ओमिस्योर किट से कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की पहचान हो सकेगी. आरटीपीसीआर मशीन में लगने वाली इस किट से कोरोना टेस्ट भी हो सकेगी. तीन से चार घंटे के अंदर इसकी रिपोर्ट भी आ जाएगी. इस स्वदेशी किट को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर की ओर से मंजूरी भी मिल गई है. यह किट इसी माह रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर आरएमआरसी को मिल जाएगी.


गोरखपुर (ब्यूरो)। जिले में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन इन सबके बीच हेल्थ डिपार्टमेंट को यह जानकारी नहीं मिल पा रही है कि आखिर कौन सा वैरिएंट जिले में संक्रमण फैला रहा है। इसे लेकर कई बार जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भी भेजे गए, लेकिन उनकी रिपोर्ट नहीं आई। ऐसे में यह स्वदेशी किट नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का पता लगाने में काफी मददगार साबित होगी। आरएमआरसी के सीनियर वैज्ञानिक डॉ। अशोक पांडेय ने बताया कि इस किट को अमेरिका आधारित कंपनी थर्मो फिशर ने डिजाइन और विकसित किया है, जबकि टाटा की ओर से निर्मित किया गया है। इस किट को आईसीएमआर की ओर से मंजूरी भी मिल गई है। इससे पहले ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद ली जा रही थी, लेकिन अब ओमिश्योर की मदद से ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता तुरंत लगाया जा सकेगा।


दो स्तर पर काम करती है किट

डॉ। अशोक पांडेय ने बताया कि ये किट दो स्तरों पर काम करती है। सबसे पहले यह पेशेंट में कोरोना संक्रमण की पुष्टि करती है और दूसरा इस बात की भी पुष्टि करती है कि क्या पेशेंंट में ओमिक्रॉन वैरिएंट है या नहीं? किट का रन टाइम 85 मिनट और टर्न अराउंड टाइम 130 मिनट है। कुल मिलाकर साढ़े तीन से चार घंटे के अंदर संक्रमण और ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लग जाएगा।वर्जनआईसीएमआर की ओर से इसी माह आरएमआरसी को ओमिस्योर किट उपलब्ध कराई जाएगी। इसके बाद ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता आसानी से लगाया जा सकेगा। ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।डॉ। अशोक पांडेय, मीडिया प्रभारी, आरएमआरसी

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