- रमजान हेल्पलाइन नंबर्स पर जारी है सवाल-जवाब का सिलसिला

GORAKHPUR: उलेमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमजान हेल्पलाइन नम्बरों पर सवाल-जवाब का सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा। लोगों ने नमाज, रोजा, जकात, फित्रा आदि के बारे में सवाल किए। उलेमा-ए-किराम ने कुरआन व हदीस की रोशनी में जवाब दिया।

सवाल : क्या खूनी बवासीर से रोजा टूट जाता है? (गुलाम मोहम्मद, इलाहीबाग)

जवाब : नहीं। (कारी मो। अनस रजवी)

सवाल : क्या औरत बच्चे की पैदाइश के वक्त होने वाले दर्द की वजह से रोजा तोड़ सकती है? (महताब, चक्शा हुसैन)

जवाब : अगर अपनी या बच्चे की जान जाने का सही अंदेशा हो तो रोजा तोड़ सकती है और वैसे भी बच्चों की पैदाइश के बाद निफास का खून नाफिज होने के बाद उसे रुख़स्त है। (मुफ्ती मो। अजहर शम्सी)

सवाल : अगर किसी की सेहरी के वक्त आंख न खुली तो उसको रोजा छोड़ना जायज है? (नाजिम, छोटे काजीपुर)

जवाब : किसी की सेहरी के वक्त आंख न खुली और सेहरी के बगैर रोजा रखने की ताकत है तो रोजा छोड़ना जायज नहीं। (हाफिज रहमत अली निजामी)

सवाल : इस्तेमाली मोबाइल पर जकात है या नहीं? (नूरुद्दीन, जाफरा बाजार)

जवाब : नहीं। इस्तेमाली मोबाइल हाजत असलिया में शुमार होगा लिहाजा इस पर जकात नहीं। (मौलाना अब्दुल खालिक)

सवाल : क्या एलआईसी पर जकात फर्ज है? (मोहम्मद आजम, खोखर टोला)

जवाब : जी हां। मालिके निसाब के लिए एलआईसी की रकम पर जकात फर्ज है। अगर साल ब साल देते जायेंगे तो बेहतर है वरना वाजिबुल अदा रकम के मिलने पर है लेकिन इस सूरत में पिछले सालों को जोड़कर जकात देनी पड़ेगी। (मुफ्ती अख्तर हुसैन)

Posted By: Inextlive