- असुरक्षित तरीके से बिजली के तारों के नीचे सज रहे हैं दुर्गा पंडाल

- पंडाल निर्माण में नहीं रखा गया है सुरक्षा का ख्याल

GORAKHPUR: नवरात्रि पूजा शुरू हो गई है तो दशहरा मनाने की भी तैयारी जोरों पर है। जगह-जगह मां दुर्गा के पंडाल सजाए जा रहे हैं जिसे लेकर पुलिस-प्रशासन की ओर से दुर्गा पूजा पंडालों की सजावट के लिए गाइड लाइन जारी की गई है। लेकिन, कहीं भी पूजा समितियां उस गाइडलाइन को फॉलो करती नजर नहीं आ रहीं। इस हालात में किसी हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने गुरुवार को शहर में निर्माणाधीन पंडालों का जायजा लिया तो पंडालों की सुरक्षा तार-तार नजर आई।

जरा-सी स्पार्किंग बन सकती जी का जंजाल

जिले में करीब 2914 दुर्गा पंडाल बनाए जाएंगे। इसे बनाने के लिए कई मानक तय किए गए हैं। फायर डिपार्टमेंट की ओर से भी इसके लिए गाइड लाइन जारी की गई है। लेकिन शहर के विभिन्न स्थानों पर बन रहे पंडालों में सुरक्षा के मानक दरकिनार कर दिए गए हैं। शहर में सड़क किनारे स्थापित होने वाले ज्यादातर पंडाल बिजली के तारों के नीचे बेहद ही कम दूरी पर बनाए जा रहे हैं। ऐसे में बिजली के तारों की स्पार्किंग से अगलगी की घटना भी हो सकती है। किसी हादसे के बाद बचाव का भी कोई इंतजाम नजर नहीं आता।

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स्पॉट-1

मोहद्दीपुर, पावर हाउस गेस्ट हाउस

यहां हर साल पंडाल बनाया जाता है जिसकी खासियत होती है कि यह गुफानुमा होता है। इसमें मां वैष्णो देवी स्थान की ही तरह श्रद्धालु लाइन में लगकर मां दुर्गा के दर्शन करते हैं। दशहरा के दौरान कम से कम 20 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं लेकिन यहां भी पंडाल बनाने में मानक की अनदेखी की जा रही है। पंडाल के ठीक ऊपर से बिजली के तार गुजरे हैं। यदि चिंगारी निकली तो हादसा हो सकता है।

स्पॉट-2

दाउदपुर चौराहा, कैंट थाना के पास

यहां मोहल्ले में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की जाती है। यहां भी पंडाल बनाने का काम चल रहा है। चार-पांच युवक बांस-बल्ली पर चढ़कर स्ट्रक्चर तैयार करते नजर आए। लापरवाही यहां भी कम नहीं। बिजली के तारों से सटकर ही पंडाल का पूरा स्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। बांस के ऊपर जब पर्दे लगाए जाएंगे तो वह तारों के करीब पहुंच जाएंगे। ऐसे में हरदम खतरा बना रहेगा।

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यह जारी की गई है गाइड लाइन

- बिजली के तारों के नीचे पंडाल निर्माण नहीं होना चाहिए।

- यदि तारों के नीचे पंडाल बने तो पर्याप्त दूरी होनी चाहिए ताकि कोई खतरा न हो।

- लाइटिंग के लिए खुले तार, कटे और पुराने तारों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

- दुर्गा प्रतिमा पंडालों के गेट कम से कम तीन मीटर ऊंचे बनाए जाएंगे।

- पंडाल के चारों और तीन मीटर से अधिक की खुली जगह होनी चािहए।

- पंडाल के भीतर सिथेंटिक कपड़ों और रस्सी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

- पंडाल में तिरपाल, सूती, आग रोधी कपड़ों का यूज किया जाना चाहिए।

- बल्ली और बांस को बांधने के लिए नारियल और सूती रस्सी का प्रयोग करना चाहिए।

- पंडाल की इंट्री प्वाइंट और एग्जिट की ऊंचाई और चौड़ाई पांच मीटर से अधिक होनी चाहिए।

- पंडाल की इंट्री प्वाइंट और एग्जिट प्वाइंट्स 15 मीटर से अधिक न हो, इमरजेंसी के लिए दो एग्जिट बनाया जाए।

- पंडाल के पास कम से कम दो सौ लीटर के ड्रम में पानी भरकर रखा जाएगा। बालू और पानी के लिए बाल्टी भरी रहेगी।

- पंडाल के भीतर और बाहर इमरजेंसी टेलीफोन, मोबाइल नंबर भी लिखे जाएंगे। संपर्क अधिकारियों का नाम अंकित किया जाएगा।

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इन नंबर्स पर मिल सकती है मदद

100 : पुलिस कंट्रोल रूम

101 : अग्निशमन विभाग कंट्रोल रूम नंबर

0551-2333333 : अग्निशमन विभाग

9454418789 : अग्निशमन अधिकारी

9454418792, 9454418793, 9454418341, 9454418790, 9454418791 : अन्य अधिकारीगण

नोट: लोकल थाना और पुलिस चौकी पर भी सूचना दी जा सकती है।

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पंडाल बनाने के लिए मानक तय किए हैं। पूजा समितियों के पदाधिकारियों से कहा गया है कि हर पहलू का ध्यान रखें। यदि कहीं लापरवाही हो रही है तो इसकी जांच कराई जाएगी। लापरवाही सामने आने पर उसे दुरुस्त कराने को कहा जाएगा।

- सत्येंद्र पांडेय,

अग्निशमन अधिकारी

Posted By: Inextlive