दुनिया के सबसे ज्यादा पॉल्युटेड शहरों में 50 में से 39 इंडिया के हैं. दुनिया के 131 देशों के 30 हजार ग्राउंड बेस्ड मॉनिटरिंग और सरकार से मिले डाटा की स्टडी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।सबसे ज्यादा पॉल्युटेड सिटी पाकिस्तान का लाहौर है। इंडिया में टॉप पर दिल्ली और भिवाड़ी है। देश में पॉल्युशन के हालात बेकाबू हैं। गोरखपुर के रिहायशी इलाके भी नापाक हवा की जद में आने लगे हैं। मंगलवार-बुधवार रात यहां के रिहायशी इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 153 एक्यूआई के साथ मॉडरेट जोन रहा। फरवरी में खराब रही है इंडस्ट्रियल जोन की हवा


एमएमएमयूटी के साइंटिफिक असिस्टेंट सत्येंद्र नाथ यादव ने बताया कि गोरखपुर में रेसिडेंशियल जोन की मॉनीटरिंग अब डे टू डे बेसिस पर हो रही है। इसका एयर क्वालिटी इंडेक्स ऑन एवरेज 110 से 130 के बीच बना हुआ है। वहीं फरवरी की बात करें तो इस दौरान भी रेसिडेंशियल एरिया का एक्यूआई इसी के आसपास था। जबकि इंडस्ट्रियल जोन की हवा वेरी पुअर और कॉमर्शियल जोन की हवा पुअर क्वालिटी में पहुंच चुकी है। एवरेज की बात करें तो जहां इंडस्ट्रियल जोन में 300 या उसके आसपास एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया है, वहीं, कॉमर्शियल जोन में यह 275 के आसपास है। नवंबर से ही पुअर क्वालिटी

पॉल्युशन के ग्राफ पर नजर डालें तो यह लगातार ऊपर आ रहा है। पॉल्युटेंट और एक्युआई में दिन ब दिन इजाफा देखने को मिल रहा है। यादव ने बताया कि 22 दिसंबर से लेकर 17 जनवरी के बीच नौ बार रीडिंग ली गई है, जिसमें रेसिडेंशियल एरिया का पॉल्युशन लेवल लगातार पुअर क्वालिटी में बना हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक आरएसपीएम-10 है, जो लगातार डेंजर लेवल की तरफ बढ़ रहा है। 22 दिसंबर को रेसिडेंशियल एरिया का एक्युआई जहां 123 रिकॉर्ड किया गया था, वहीं 16-17 जनवरी के बीच 122 बना रहा। फरवरी भर यह 130 के आसपास बना रहा, जबकि मौजूदा वक्त में भी यह और खतरनाक होता जा रहा है। 14 मार्च को रात 10 बजे ली गई रीडिंग में रेसिडेंशियल एरिया का एक्यूआई 153 रिकॉर्ड किया गया है। नीचे ही अटके हैं पॉल्युटेंटएनवायर्नमेंटलिस्ट की मानें तो मार्च में आमतौर पर मौसम गर्म हो जाता है। मगर इस वक्त मौसम में शाम के समय नमी रह रही है, जिसकी वजह से पॉल्युशन लेवल बढ़ा हुआ मिल रहा है। इसकी वजह है कि ऊपरी सतह में नमी हो जाने की वजह से पॉल्युटेंट की एक लेयर बन जाती है, जो हवा में तैर रहे खतरनाक पार्टिकिल्स को ऊपर नहीं जाने देती, जिससे यह निचली सतह पर रहकर कॉन्संटे्रशन बढ़ाते रहते हैं और पॉल्युशन का ग्राफ लगातार ऊपर होता चला जाता है। जिस कदर म्वॉयशचर में इजाफा होता है, यह प्रॉब्लम उतनी ज्यादा बढ़ती जाती है।

कुछ यूं रहा है एक्युआई - डेट रेसिडेंशिल इंडस्ट्रियल कॉमर्शियल2 फरवरी - 115 304 2774 फरवरी - 132 296 2866 फरवरी - 127 308 2799 फरवरी - 124 300 27113 फरवरी - 163 303 27516 फरवरी - 136 305 274
20 फरवरी - 133 306 27323 फरवरी - 110 296 26927 फरवरी - 131 295 271पिछले पांच दिनों में रेसिडेंशियल जोन का एक्यूआई - 14 मार्च - 15413 मार्च - 13112 मार्च - 14411 मार्च - 100यह है एक्युआई का मानक - 0-50 - मिनिमम इंपैक्ट51-100 - सेंसिटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ा प्रॉब्लम101-200 - लंग, हर्ट पेशेंट के साथच्बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत 201-300 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने में प्रॉब्लम301-400 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस की बीमारी401 या ऊपर - हेल्दी लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत, रेस्पिरेटरी इफेक्ट
मौसम लगातार बदल रहा है। सुबह और शाम के टेंप्रेचर में काफी डिफरेंस भी नजर आ रहा है। ऐसे में एटमॉस्फियर में नमी बनी हुई है। इसकी वजह से पॉल्युटेंट भी नीचे हैं, जिससे एटमॉस्फियरिक एयर क्वालिटी थोड़ा खराब है। मौसम में नमी कम होने के साथ ही पॉल्युशन लेवल भी नॉर्मल हो जाएगा।- प्रो। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट

Posted By: Inextlive