GORAKHPUR : आखिर पीडि़त को टाइम पर क्यों नहीं न्याय मिलता? लचर कार्रवाई का फायदा उठा कर आरोपी क्यों बच जाते है? इसका सच थोड़ा कड़वा है. जी हां असल में जिम्मेदार है पुलिस की लचर व्यवस्था. एक सब इंस्पेक्टर पर दर्जनों केस की इनवेस्टिगेशन की जिम्मेदारी होती है. टाइम के अभाव के चलते वह सभी केस की जांच में पूरी ईमानदारी नहीं दिखा पाते और उसी के चलते केस की जांच प्रभावित होती हैं.


एक साथ कई ड्यूटी निभाते हैं थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर पर एक साथ कई ड्यूटी की जिम्मेदारी होती हैं। केस की इनवेस्टिगेशन के साथ-साथ लॉ एंड आर्डर बनाए रखने के अलावा और भी कई तरह की ड्यूटी होती है जैसे वीआईपी ड्यूटी, पंचनामा भरने, दबिश, गश्त और भी कई। एक टाइम पर कई ड्यूटी करने के चलते उनकी विवेचना लंबित होती जाती हैं। सिटी के कैंट थाने में ऐसे कई सब इंस्पेक्टर है जिनके ऊपर पचास से ज्यादा केस की विवेचना लंबित हैं।प्रभावित होती है इनवेस्टिगेशन  


ओवर वर्क लोड होने के चलते केस की विवेचना प्रभावित होती हैं। कम टाइम में ज्यादा केस की इनवेस्टिगेशन मैनुअल करने की जगह केवल पेपर तक में ही सीमित रह जाती हैं। मौक ए वारदात पर जाने की जगह ऑफिस में बैठ कर ही इनवेस्टिगेशन कर केस निपटाने का कोरम पूरा किया जाता हैं। जिसके चलते केस की विवेचना प्रभावित होती है और पीडि़त को पूरा न्याय नहीं मिल पता और आरोपी भी ढ़ीली कार्रवाई के चलते बच जाते हैं।इनवेस्टिगेशन की अलग विंग नहीं

केवल यूपी पुलिस में इनवेस्टिगेशन सेल अलग नहीं है। जबकि दिल्ली समेत कई प्रदेश में केस की इनवेस्टिगेशन के लिए और लॉ एंड आर्डर कायम रखने की अलग-अलग टीम होती है। जबकि सिटी पुलिस के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं हैं। थाने में तैनात एक सब इंस्पेक्टर के पास लॉ एंड आर्डर के साथ केस की जांच की भी जिम्मेदारी होती हैं। हाल में विवेचना लंबित की फेरिस्त बढ़ते पर अधिकारियों ने उसे निपटाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद कई सब इंस्पेक्टर ने छुïट्टी लेकर पेंडेंसी निपटाई थी।

Posted By: Inextlive