड़ोस के कुछ सदस्य कमरे में दाखिल हो गए और सविता के साथ अभद्रता करने लगे। विरोध करने पर सविता के पूरे परिवार की पिटाई कर दी। इस संबंध में थाने पर तहरीर दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। परेशान होकर पीडि़त पक्ष ने ट्विटर पर भी अपनी पीड़ा बयां की है। गोरखपुर पुलिस ने ट्विटर पर जवाब दिया कि मामले में जांच व कार्रवाई के लिए प्रभारी निरीक्षक चौरीचौरा को निर्देशित किया गया है। सविता की मानें तो कंप्लेन थाने पर भेजी गई है। थानेदार ने मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। यह 4 केस सिर्फ पब्लिक की पीड़ा नहीं बल्कि पुलिसिया लापरवाही की बानगी भी है। रोजाना थानों में आने वाले दर्जनों मामलों पर जब कार्रवाई नहीं होती तो पीडि़त अपनी बात ट्विटर पर साझा करते हैं। यहां भी जांच व कार्रवाई के नाम पर सिर्फ निर्देश देने की खानापूर्ति की जा रही है। जबकि अफसर बार-बार कह रहे हैं कि थानों पर ही पब्लिक की सुन ली जाए और न्याय दिलाया जाए। तहरीर मिलने पर केस दर्ज करके विवेचना की जाए। मामला फर्जी मिले तो केस खत्म करके झूठी सूचना देने वालों पर कार्रवाई हो, पर तमाम हिदायतों के बाद भी पीडि़तों को गोरखपुर पुलिस न्याय नहीं दे पा रही। वरिष्ठ अफसरों से शिकायत की जाती है कि थाने पर उनकी नहीं सुनी जा रही, तो वे पीडि़तों को दोबारा थाने की ही राह दिखा देते हैं, जिससे पब्लिक परेशान रहती है। फैक्ट एंड फीगर - औसतन रोज हर अफसर के पास पहुंचते 20 से अधिक मामले।

- एसपी, एसएसपी, डीआईजी और आईजी के यहां लोग लगाते हैं गुहार। - पुलिस के ट्विटर, व्हाट्सअप ग्रुप पर शिकायत करने की व्यवस्था है। - जनसुनवाई पोर्टल पर भी लिखित आवेदन कर सकते हैं पीडि़त। - जिले में हर स्तर पर रोजाना हो रही औसतन 100 कंप्लेन सभी थानों पर पीडि़तों की शिकायतों का तत्काल समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही ट्विटर पर कोई भी शिकायत आती है तो संबंधित थाने और अफसरों को भेजा जाता है, ताकि मामले में त्वरित कार्रवाई की जा सके।कृष्ण कुमार विश्नोई, एसपी सिटी

Posted By: Inextlive