पितरों के प्रति आस्था निवेदित करने का पर्व पितृ विसर्जन में रविवार को है. 15 दिनों तक चलने वाले इस पर्व के अंतर्गत जिन्हें अपने पितरों की तिथि ज्ञात नहीं है वे इस दिन श्राद्ध कर्म कर पितरों को तृप्त करेंगे. वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार रविवार को सर्वपैत्री अमावस्या है. इस दिन अमावस्या संपूर्ण दिन और रात्रि शेष तीन बजकर 24 मिनट तक है. इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र पूरे दिन और रात्रि पर्यंत शुभ योग और मित्र नामक औदायिक योग भी है. सूर्य और चंद्रमा दोनों की स्थिति कन्या राशिगत होने से पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए ये सर्वोत्तम दिन है.


गोरखपुर (ब्यूरो).पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, पितृ विसर्जन के दिन उन लोगों का श्राद्ध तर्पण किया जाता है, जिनके परिजनों को पितरों की देहांत तिथि ज्ञात नहीं होती है या तिथि भूल जाते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से भोजन पितरों को उसी रूप में मिलता है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। अगर मनुष्य योनि में हो तो अन्न रूप में उन्हें भोजन मिलता है, पशु योनि में घास के रूप में, नाग योनि में वायु रूप में और यक्ष योनि में पान के रूप में भोजन पहुंचाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन ब्राह्मण को भोजन और दान आदि से पितर तृप्त होते हैं।अमावस्या के दिन ऐसे करें श्राद्ध
पंडित राकेश पांडेय के अनसार, पितृ पक्ष के आखिरी दिन पिंडदान और तर्पण करें। पितरों के लिए भोजन साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर बनाएं पितरों के लिए बनाए गए भोजन से पहले पंचबली भोग लगाएं। भोजन से पहले पांच ग्रास, गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवों के लिए निकालें। इसके साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराएं। इस दिन शाम को दो, पांच या सोलह दीपक जलाने की भी मान्यता है।

Posted By: Inextlive