-फॉगी वेदर की वजह से रेड जोन में पहुंचा कॉमर्शियल एरिया का टेंप्रेचर

- रेसिडेंशियल एरिया में कुछ राहत, लेकि न इंडस्ट्रियल एरिया में बढ़ रही है प्रॉब्लम

- दमा और अस्थमा के मरीजों की भी बढ़ने लगी है परेशानी

GORAKHPUR: मौसम का रुख और पॉल्युशन की मार इन दिनों हमें हॉस्पिटल पहुंचा सकती है। पिछले कुछ दिनों से मौसम के रुख में आए जबरदस्त बदलाव इसकी अहम वजह है। सर्द हवाओं की वजह से मौसम का मिजाज सर्द हुआ है, वहीं एटमॉस्फियर में नमी की वजह से पॉल्युटेंट भी अब नीचे डेरा जमाने लगे हैं। इसका असर है कि गीडा में लोगों के लिए सांस लेना भी दूभर है, वहीं कॉमर्शियल एरिया के हालात भी राहत देने वाले नहीं हैं। अगर कोहरा बढ़ा और गाडि़यों की आवाजाही यूं ही बढ़ती गई तो आने वाले दिन और खतरनाक होने वाले हैं।

अक्टूबर से ही बढ़ने लगी परेशानी

मौसम का रुख अक्टूबर से ही बदलना शुरू हो गया था, इस दौरान रेसिडेंशियल, कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल एरियाज में एयर क्वालिटी मॉडरेट जोन में पहुंच गई थी। इन सभी एरियाज में रहने वाले लोगों को सांस लेने में मुश्किलें पेश आने लगीं थी, जबकि लंग और हार्ट डिजीज के मरीजों की तादाद बढ़ गई। वहीं, बच्चों और दमा अस्थमा से पीडि़त बुजुर्गो को भी हॉस्पिटल का रुख करना पड़ा। पॉल्युटेंट निचली सतह पर हैं, जिससे परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं कंस्ट्रक्शन वर्क की वजह से मुश्किलें दोगुनी हो जा रही हैं।

गीडा में एक्युआई 350 के पार

गोरखपुर की बात करें तो इस वक्त कॉमर्शियल, इंडस्ट्रियल और रेसिडेंशियल तीनों जगह का एक्युआई काफी बढ़ा है। इसमें सबसे ज्यादा मुश्किल इंडस्ट्रियल एरिया गीडा में है, जहां एक्युआई 358 पहुंच चुका है, यानि यहां आसपास रहने वालों को सांस से जुड़ी प्रॉब्लम होनी ही है, जबकि पहले से पीडि़त लोगों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। कॉर्शियल एरिया में भी यह 277 यानि पुअर क्वालिटी में पहुंच चुका है, जबकि रेसिडेंशियल एरिया में यह मॉडरेट से पुअर क्वालिटी की ओर बढ़ रहा है।

तेजी से बढ़ा है पीएम 10

यूं तो पॉल्युशन का ग्राफ पिछली बार की तुलना में काफी ऊपर आया है। मगर सिर्फ इस माह की बात की जाए, तो इस दौरान भी पॉल्युशन में दिन ब दिन उछाल देखने को मिल रहा है। पॉल्युशन की मॉनीटरिंग करने वाले साइंटिफिक असिस्टेंट सत्येंद्र यादव ने बताया कि इस माह में अब तक सात बार रीडिंग ली गई है, जिसमें हर बार पॉल्युशन लेवल इनक्रीज हुआ है। सबसे ज्यादा खतरनाक आरएसपीएम -10 है, जो लगातार डेंजर लेवल की तरफ बढ़ रहा है।

शाम काफी खतरनाक

यूं तो सिटी में हर वक्त नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड लोगों को परेशान कर रही है। मगर पॉल्युशन विभाग के जिम्मेदारों की मानें तो इनका सबसे ज्यादा प्रकोप शाम में छह बजे से लेकर रात के 10 बजे के बीच होता है। एटमॉस्फियर में इनकी तादाद काफी ज्यादा बढ़ गई है। सबसे इन दोनों गैसेज का सबसे कम कॉन्संट्रेशन लेवल रात में दो बजे से सुबह छह बजे के बीच होता है, जब लोग गहरी नींद में सो रहे होते हैं।

