हमीदिया हॉस्पिटल भोपाल के थर्ड फ्लोर में सोमवार रात लगी आग 7 बच्चों के लिए काल का गाल बन गई. मध्यप्रदेश की राजधानी में हुआ यह हादसा इन दिनों चर्चाओं में है और सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है. गोरखपुर के गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में फायर फाइटिंग के क्या इंतजाम हैं. यह जानने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया तो गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में कई खामियां सामने आईं.


गोरखपुर (ब्यूरो): गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स केपीडियाट्रिक वार्ड के आईसीयू, एनआईसीयू और एसएनसीयू में आग से बचाव के मानक ताक पर हैं। अस्पतालों में लगे फायर एंग्श्ट्यूशर एक्सपायर हो चुके हैं। इमरजेंसी में रेस्क्यू के लिए वैकल्पिक एग्जिट गेट (निकास द्वार) नहीं है। आग बुझाने के लिए रखी बालू वाली बाल्टी में बालू की जगह पोंछा रखा मिला।स्पॉट-1: मेन स्वीच बोर्ड के पास लगा है फायर एस्टिंग्यूशर


जिला अस्पताल में 25 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू है। यहीं इंसेफेलाइटिस के पेशेंट्स का ट्रीटमेंट होता हैं। इसमें वेंटिलेटर यूनिट भी है। अस्पताल के वार्ड में बुधवार को पेशेंट भर्ती मिले। इस वार्ड में आग से बचाव के लिए एंट्री गेट के दाहिने साइड में फायर एस्टिंग्यूशर की मशीनें लगी मिलीं। हालांकि, इंतजाम नाकाफी मिले। एक्सायरी डेट देखने के लिए जब फायर एस्टिंग्यूशर पर नजरें गईं तो इसकी रिफिलिंग डेट 10 अक्टूबर 2020 और नेक्स्ट ड्यू डेट 9 अक्टूबर 2021 मिली। एक्सपर्ट की मानें तो एक साल ही एक्सपायरी डेट होती है। वहीं जब टीम वार्ड में पहुंची तो सिर्फ एक छोटा फायर एंग्श्ट्यूशर लगा दिखा। इसके अलावा वार्ड में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं था। यहां पर बालू वाली बाल्टी नहीं मिली। वार्ड में अब तक आग को बुझाने के लिए सेंट्रल पाइप लाइन नहीं बिछाई जा सकी है। वार्ड के बाहर बिजली के मेन स्विच बोर्ड के पास लगे तीन फायर एस्टिंग्यूशर में एक्सपायर डेट मिटा दी गई है।स्पॉट-2: बालू की बाल्टी में रखा था पोछामहिला अस्पताल में बीमार नवजात बच्चों के इलाज के लिए सिक न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) है। इस एसएनसीयू में 16 नवजातों को भर्ती किया जा सकता है। इस वार्ड में आग से बचाव के इंतजाम नजर नहीं आए। एक मेडिकल स्टाफ ने नाम न छापने के शर्त पर बताया, फायर एस्टिंग्यूशर सिर्फ कागजों में हैैं। जो हैैं भी वह किसी काम के नहीं हैं। यही नहीं मेडिकल स्टाफ ने बताया कि यहां पर वैकल्पिक निकास मार्ग नहीं है। यहां सीढ़ी के नीचे अक्सर बालू वाली बाल्टी का उपयोग सफाई कर्मी पोछा या दूसरे कपड़े रखने के लिए करते हैैं। उन्होंने बताया, एसएनसीयू के दरवाजे के बाहर तीन फायर एस्टिंग्यूशर रखे थे। इनकी एक्सपायर डेट को मिटा दिया गया।स्पॉट-3: बीआरडी में एक्सपायर हो चुका है एस्टिंग्यूशर

यह पूर्वी यूपी का सबसे बड़ा बाल रोग विभाग है। यहां पर पीआईसीयू व एनआइसीएसयू में करीब 450 बेड हैं। इनमें 70 फीसदी बेड पर मरीज भर्ती हैं। लेकिन यहां बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यहां वार्ड में लगा फायर एस्टिंग्यूशर एक महीने पहले एक्सपायर हो चुका है। वार्ड को संचालित कर रहे जिम्मेदारों का ध्यान इस पर नहीं है। फायर हाइड्रेंट सिस्टम लगा हुआ है। हालांकि, वह कितना कारगर है इस पर कोई कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। मेडिकल कॉलेज में कई बार आग भी लग चुकी है। ट्रॉमा सेंटर, प्रिंसिपल आफिस के अलावा पीडियाट्रिक वार्ड में आग लगने की घटना हो चुकी है। अस्पताल में फायर हाईड्रेंट सिस्टम लगाया जा रहा है। सेंट्रल पाइप लाइन को बिछाया जा रहा है। एक वाटर टैंक बनाया जाएगा। इसके बाद पाइपलाइन का कनेक्शन वाटर टैंक से जोड़ दिया जाएगा। डॉ। एससी श्रीवास्तव, एसआईसी, जिला अस्पतालफायर सेफ्टी अलार्म लगे हैं। सेंट्रल पाइप लग रही है। अनुरक्षण विभाग को इसमे लगाया गया है। फायर एंग्श्ट्यूशर के एक्सपायर होने की जानकारी नहीं है। इसको दिखवाया जाएगा। डॉ। राजेश राय, एसआईसी, नेहरू अस्पताल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive