- गोरखनाथ रोड पर स्थित रैन बसेरा को बनाया 127 बेड का क्वारंटीन सेंटर

- बाहर टहलते हैं क्वारंटीन सेंटर के मरीज, बिना देखरेख के भगवान भरोसे चल रहा सेंटर

-आस-पास के लोगों में दहशत

GORAKHPUR: कोरोना से हर इंसान डरा हुआ है। इस वायरस की दहशत देखनी है तो कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी खुद को देखकर आप तसल्ली कर सकते हैं। गोरखनाथ रोड पर स्थित रैन बसेरे में 127 बेड का क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है। जहां पर 2 मई से 8 कोरोनो पॉजिटव पेशेंट रखे गए हैं। लेकिन इस क्वारंटीन सेंटर में देख-रेख के लिए कोई नहीं रखा गया। आस-पास के लोगों का कहना है कि पान, गुटखा या कुछ भी सामान लेने पॉजिटव पेशेंट खुद बाहर निकलते हैं। ऐसे में हम लोग खुद इनको देखकर भागते हैं। लेकिन बार-बार क्वारंटीन सेंटर से कोरोना पॉजिटिव पेशेंट का आना-जाना और लोगों के लिए एक बड़ा खतरा खड़ा कर सकता है।

कोरोना पेशेंट को देखकर भाग गया कर्मचारी

गोरखनाथ रोड पर अगल-बगल दो रैन बसेरा हैं। एक बड़ा रैन बसेरा जिसमें 127 बेड का क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है। जबकि छोटे रैन बसेरे में महिलाओं के लिए क्वारंटीन सेंटर है। इस समय 2 मई से ही बडे़ रैन बसेरे में बने क्वारंटीन सेंटर में 8 कोरोना पेशेंट को रखा गया है। रैन बसेरा की देखभाल के लिए सुधीर को जिम्मेदारी दी गई थी। सुधीर ने बताया कि कोरोना मरीज जिस दिन आए उसी दिन मैं वहां से भाग निकला। अगर मुझे ही यहां ड्यूटी करनी थी तो पीपीई किट या अन्य कोरोना से निपटने के सामान देने चाहिए थे। कोई कोरोना मरीज के साथ अपनी जान जोखिम नहीं डालेगा।

बार-बार निकलते हैं बाहर

सुधीर ने बताया कि मैं अंदर नहीं जाता हूं। .बार-बार ये कोरोना पेशेंट निकलते रहते हैं इसकी कम्पलेन भी लोग मेरे पास ही करते हैं। मैं महिला वाले रैन बसेरे में बैठकर सब देखता रहता हूं जब भी कोरोना मरीज बाहर निकलते हैं तो मैं उन्हें टोकता रहता हूं, लेकिन दूर से ही ये काम करता हूं। मैं पकड़कर तो अंदर नहीं कर सकता हूं।

अधिकारियों को भी दी जानकारी

मेरे लिए सिर का दर्द हो गए हैं ये पेशेंट। मैंने कई बार अधिकारियों को भी इस बारे में अवगत कराया, लेकिन अभी तक किसी की भी ड्यूटी यहां नहीं लगाई गई। सबलोग अगल-बगल के लोग हमी से पूछते हैं मैं क्या कर सकता हूं। तीन दिन हो गए सफाई करने वाले भी यहां नही आए। कितनी बार यहां की व्यवस्था बताऊं कोई सुनने ही वाला नहीं है।

रैनबसेरा में ही लगा टयूबेल

यही नहीं रैन बसेरा के अंदर ही एक ट्यूबेल लगा है। जिससे सैकड़ों घरों में पानी जाता है। सुधीर ने बताया कि टयूबेल चलाने के लिए भी बड़ी दिक्कत होती है।

लेट से मिलता है खाना

क्वारंटीन सेंटर में रह रहे कोरोना पेशेंट रोहन ने बताया कि यहां पर किसी की ड्यूटी नहीं है। कुछ भी जरूरत होती है तो इधर-उधर भटकना पड़ता है। रात में खाना भी लेट से 10 बजे तक आता है। कोई ना रहने की वजह से हम लोग अपनी प्रॉब्लम किसी से नहीं कह पाते हैं।

वर्जन-

कोरोना मरीज रैन बसेरे में बनाए क्वारंटीन सेंटर में रह रहे हैं। ऐसी कंडीशन में और किसी की ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती है। कोई कोरोना मरीजों के साथ कैसे ड्यूटी कर सकता है। इसके लिए वहां पर पुलिस लगाई जानी चाहिए, जो मरीजों को बाहर जाने से रोके।

- सुरेश चंद्र, चीफ इंजीनियर, नगर निगम

Posted By: Inextlive