लोगो: एक्सक्यूज मी

-शहर के कई रास्तों पर महिलाओं के लिए नहीं हैं एक भी टॉयलेट

-फ्रेश होने के लिए महिलाओं को तय करना पड़ता है लंबा सफर

GORAKHPUR: सिटी के विभिन्न रूटों पर टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। इसके चलते महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बुधवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम ने सिटी में पांच बिजी रूट्स का रियलिटी चेक किया। इस दौरान टीम ने वहां मौजूद महिलाओं से बात भी की। महिलाओं ने अपना दर्द शेयर करते हुए कहा कि उन्हें अक्सर यह डर सताता रहता है कि अगर बीच रास्ते टॉयलेट की जरूरत पड़ी तो कहां जाएंगी? कई बार तो सिचुएशन ऐसी बनती है कि उन्हें बीच रास्ते से घर लौटना पड़ता है।

गणेश चौक से बेतियाहाता

(दूरी 03 किमी)

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम गणेश चौक से बेतियाहाता रास्ते पर पहुंची। करीब तीन किलोमीटर की दूरी में एक भी शौचालय नहीं मिला। इसी रूट पर हमारी मुलाकात कामना मलकानी से हुई। पेशे से हाउसवाइफ कामना बुधवार को मार्केट में शॉपिंग करने आई थीं। उन्होंने कहा कि मार्केट में महिलाओं के लिए टॉयलेट न होने से काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। जो पब्लिक टॉयलेट नगर निगम की तरफ से बने हैं, उनकी भी प्रॉपर सफाई नहीं होती। अगर इसको यूज किया तो इंफेक्शन का भी खतरा बना रहता है। बेतियाहाता के पास एक यूरिनल है, लेकिन सिर्फ पुरुषों के लिए है।

कॉलिंग

मार्केट में अलग-अलग जरूरतों के लिए आना-जाना लगा रहता है। गणेश चौक से बेहियाहाता तक एक भी महिला टॉयलेट न होने से प्रॉब्लम होती है। हम तो घर से निकलने से पहले फ्रेश हो लेते हैं। कई जगह पर शौचालय हैं, लेकिन सफाई न होने की वजह से इसमें जाना संक्रमण को दावत देने जैसा है।

-कामना मलकानी, हाउसवाइफ

गणेश चौक से विजय चौक

(दूरी डेढ़ किमी)

इस रूट पर रियलिटी चेक के दौरान दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम की मुलाकात शालिनी सिंह से हुई। शालिनी ने बताया कि वो काफी देर से ढंग का टॉयलेट ढूंढ रही हैं। उन्होंने पास के एक महिला दुकानदार से पूछा तो पता चला कि बैंक रोड पर एक पब्लिक टॉयलेट है लेकिन वह काफी दूर है। जबकि यह काफी भीड़ भाड़ वाला इलाका हैं। इस रास्ते पर मॉल और कई शॉप हैं। लेकिन टॉयलेट की सुविधा नहीं हैं। इसके चलते नाते महिलाओं को काफी परेशानी होती है। विजय चौराहे के ठीक बगल में सिर्फ पुरुषों के लिए ही एक यूरिनल बनवाया गया है।

गणेश चौक से विजय चौक का मार्केट काफी वीआईपी हैं। यहां पर कपड़े, ज्वैलरी और मोबाइल के साथ अन्य दुकानें हैं। शहर स्मार्ट सिटी की राह पर हैं लेकिन महिला टॉयलेट नहीं हैं। इसके चलते महिलाओं को काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है।

-प्रियंका गुप्ता

शास्त्री चौक से रेती चौराहा

(दूरी करीब दो किमी)

इसके बाद दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम शास्त्री चौक पर पहुंची। इस रास्ते का रियलिटी चेक करने के दौरान सिर्फ एक ही पब्लिक टॉयलेट मिला। यहां पर सीमा अपने फैमिली मेंबर्स के साथ शौचालय तलाश करते हुए नजर आई। जब वह बगल में स्थित पब्लिक टॉयलेट में पहुंची तो यहां पर गंदगी का अंबार लगा हुआ था। उन्होंने आसपास के लोगों से किसी अन्य पब्लिक टॉयलेट के बारे में पूछा। लेकिन इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे सका। मजबूरी में वह सीधे अपने घर वापस लौट गई।

