- जिला अस्पताल से शुरू होता है एम्बुलेंस वालों का खेल

- मरीजों को बरगलाकर ले जाते हैं जिला अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल

GORAKHPUR: प्राइवेट एंबुलेंस द्वारा मरीज व तीमारदारों से मनमानी वसूली और बेखौफ संचालन पर अब जिम्मेदार ब्रेक लगाएंगे। इसके लिए जिला प्रशासन और हेल्थ डिपार्टमेंट ने तैयारी तेज कर दी है। दोनों विभाग की संयुक्त टीमों ने अवैध नìसग होम, क्लीनिक, पैथोलोजी सेंटर्स पर ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं अब जिला प्रशासन आरटीओ व हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ मिलकर इन बेलगाम प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों पर भी कार्रवाई का डंडा चलाने जा रही है।

झांसे में लेकर कराते हैं एडमिट

जिला प्रशासन व हेल्थ डिपार्टमेंट के पास पिछले कई दिनों से इस बात कि शिकायत आ रही थी कि एंबुलेंस के दलाल भी सक्रीय हो गए हैं। जिला अस्पताल से रेफर मरीज को दलालों के माध्यम से प्राइवेट एंबुलेंस संचालक मरीजों के तीमारदारों को झांसे में लेकर एडमिट कराते हैं। इसके एवज में एंबुलेंस ड्राइवर 10-15 हजार रुपए तक के कमीशन पा जाते हैं। इसके लिए जिला अस्तपाल के इंमरजेंसी या फिर एडमिट मरीज के सीरियस होने पर रेफर फॉर्म का इंतजार करते हैं। प्राइवेट एंबुलेंस के ड्राइवर मरीजों को एडमिट कराने के बाद दूसरे मरीजों पर टूट पड़ते हैं। यह खेल सबसे ज्यादा न्यू प्राइवेट नìसग होम संचालकों के जरिए चलाया जा रहा है। जिन्हें मरीज की डिमांड है।

पुलिस ने भी दिया लेटर

प्राइवेट हास्पिटल में मरीजों को पहुंचाने के लिए एक बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा है। हेल्थ डिपार्टमेंट के पास आई शिकायत में बताया गया है कि सिटी के राजेंद्रनगर, तारामंडल, राप्तीनगर, बेतियाहाता, मोहद्दीपुर, बैंक रोड ऐसे मामले आने की बात की गई है। वहीं रामगढ़ताल थाने के पुलिस ने करीब 14 एंबुलेंस ड्राइवरों की सूची तैयार की है, जो मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराने का काम करते हैं। इस पर पुलिस ने भी अपना काम लगभग पूरा कर लिया है। रामगढ़ताल थाने की पुलिस ने भी सीएमओ दफ्तर में इन प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है। अनुमति मिलने के बाद रामगढ़ताल पुलिस भी अपनी तरफ से कार्रवाई शुरू कर देगी।

होता है सिर्फ इस्तेमाल

जब इस शिकायत के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने कुछ एंबुलेंस संचालकों से बात करने की कोशिश की तो सरकारी अस्पताल के बाहर गली में खड़े एंबुलेंस के ड्राइवर ने नाम न प्रकाशित करने के एवज में बताया कि यह काम उनके मालिकों द्वारा करवाया जाता है। एंबुलेंस मालिक मरीज के परिजन से फोन पर बात करवा देते हैं। सिटी के किसी अस्पताल में पहुंचाने पर दो से ढाई हजार रुपए चार्ज किया जाता है। जबकि शहर से बाहर दूसरे जिले में जाने पर 4-5 हजार रुपए तक पैसे लिए जाते हैं। यह नॉन आईसीयू एंबुलेंस का चार्ज होता है। वहीं दूसरे एंबुलेंस ड्राइवर ने बताया कि जो हॉस्पिटल नए बनाए गए हैं। उन हास्पिटल से एंबुलेंस मालिक का सीधे कॉन्टैक्ट होता है। मरीज को बेहतर उपचार अच्छा हास्पिटल मिल जाता है और हास्पिटल संचालक को इलाज के लिए मरीज मिल जाता है। इसके लिए एंबुलेंस ड्राइवर का केवल इस्तेमाल किया जाता है।

नहीं करता आरटीओ कार्रवाई

वहीं जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर आरटीओ दफ्तर यह पता लगाने पहुंचा कि गोरखपुर में कितने प्राइवेट एंबुलेंस संचालित हो रहे हैं, तो पता चला कि करीब 200 प्राइवेट रजिस्टर्ड प्राइवेट एंबुलेंस संचालित हो रहे हैं। लेकिन जब आरटीओ डिपार्टमेंट के जिम्मेदार अफसर श्याम लाल गुप्ता से एंबुलेंस के चेकिंग के सवाल किए गए, तो उन्होंने बताया कि कोरोना काल में कार्रवाई बंद थी, जिसे फिर शुरू किया जाएगा। इनके खिलाफ लगातार शिकायत आ रही है। बहुत जल्द टीम के साथ कार्रवाई के लिए टीम को भेजा जाएगा।

प्राइवेट एंबुलेंस वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी। इनके खिलाफ भी शिकायत प्राप्त हो रही है। इसके लिए आरटीओ और हेल्थ डिपार्टेमेंट की टीम को साथ में लिया जाएगा।

गौरव सिंह, सोंगरवाल, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट-एसडीएम सदर

Posted By: Inextlive