अक्टूबर 2019

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 167.30 4.37 12.4 145

कॉमर्शियल 284.70 13.40 27.4 235

इंडस्ट्रियल 341.3 25.4 41.8 291

नवंबर 2019

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 191.81 3.98 11.78 161

कॉमर्शियल 317.33 12.11 26.14 267

इंडस्ट्रियल 384.91 24.64 40.36 344

दिसंबर 2019

कैटेगरी - मात्रा

पीएम10 एसओ2 एनओ2 एक्युआई

आवासीय 194.85 4.25 12.55 163

कॉमर्शियल 327.13 13.39 28.41 277

इंडस्ट्रियल 396.24 26.25 43.16 358

मॉर्निग वॉकर्स रहें सावधान

दमा और अस्थमा वालों को परेशानी

मौसम के इस उठा-पटक भरे रुख से सबसे ज्यादा परेशानी दमा और अस्थमा का शिकार हुए मरीजों को हो रही है। इस वक्त मौसम में फ्लक्चुएशन काफी ज्यादा होता है। ऐसे में फॉग और दबाव ज्यादा होने से पॉल्युटेंट सीधे अटैक कर रहे हैं और रेस्पीरेटरी ऑर्गन में इंफेक्शन के चांसेज काफी बढ़ गए हैं। इस समय सबसे ज्यादा प्रॉब्लम जॉगर्स और मॉर्निग वाकर्स को हो सकती है। यह समय ऐसा है जब ओस गिर रही है। इस दौरान खुले सिर बाहर टहलने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इसलिए अगर आप भी मॉर्निग वार्कर हैं या फिर हेल्थी-वेल्दी होने के लिए जॉगिंग कर रहे हैं, तो आप घर को ही इसके लिए ठिकाना बनाए और बाहर निकलकर एक्सरसाइज करना अवॉयड करें, वरना आपकी थोड़ी सी भी लापरवाही आपको काफी बीमार बना सकती है।

क्या बरतें सावधानी

- पूरे शरीर को ढंक कर चलें जिससे म्वाइस्ट एयर न कॉन्टैक्ट होने पाए

- धूप निकलना शुरू न हो जाए तब तक बाहर निकलना अवाइड करें।

- ढके बदन और नाक मुंह पर कपड़ा बांधकर ही वॉकिंग के लिए जाएं।

- सिर को ढंक कर निकलें।

- गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट पहने जिससे दोनों ही कंडीशन में बचा जा सके।

- कोई प्रॉब्लम हो रही है, तो चिकित्सक की सलाह लें।

- बच्चों को खुले में न टहलाएं और कवर किए रहे।

यह होती है प्रॉब्लम

- एलर्जी

- फीवर

- नाकों में जलन

- वायरल इंफेक्शन

- मिजल्स

- वूफिंग कफ

- स्किन रैशेज

- खुजलाहट

टेंप्रेचर डिफरेंस और नमी लोगों को बीमार कर रही है। नमी से पॉल्युटेंट आसमान में ऊपर नहीं जा पा रहे हैं, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ रही है। मास्क का इस्तेमाल करें और ठंडी चीजों से परहेज करें। ऐसा न करने में परेशानी बढ़ सकती है। जो दमा और अस्थमा के पेशेंट हैं, वह रेग्युलर दवा लें।

- वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट

पॉल्युटेंट का लेवल अब बढ़ने लगा है। सर्दी के मौसम में यह ज्यादा हो जाता है। इसलिए अब जितना पॉसिबल हो सके, पॉल्युशन कम फैलाएं और बजाए पॉल्युशन का उपाय करने के फोकस इस बात पर हो कि पॉल्युशन कैसे न फैले? तभी इस प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। आने वाले एक-दो महीने इस लिहाज से काफी सेंसिटिव हैं।

- डॉ। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट

Posted By: Inextlive