-गोरखपुर और राप्ती डिपो की अधिकांश बसों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स की नहीं है व्यवस्था

- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की एसी बसों की पड़ताल, फ‌र्स्ट एड बॉक्स में सिर्फ मिला कागज, नहीं मिली दवाइयां

सीन-1

गोरखपुर रेलवे रोडवेज बस स्टेशन पर खड़ी जनरथ एसी बस संख्या यूपी 53 डीटी 4781 में फ‌र्स्ट एड बॉक्स क्षत विक्षत मिला। उसमें दवा का दर्शन नहीं हुआ।

सीन-2

गोरखपुर बस स्टेशन परिसर में खड़ी जनरथ एसी बस नंबर यूपी 53 डीटी 8121 में फ‌र्स्ट एड बाक्स लगा था, लेकिन उसके सामान गायब थे। ड्राइवर से जब बात की गई तो उसने बताया कि वर्कशॉप से ही दवाइयां नहीं मिलती है।

सीन-3

बस स्टेशन पर खड़ी जनरथ एसी बस संख्या यूपी 78 ईएन 9732 के कंडक्टर सवारी भर रहा था। जब फ‌र्स्ट एड बॉक्स के बारे में जानकारी ली गई तो उसने बताया कि जब बेडे़ में नई बस आई थी, तब सबकुछ ठीक था, लेकिन इसके बाद से ही बॉक्स में दवाइयां नहीं रखी गई।

GORAKHPUR: रोडवेज बसों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स लगाने का तो नियम है, लेकिन उनमें प्राथमिक उपचार की दवाइयां ही नहीं हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने गुरुवार की दोपहर रोडवेज एसी बसों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स की स्थिति जानी तो तस्वीर चौंकाने वाली मिली। किसी बॉक्स में कपड़े रखे थे, तो कोई बिल्कुल खाली मिला। कई बसों में तो इन बॉक्स में रद्दी पेपर व ढक्कन तक गायब मिले।

खुलेआम उड़ रही धज्जी

रोडवेज बसेस में फ‌र्स्ट एड बॉक्स का मकसद यह है कि सफर में स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी होने या चोट आदि लगने पर यात्री को तुरंत प्राथमिक उपचार मिल जाए। मामला अगर गंभीर हो तो प्राथमिक उपचार के बाद उसे सुरक्षित हॉस्पिटल तक पहुंचाया जाए। रोडवेज बसेस में फ‌र्स्ट एड बॉक्स की सुविधा अमूमन ड्राइवर के पीछे लगे स्टैंड या फिर ऊपर सामान रखने की जगह छोटा बॉक्स बनाकर देने का नियम है। इन बॉक्स में पेट दर्द, सिर दर्द आदि की दवा और मरहम पट्टी की व्यवस्था होती है। खासकर लंबी दूरी की बसेस में तो यह व्यवस्था आवश्यक रूप से रखने के आदेश विभाग ने दे रखे हैं, लेकिन इन आदेशों की रोडवेज बसों में खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

तो नहीं मिलेगा ट्रीटमेंट

रोडवेज बस में सफर करने के दौरान यदि किसी पैसेंजर को प्राथमिक उपचार देने की जरूरत पड़ जाए तो क्या होगा? क्योंकि इन फ‌र्स्ट एड बॉक्स में न तो कोई दर्द निवारक गोली है और न ही कोई मरहम पट्टी की व्यवस्था। ऐसे में यात्रियों को प्राथमिक उपचार मौके पर कैसे मिलेगा, यह एक बड़ा सवाल है।

बेड़े के बाक्स हैं खाली

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के गोरखपुर डिपो में करीब 53 एसी बसेस का बेड़ा है। अक्सर हाइवे पर सरकारी बसेस के एक्सीडेंट करने और सफर करने वाले मुसाफिरों को इलाज की आवश्यकता पड़ती है। कहने को रोडवेज बसेस में यात्रियों या फिर ड्राइवर और कंडक्टर के लिए फ‌र्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था है, लेकिन यह कम ही दिखाई दे रही है। दैनिक जागरण ने डिपो के स्थानीय बस अड्डे से सवारियां लेकर निकल रहीं कुछ एसी बसों की पड़ताल में मामला सामने आया।

अनुबंधित बसें और भी हाशिए पर

स्थानीय डिपो के बेड़ा में 305 अनुबंधित बसेस भी शामिल हैं। जिन्हें करार के तहत चलवाया जा रहा है। सरकारी सेवा से जुड़ी इन बसेस में भी कम समस्या देखने को नहीं मिल रही है। ज्यादातर बसेस में फ‌र्स्ट एड की सुविधा मयस्सर नहीं है। ऐसे में अगर किसी मुसाफिर को मंजिल पर पहुंचने के दौरान मामूली ट्रीटमेंट देने की दरकार पड़ जाए तो इसके लिए बस को रोकना जरूरी होगा।

पैसेंजर्स की सुरक्षा का लेकर रोडवेज संजीदा है। बसों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स को सेफ जगह पर लगाया गया है। यदि बॉक्स में दवाइयां नहीं हैं तो जल्द ही बसों को चेक कराकर फ‌र्स्ट एड बॉक्स को दवाइयों से लैस किया जाएगा।

पीके तिवारी, आरएम रीजन गोरखपुर

Posted By: Inextlive