- सियार ने काटा, एआरवी को लेकर जिला अस्पताल में हंगामा

- आए दिन खत्म हो जा रही है एंटी रैबीज वैक्सीन

केस वन

गीडा के रहने वाले रामप्रवेश को रात के वक्त कुत्ते ने काट लिया। वह भागे-भागे 18 जनवरी की रात जिला अस्पताल के इमरजेंसी में पहुंचे। लेकिन वहां पहुंचने पर डाक्टर्स ने बोला कि रात के वक्त में एआरवी नहीं लग पाएगी। आपको सुबह आना होगा। वह सुबह पहुंचे तो वैक्सीन ही खत्म थी।

केस टू

महावीर छपरा के रहने वाले सौरभ गुप्ता को सियार ने काट लिया था। वह पहले रात में परिजनों के साथ जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन इलाज नहीं हो सका। बल्कि डाक्टर्स ने राय दिया कि अगले 24 घंटे के भीतर कभी एआरवी लगवा सकते हैं। उन्हें सुबह प्राइवेट मेडिकल स्टोर से 450 रुपए का इंजेक्शन खरीदकर लगवाना पड़ा।

GORAKHPUR:

यह दो केस बानगी भर है। रोजाना ऐसे ढेरों लोगों को बिना वैक्सीन लगवाए ही जिला अस्पताल से वापस लौटना पड़ रहा है। जब से सर्द मौसम शुरू हुआ है। तभी से सियार, बंदर और कुत्ते के काटने के केसेज बढ़ गए हैं। 25 दिसंबर के बाद से अब तक ऐसा चार बार हो चुका है कि जिला अस्पताल में एआरवी (एंटी रैबीज वैक्सीन) समाप्त हो जा रही है और पीडि़तों को वापस लौटना पड़ रहा है। कुछ तो मजबूरी में प्राइवेट में वैक्सीन खरीदकर लगवाने को मजबूर हैं। सवाल यह है कि जब वैक्सीन की खपत बढ़ी है, तो जिम्मेदार बजाए इस वैक्सीन को स्टॉक करने के उन्हें खत्म होने के बाद क्यों मंगवा रहे हैं। ऐसे में उन्हें तो मुसीबत झेलनी ही पड़ रही है, वहीं मरीज भी परेशान हो रहे हैं।

सुबह करने लगे हंगामा

बता दें, मंगलवार की रात करीब साढ़े 9.30 बजे थे। सहजनवां के रहने वाले सुरेश प्रजापति के बेटे राहुल को सियार ने काट लिया। वह रात में साइकिल से अपने घर के लिए जा रहा था। तभी रास्ते में रुककर साइकिल की चेन उतर जाने पर ठीक करने लगा। इसी बीच सियार ने हमला कर दिया। दाहिने पैर में घुटने के नीचे दो दांत के निशान लगे हैं। थोड़ा ब्लड निकलने पर वह फौरन अपने पिता के साथ गोरखपुर जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन रात में इलाज नहीं हो सका। सुबह तक इंतजार भी किया, तो एआरवी खत्म होने की बात सामने आ गई। फिर क्या था। जिला अस्पताल गेट के पास परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। किसी तरह से वार्ड ब्वॉय और मेडिकल स्टाफ ने समझा-बुझाकर उन्हें वापस भेजा। तब जाकर मामला शांत हुआ।

लखनऊ से ही नहीं आ रही है वैक्सीन

वहीं फॉर्मासिस्ट हेमंत बताते हैं कि रात में एआरवी नहीं लगती है। सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक ही इसे लगाया जाता है। जब डॉक्टर मरीज को देख लेते हैं। उसके बाद ही एआरवी लगाई जाती है। तीन दिन पहले 9 वॉयल मिला था। वह खत्म हो गया है। एक वॉयल में पांच डोज दिया जाता है। दवा की सप्लाई मेडिकल कारपोरेशन से होती है, इसलिए यह समस्या आ रही है। प्रतिदिन 250-300 से लोग वापस लौट जाते हैं। उन्होंने बताया कि दवा स्टोर के लिए बरगदवा के पास डिपो बनाया गया है, लेकिन मेडिकल सप्लाई लखनऊ से होती है। इसलिए हम लोगों के हाथ में अब कुछ नहीं है।

क्या है बचाव

- कुत्ते, बिल्ली, बंदर या फिर सियार के काटने के 24 घंटे के भीतर एंटी रैबीज का इंजेक्शन जरूर लगवा लेना चाहिए। 15 दिन में चार इंजेक्शन लगवाना होता।

- प्राइवेट हॉस्पिटल में वैक्सीनेशन का करीब 1200 रुपए खर्च आता है। लेकिन सरकारी अस्पताल में यह फ्री ऑफ कास्ट लगाया जाता है।

- कुत्ते के काटने पर उस पर पट्टी नहीं बांधे, लाइफबॉय साबुन से धोकर 72 घंटे के भीतर एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाएं।

- किसी भी अनट्रेंड डॉक्टर या क्लीनिक पर न जाएं और ना ही किसी झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ें।

एआरवी खत्म हो गई है। डिमांड के लिए लेटर भेजा गया है। एक से दो दिनों में आ जाएगी। यह समस्या तीन से चार बार हो चुकी है। चूंकि लखनऊ से दवा आ रही है, इसलिए यह समस्या और बढ़ गई है।

डॉ। एसी श्रीवास्तव, एसआईसी

Posted By: Inextlive