- ऑफिस जाने के चक्कर में भूल गए लॉकडाउन के नियम

- बहाने करके लोग घरों से निकले, जांच में पुलिस ने लौटाया

GORAKHPUR: कहां चले जा रहे हैं। हहमको ऑफिस जाना है। जाने दीजिए सर, किस विभाग में काम करते हैं। अरे अपना आई कार्ड दिखाइए नहीं वो तो भूल गए। तब वापस जाइए। बहुत लोग घूमने के लिए निकल गए हैं। ऐसा थोड़े है कि सब कुछ खुल गया है। लॉकडाउन पहले जैसे ही लागू है। बिना वजह आप लोग भागे चले जा रहे हैं। कुछ ऐसा हाल सोमवार की सुबह 10 बजे मोहद्दीपुर चौराहे पर नजर आया। लॉकडाउन में लंबे समय के बाद ऑफिस खुलने पर लोग सरपट भागे जा रहे थे। ऐसे लोगों को देख पुलिस के पसीने छूट गए। ऐसा नहीं था कि सिर्फ एक चौराहे का ये हाल था। सुबह नौ बजे से लेकर 11 बजे तक विभिन्न चौराहों पर पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। हालांकि सख्ती बरतते हुए पुलिस ने कुछ लोगों को लौटा दिया तो कुछ लोगों का चालान भी काटा।

मास्क लापता, सोशल डिस्टेंसिंग का बना मजाक

14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन का सेकेंड फेज शुरू हुआ। 20 अप्रैल को शहर के सरकारी दफ्तरों में कामकाज शुरू हुआ। पुलिस-प्रशासन के दफ्तर तो पहले से खुले हुए थे। लेकिन अन्य जगहों पर काम शुरू होने से बड़ी संख्या में कर्मचारी घरों से निकल पड़े। हालांकि सरकारी कर्मचारियों के लिए यह निर्धारित किया गया था कि सिर्फ 33 प्रतिशत लोग ऑफिस में पहुंचें। इस दौरान लोगों के मुंह से मास्क तो गायब ही थे, किसी ने सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान नहीं दिया।

हर चौराहे का यही हाल, बेवजह घूमने निकले लोग

सरकारी कर्मचारियों के बहाने कई लोग घूमने निकले गए। पुलिस ने जब उनसे आई कार्ड मांगा तो कुछ नहीं दिखा सके। चेकिंग में पता लगा कि सरकारी कर्मचारियों के बहाने कई लोग बेवजह घूमने निकल गए हैं। कुछ लोगों ने जिला अस्पताल का एक रुपए का पर्चा दिखा जाने की कोशिश की। कचहरी खुलने का हवाला देकर अधिवक्ता भी बैरियर से निकलने की जुगत में लगे रहे। कुछ लोग सोशल मीडिया पर गलत सूचना के आधार पर घर से निकल गए थे।

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होती रही तैयारियां, तीन दिन बाद शुरू होगा काम

लॉकडाउन के बीच गवर्नमेंट ऑफिसेज में काम शुरू हुआ तो गोरखपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी में भी वर्क प्रॉसेस शुरू हो गई। गवर्नमेंट की गाइडलाइन पहुंची है और इसके हिसाब से ठेकेदारों को क्या करना है और क्या नहीं?, कर्मचारियों और मजदूरों के लिए क्या-क्या इंतजाम करने हैं, इसकी फेहरिस्त तैयार की गई और इसके बाद इसे ड्राफ्ट कर ठेकेदारों को सौंपा गया है। अब वेंडर्स इसके अकॉर्डिग अपनी तैयारी कंप्लीट कर लेंगे, तो उन्हें कंस्ट्रक्शन स्टार्ट करने की परमिशन दी जाएगी। इसके लिए जीडीए पहले सर्वे करेगा और इसके बाद वहां के हालात का मुआयना करने के बाद काम शुरू करने से संबंधित फैसला लेगा। जीजीए वीसी अनुज सिंह ने बताया कि चार अहम काम को शुरू करने की तैयारी है। पत्रकार पुरम, प्रधानमंत्री आवास, मल्टीलेवल पार्किग और लेक व्यू वर्क से जुड़े वेंडर्स को तैयारी करने के लिए कहा गया है। इन चारों को ही टाइम लिमिट में कैसे पूरा किया जाए, इसके लिए भी जीडीए मंथन कर रहा है।

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सर, वॉटर प्यूरीफायर खराब है कैसे बनवाएं

लॉकडाउन में विभिन्न तरह के मैकेनिक की सुविधा उपलब्ध न होने से लोग परेशान हो उठे हैं। बिजली के उपकरण खराब हो जाएं या फिर एसी और पंखा जवाब दे जाए, लॉकडाउन में पास के अभाव में मैकेनिक आवाजाही नहीं कर पा रहे। सबसे ज्यादा प्रॉब्लम वॉटर प्यूरीफायर को लेकर सामने आ रही है। सिटी में करीब दो लाख वॉटर प्यूरीफायर इंस्टॉल्ड हैं। इंट्रीग्रेटेड कंट्रोल रूम में कोई इंतजाम न होने से पब्लिक को दुश्वारी झेलनी पड़ रही है। कंट्रोल रूम के सह प्रभारी, सहायक निदेशक बचत बृजेश यादव ने बताया कि प्लंबर, मैकेनिक की सुविधा देने के संबंध में कोई व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं, यदि लोग किसी मैकेनिक को फोन कर रहे हैं तो लॉकडाउन का हवाला देकर मैकेनिक अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ले रहा है। मैकेनिक का यह भी कहना है कि यदि वह किसी तरह से आ भी जाए तो जरूरी सामान कहां से लाएगा। दुकानों के खुले बिना कोई सुविधा नहीं मिल सकेगी। इसलिए लेागों को काफी प्रॉब्लम हो रही है।

नहीं खुली वेबसाइट, लटका बीएस-4 रजिस्ट्रेशन

आरटीओ में परिवहन विभाग की केंद्रीय वेबसाइट के सोमवार को एक बार फिर नहीं खुलने से बीएस-4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका। अफसरों का कहना है कि एनआईसी से लिंक होने के बाद ही वेबसाइट खुलेगी। देश के कई जिले रेड और ऑरेंज जोन में हैं, जिससे वेबसाइट नहीं खोली गई है। इस संबंध में हेडक्वार्टर को सूचना दे दी गई है। आरटीओ भीमसेन सिंह के अलावा विभाग के तीन कर्मचारी संजय सिन्हा, दिलीप श्रीवास्तव और अभिषेक पांडेय पहुंच गए थे। एआरटीओ प्रशासन एसपी श्रीवास्तव भी पहुंचे हुए थे। लेकिन वाहन पोर्टल की वेबसाइट न खुलने की वजह से रजिस्ट्रेशल कार्य नहीं हो सका। अब मंगलवार को कार्यालय खुलने के बाद ही कार्य शुरू हो सकेगा।

वर्जन

कैंट सर्किल में करीब 70 फीसदी ऑफिसेज हैं। ज्यादातर लोग कन्फ्यूजन में ऑफिस के लिए निकल गए थे। सभी जगहों पर लोगों को रोक-रोककर समझाया गया। कुछ लोग झांसा देकर घूमने आए थे। चेकिंग में उनको लौटा दिया गया।

सुमित शुक्ला, सीओ कैंट

Posted By: Inextlive