कहने को तो सीएम सिटी है लेकिन यहां पब्लिक टॉयलेट का प्रॉपर इंतजाम नहीं है। अगर हैं भी तो उसके लिए काफी दूरी तय करनी पड़ती है। यदि टॉयलेट लग गया तो परेशानी होती है। सबसे ज्यादा बुजुर्ग महिलाओं को प्रॉब्लम होती है। जिम्मेदारों को चाहिए कि महिलाओं के लिए टॉयलेट बनवाया जाए।

-मीनू गोयल

रेती चौक से बक्शीपुर

(दूरी करीब दो किमी)

रेती चौक से बक्शीपुर एरिया में सिर्फ जुबली इंटर कॉलेज के पास एक शौचालय बना हुआ है। अर्चना गुप्ता का कहना है कि शहर में शौचालय की दूरी काफी अधिक है। जो टॉयलेट है भी वह यूज करने लायक नहीं है। साफ-सफाई नहीं होने के चलते इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। कई जगहों पर गंदे पोस्टर और दीवारों पर पानी की पीक होने की वजह से अंदर जाना भी पसंद नहीं करते हैं। अर्चना ने बताया कि इस एरिया में महिला टॉयलेट न होने की वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

अक्सर कॉलेज और कोचिंग जाना होता है। शहर के मार्गो पर महिला टॉयलेट न होने की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। रास्ते में कहीं भी नैचुरल कॉल आ जाए तो शर्म के मारे महिलाएं किसी से कुछ भी नहीं कह पाती है। इसलिए शहर में वुमन टॉयलेट होना बेहद जरूरी है। इस तरफ जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए।

-स्नेहा मद्धेशिया

यूनिवर्सिटी चौराहे से कूड़ाघाट

(करीब तीन किमी)

यूनिवर्सिटी रोड पर सबसे ज्यादा छात्राओं का आना जाना लगा रहता है। वहीं मोहद्दीपुर से कूड़ाघाट के मार्केट में अक्सर महिला कस्टमर्स का आना-जाना लगा रहता है। इस रास्ते पर सिर्फ एक ही पब्लिक टॉयलेट है,वह भी काफी दूरी पर है। रागनी मिश्रा ने बताया कि महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट न होने की वजह से काफी प्रॉब्लम होती है। जो बनाए भी गए हैं वह यूज लायक नहीं हैं। इसलिए मार्केट में आने से पहले ही महिलाएं घर से ही फ्रेश होकर निकलती हैं। यदा-कदा यह कहीं परेशानी होती है तो शौचालय ढूंढना पड़ता है। काफी दिक्कत होने पर सीधे घर लौटना पड़ता है।

अक्सर मार्केट से साथ कोचिंग भी अना पड़ता है। मोहद्दीपुर से यूनिवर्सिटी चौराहे तक एक भी महिला टायलेट नहीं हैं। जो टायलेट बनाए गए हैं उसकी समय-समय पर सफाई न होने की वजह से संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसलिए ज्यादातर महिलाएं इसे इस्तेमाल तक नहीं करती है।

प्रियंका श्रीवास्तव

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यह होती है परेशानी

-पब्लिक प्लेसेज पर महिला टॉयलेट न होने से महिलाओं को शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

-ज्यादा देर तक पेशाब रोकने और पानी कम पीने के कारण महिलाओं के शरीर में कई खतरनाक बीमारियां हो जाती हैं।

-जैसे गुर्दे की तरह-तरह की बीमारियां, किडनी फेल होना, पेशाब की नलियों में रुकावट या फिर कई तरह के यूरीनल इंफेक्शन आदि।

-ऐसे में उन्हें गुप्त व प्रकट बीमारियों से अकेले चुपचाप लड़ना पड़ता है।

-मासिक चक्र के समय में सार्वजनिक स्थलों पर टॉयलेट की कमी कितनी ज्यादा खलती है इसके बारे में महिला ही बता सकती है।

वर्जन

ज्यादा देर तक पेशाब रोकने और पानी न पीना सेहत के लिए हानिकारक है। साथ ही कई बीमारियों के चपेट में आने की आशंका है। जैसे किडनी फेल होना, पेशाब की नलियों में रुकावट या फिर यूरिनल इंफेक्शन जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।

-डॉ। नवीन वर्मा, स्किन रोग विशेषज्ञ

Posted By: Inextlive