-लॉकडाउन में फंसे वाहनों से 80 गुना वसूल रहे संचालक - पैसा लेने के सवाल पर लड़ने

-लॉकडाउन में फंसे वाहनों से 80 गुना वसूल रहे संचालक

- पैसा लेने के सवाल पर लड़ने के लिए उतारू है कर्मी

-अनलॉक के बाद पहुंच रहे वाहन स्वामी, लिए जा रहे 1200 से 1400 रुपए

लॉकडाउन में जहां लोगों के आवाजाही पर सरकार की ओर से बैन लगा दिया गया था। लोग अपने घरों में कैद रहे तो वहीं जहां तहा सभी चीजें ठप हो गई थी। ट्रेन व रोडवेज बसों का भी संचालन बंद हो गया। जिसके कारण स्टैंड में गाडि़यां भी फंस गई। अब जब अनलॉक हुआ है तो लोग साईकिल स्टैंड में फंसी गाडि़यों को लेने पहुंच रहे हैं। लेकिन स्टैंड संचालक उनसे 60 से 70 दिन का स्टैंड चार्ज वसूल रहे है। जिसकी वजह से वाहन मालिक के जेब पर भारी पड़ रहा है। लॉकडाउन में फंसने का हवाला देने पर विवाद की स्थिति हो जा रही है।

25 मार्च को लॉकडाउन के बाद रेलवे स्टैंड में फंसे पड़े हैं सैकड़ों वाहन

कोरोना वायरस के चलते 25 मार्च को अचानक हुए लॉकडाउन के कारण सबकुछ ठप हो गया। जो जहां गया वहीं फंस गया। गोरखपुर से अन्य जनपदों में जॉब करने वालों की गाडि़यां भी रेलवे साइकिल स्टैंड में फंस गई। अब वाहन मालिक अपने वाहन के लिए परेशान थे कि वह कैसे स्टैंड से निकाले। लेकिन लॉकडाउन की वजह से गाडि़यां फंसी रही। अब गाडि़यों के फंसने का फायदा स्टैंड संचालक उठाने में लगे हुए हैं।

स्टैंड में अक्सर रहता था ताला बंद, लौट जाते थे वाहन स्वामी

लॉकडाडन में किसी तरह से अपनी बाइक लेने के लिए वाहन मालिक रेलवे स्टैंड पर पहुंचते भी थे। लेकिन मेन गेट पर अक्सर ताला बंद रहता था। अब जब सामान्य हो गया तो वह बाइक लेने के लिए स्टैंड पहुंच रहे हैं। ऐसे में उन्हें 1200 से 1400 रुपए मांगे जा रहे हैं। इसे लेकर लोगों में स्टैंड संचालकों पर काफी गुस्सा हैं। कुछ लोगों ने इसकी कंप्लेन भी की है।

रेलवे स्टैंड में सामान्य दिनों में जमा होती है बाइक--1200

-डेली जमा होती है बाइक--500

-लॉकडाउन के बाद खड़ी बाइक की संख्या--100 से 150

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रेलवे स्टैंड का चार्ज

दर साइकिल स्कूटर व मोटर साइकिल

4 घंटे के लिए 5.90 रु। 11 रु।

4 से 24 घंटे के लिए 8.26 रु। 14 रु।

कोट

19 मार्च को रेलवे साइकिल स्टैंड में अपनी बाइक खड़ी कर डुमरियागंज चला गया। इसी बीच लॉकडाउन के कारण बाइक स्टैंड में ही फंसी ही रह गई। स्टैंड से बाइक लाने गया तो मेन गेट में ताला बंद होने की वजह से वापस लौट आया। अब जब स्थितियां सामान्य हुई तो बाइक लेने पहुंचा। कर्मचारियों ने 73 दिन का 1140 रूपए की डिमांड की। जब पैसा देने से इंकार किया तो झगड़ा करने के लिए उतारू हो गए। बाइक स्टैंड में ही छोड़ कर घर चला आया हूं।

कृष्णा कुमार

रेग्यूलर काम से गोरखपुर से बाहर आते जाते रहते हैं। स्टैंड में बाइक जमा कर दिया जाता है कि सेफ रहे। अचानक लॉकडाउन के चलते फंस गए। अब मजबूरी का फायदा स्टैंड संचालक उठा रहे हैं।

आशुतोष तिवारी

कोरोना वायरस की वजह से सब कुछ बंद हो गया। पुलिस वालों ने घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी थी। उधर बाइक स्टैंड में फंस गई थी। अब जब स्थितियां सामान्य हुई हैं तो संचालक चार्ज कम लेने के बजाय तीन माह का एक साथ पैसे मांग रहे हैं। जिसकी वजह से परेशानी हो रही है।

राम कुमार दुबे

साइकिल स्टैंड संचालक लॉकडाउन के दौरान फंसी गाड़ी के स्वामी में थोड़ा रहम करनी चाहिए। क्योंकि उनकी मजबूरी थी वह खुद ही अन्य जिले में दो माह से फंस रहे। अब जब गाड़ी लेने पहुंच रहे हैं तो ऐसे में संचालक को छूट देनी चाहिए।

सचिन शुक्ला

स्टैंड में जो गाडि़यां हैं। उनके मालिक से केवल निर्धारित चार्ज ही लिए जा रहे हैं। उनसे किसी प्रकार का अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जा रहा है। विवाद की बात गलत हैं। लॉकडाउन में वैसे ही काफी नुकसान हो चुका है। कर्मचारियों को वेतन देने के भी लाले पड़ गए हैं।

संदीप गुप्ता, स्टैंड संचालक

Posted By: Inextlive