गोरखपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के निलंबन के बाद अब राजनैतिक सरगर्मी तेज हो गई है. जहां छात्र संगठन प्रोफेसर के सपोर्ट में आ गए हैं वहीं अब बाहर से भी प्रोफेसर को समर्थन मिलने लगा है. गुरुवार को लखनऊ यूनिवर्सिटी और उससे एफिलिएटेड कॉलेजेज के शिक्षक संघ भी प्रो. कमलेश गुप्ता के समर्थन में आगे आ गए हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। एक तरफ प्री-पीएचडी के स्टूडेंट्स सीबीसीएस के विरोध में पिछले तेरह दिन से धरने पर बैठे हैं, वहीं हिंदी डिपार्टमेंट के प्रो। कमलेश कुमार गुप्त का सत्याग्रह को भी लगातार जन समर्थन मिल रहा है। गुरुवार को कई संगठनों, पूर्व छात्र नेताओं के साथ ही यूनिवर्सिटी के दो सौ से अधिक छात्र-छात्राओं ने उनके समर्थन में धरना दिया। दूसरे दिन भी चली क्लास
वीसी प्रो। राजेश सिंह को हटाए जाने और उनके खिलाफ जांच की मांग को लेकर सत्याग्रह कर रहे प्रो। कमलेश गुप्त ने लगातार दूसरे दिन यूनिवर्सिटी के हेलीपैड पर स्टूडेंट्स की क्लास ली। एमए थर्ड सेमेस्टर के स्टूडेंट्स को उन्होंने 12 से 1 बजे के बीच पढ़ाया। बच्चों को पढ़ाने के बाद उन्होंने बताया कि एमए तृतीय सेमेस्टर के वैकल्पिक विषय 'कबीरÓ का कोर्स पूरा हो चुका है। जिन स्टूडेंट्स को इस विषय में कुछ शंकाएं थीं, उन्हें दूर किया गया। स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध रहना उनकी जिम्मेदारी है। इस दौरान कुल 13 छात्र-छात्राओं ने वहां विषय से सम्बंधित अपनी-अपनी शंकाओं को उनके समक्ष रखा, जिसे उन्होंने दूर किया।दो बजे से सत्याग्रह


उसके बाद पूर्व निर्धारित समय के अनुसार सवा दो बजे वे प्रशासनिक भवन स्थित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समक्ष पहुंचे और सत्याग्रह शुरू किया। उनके पहुंचने से पहले ही उनके समर्थन में कई पूर्व शिक्षक व पूर्व छात्र नेता जुटने लगे थे। उनके पहुंचने के बाद भी समर्थन के लिए लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। करीब दो सौ से अधिक स्टूडेंट वहां धरने पर बैठे रहे। उनमें 50 से अधिक छात्राएं भी मौजूद रहीं। सत्याग्रह से उठते समय उन्होंने सभी को समर्थन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। लूटा और लुआक्टा ने कुलाधिपति से मांगा न्याय लखनऊ यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ तथा लखनऊ यूनिवर्सिटी सहयुक्त कॉलेज शिक्षक संघ ने भी प्रो। कमलेश के सत्याग्रह का समर्थन किया है। लूटा के अध्यक्ष डॉ। विनीत कुमार वर्मा व महामंत्री डॉ। राजेन्द्र कुमार वर्मा तथा लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ। मनोज पांडेय व महामंत्री डॉ। अंशु केडिया ने संयुक्त विज्ञप्ति में कहा है कि वे शिक्षक पर की गई दमनकारी कार्यवाही का विरोध करते हैं। उन्होंने कुलाधिपति से भी अनुरोध किया है कि प्रो। कमलेश की न्यायोचित मांगों पर कार्यवाही करें।समर्थन में ये रहे उपस्थित

डीडीयू के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो। अनंत मिश्र, उप्र यूनिवर्सिटी आवासीय महासंघ के अध्यक्ष प्रो। चितरंजन मिश्र, प्रो। शिवशरण दास, फुपुक्टा के संयुक्त मंत्री डॉ। श्रीभगवान सिंह, गुआक्टा के अध्यक्ष डॉ। केडी तिवारी, पूर्व अध्यक्ष डॉ। श्रीश मणि त्रिपाठी, गोरखपुर-फैजाबाद यूजी निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी डॉ। संजयन त्रिपाठी, कवि देवेन्द्र आर्य, स्ववित्त पोषित वित्त विहीन महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ। चतुरानन ओझा, पूर्व छात्र नेता फतेह बहादुर सिंह, चेतना पांडेय, नारायण दत्त पाठक, गौरव वर्मा समेत 200 से अधिक स्टूडेंट मौजूद थे।प्रो। कमलेश गुप्त के निलंबन का समाचार जब सुना और अखबार में देखा तो मुझे इमरजेंसी याद आ गई। जैसा मैं जानता हूं, उस दौर में जैसे आरोप लगाकर विरोधियों को गिरफ्तार कर लिया जाता था। प्रो। कमलेश पर लगे आरोप भी उसी तरह झूठे और हास्यास्पद हैं। उस समय इंदिरा गांधी सत्ता के मद में थीं। आज यूनिवर्सिटी के वीसी सत्ता के मद में अनाप-शनाप निर्णय ले रहे हैं। सभी को चाहिए कि इस आराजकता का विरोध करें और कमलेश गुप्त के समर्थन में जो कुछ कर सकें, वह करें।प्रो। अनंत मिश्र, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिन्दी, डीडीयू

Posted By: Inextlive