- सेंटर पर अन्य के खिलाफ नहीं होती कोई कार्रवाई

- सॉल्वर तक सिमटा एक्शन, आसानी से होती कमाई

GORAKHPUR: जिले में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सॉल्वर गैंग ने जाल फैला दिया है। गोरखपुर और आसपास के जिलों में इस रैकेट से जुड़े लोगों पर प्रभावी कार्रवाई न होने से इनका दायरा बढ़ता जा रहा है। परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स दोहरे फायदे के चक्कर में रैकेट में शामिल होकर सॉल्वर बन रहे हैं। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं से ताल्लुख रखने वाले कई लोग फूंक-फूंककर कदम उठाने लगे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में दर्ज हुए मामलों की पड़ताल की जाएगी। इससे जुड़े सभी लोगों के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की होगी।

शहर में फैला है रैकेट

एसएटीएफ गोरखपुर यूनिट ने एसएससी मध्य क्षेत्र की ओर से आयोजित दिल्ली पुलिस के पुरुष और महिला सिपाही भर्ती परीक्षा में सॉल्वर गैंग के 12 लोगों को अरेस्ट किया। शुक्रवार रात पैडलेगंज के पास हुई कार्रवाई में पकड़े गए लोगों से पूछताछ में सामने आया कि शहर के दो सेंटर पर गड़बड़ी की जा रही थी। उनके खिलाफ कूट रचित दस्तावेज तैयार करने, जालसाजी करने और आईटी एक्ट का मामला दर्ज किया गया। पकड़े गए गैंग के सदस्यों में गोरखपुर, बिहार, प्रयागराज, संतकबीर नगर और कुशीनगर जिले के शातिर शामिल हैं।

गुलरिहा के लोग भी जुड़े

जिम्मेदारों की मानें तो इनका सरगना बिहार के सासाराम निवासी महेंद्र सिंह है। गैंग में धनंजय कुमार उर्फ विधायक, गोरखपुर जिले के राम आशीष मिश्रा, विकास सिंह, विजेंद्र यादव, औरैया निवासी अभिषेक कुमार यादव, इटावा के पिंटू यादव, अशोक कुमार मौर्य, प्रयागराज निवासी जयप्रकाश यादव, देवरिया के अजीत सिंह, संत कबीरनगर के महेंद्र प्रताप और कुशीनगर के अरविंद सिंह भी सदस्य हैं। इनसे पूछताछ में पता लगा है कि गुलरिहा एरिया में कुछ लोग सॉल्वर गैंग से जुड़े हुए हैं। वह लोग पहले से ही बैंक सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं में पास कराने का ठेका लेते हैं। इसके अलावा शहर में इनके रैकेट के सदस्य, कैंडिडेट्स खोजकर सेटिंग करते हैं। मोबाइल सर्विलांस के जरिए एसटीएफ उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है जिन्होंने इस गैंग के जरिए सेटिंग की है। हालांकि पहले सामने आए मामलों में ऐसे लोगों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी।

ऐसे काम करता है गैंग

- आनलाइन परीक्षा के लिए गैंग के सदस्य कैंडिडेट्स तलाशते हैं।

- कैंडिडेट्स तलाश कर लाने वाले सदस्यों को 50 हजार रुपए से एक लाख मिलता है।

- सेंटर पर तैनात कर्मचारी सॉल्वर की इंट्री कराते हैं। उनको 30 हजार से अधिक रकम दी जाती हैं।

- कैंडिडेट्स की जगह एग्जाम देने वाले सॉल्वर को 50-50 हजार रुपए में तय किया जाता है।

- एग्जाम के पहले सबका खर्च लिया जाता है। बकाया रकम एग्जाम दिलाने के बाद ली जाती है।

बिना मिलीभगत के संभव नहीं एग्जाम

किसी भी आनलाइन सेंटर पर एग्जाम के दौरान पूरी सख्ती बरती जाती है। कोविड संक्त्रमण को देखते हुए ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। सेंटर पर पहुंचने वाले कैंडिडेट्स का एडमिट कार्ड गेट पर चेक किया जाता है। फिर उनको भीतर जाने दिया जाता है। इसके बाद कोविड संक्रमण को देखते हुए थर्मल स्कैनिंग और सेनेटाइजेशन कराया जाता है। एडमिट कार्ड और आवश्यक दस्तावेजों की जांच करके बाद आगे जाने दिया जाता है। अगले डेस्क पर कंप्यूटर के जरिए कैंडिडेट्स की डिटेल की मिलान की जाती है। कैमरे के सामने खड़ा कराकर उनको सीट एलॉट किया जाता है। एलॉटमेंट के बाद कैंडिडेट्स को उनके सिस्टम पर बिठाया जाता है। कम से कम पांच जगहों पर होने वाली सघन जांच पड़ताल के बाद कैंडिडेट्स कंप्यूटर सिस्टम तक पहुंचते हैं। ऐसे में बिना सेंटर संचालक और कर्मचारियों की मिलीभगत के किसी को परीक्षा दिला पाना संभव नहीं है। पूर्व में जो भी मामले पकड़े गए हैं। संचालकों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है। माना जा रहा है कि उनकी रसूख के आगे पुलिस की जांच ठप हो जाती है।

पूर्व में पकड़े गए ये मामले -

13 अगस्त 2019 : स्वास्तिक आनलाइन प्रकाश कांपलेक्स पर कैंडिडेट की जगह परीक्षा दे रहे नवलेश को पकड़ा गया। गया, बिहार निवासी नवलेश बिहार के ही रविशंकर की जगह एग्जाम देने आया था।

06 अगस्त 2019: पिपराइच एरिया के जंगल धूसड़ में ई टेक्निकल सेंटर पर एसएससी की आनलाइन परीक्षा में बिहार के जहानाबाद के बलजीत कुमार सिंह, नालंदा के सुबोध कुमार, थल्लू बिहार के राजेश कुमार और नालंदा के राहुल कुमार को क्त्राइम ब्रांच की टीम ने पकड़ा।

31 अक्टूबर 2018: रेलवे की ग्रुप डी की परीक्षा में स्वास्तिक सेंटर से बिहार के जहानाबाद के सॉल्वर दिनेश कुमार और नालंदा के राजीव कुमार को पकड़कर जेल भेजा गया।

14 सितंबर 2018: नौसढ़ के स्वास्तिक सेंटर से यूपीपीसीएल के एग्जाम में बस्ती के अलमास, गोरखपुर जिले के दिलीप कुमार और छपरा के रोशन कुमार और मुजफ्फरपुर राजीव यादव पकड़े गए। इनके खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया।

इन सवालों का नहीं मिलता जवाब?

सेंटर पर साल्वर गैंग के सदस्यों की इंट्री कैसे हो जाती है।

सॉल्वर गैंग को इंट्री दिलाने वाले कौन-कौन लोग शामिल होते हैं।

कई कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना सेंटर पर इंट्री पाना संभव नहीं है।

सिर्फ एक-दो कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करके पुलिस फाइल क्यों बंद कर देती है।

सेटिंग से एग्जाम दिलाने के मामले में प्रभावी कार्रवाई का अभाव है। गैंग पर शिकंजा नहीं कस पाता।

सॉल्वर गैंग से संबंधित सभी मामलों की पड़ताल की जाएगी। गैंग में शामिल सभी सदस्यों के गैंगेस्टर की कार्रवाई करते हुए पुलिस उनकी प्रॉपर्टी जब्त कराएगी।

जोगेंद्र कुमार, एसएसपी

Posted By: Inextlive