- उलेमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमजान हेल्पलाइन नम्बरों पर सावल-जवाब का सिलसिला जारी

- नमाज, रोजा, जकात, फित्रा, एतिकाफ आदि के बारे में हो रहे हैं सवाल

GORAKHPUR: उलेमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमजान हेल्पलाइन नम्बरों पर गुरुवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज, रोजा, जकात, फित्रा, एतिकाफ आदि के बारे में सवाल किए। उलेमा-ए-किराम ने कुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक की रोशनी में जवाब दिया।

सवाल : क्या मोअतकिफ (एतिकाफ करने वाला) अजान देने के लिए अजानघर में जा सकता है? (अनीस, मौलवी चक)

जवाब : हां, मोअतकिफ अजान देने के लिए अजानघर में जा सकता है। (हाफिज रहमत अली निजामी)

सवाल : वुजू के दौरान अगर हलक में पानी उतर गया तो? (मो। कैश, उर्दू बाजार)

जवाब : रोजा टूट जाएगा। (कारी मो। अनस रजवी)

सवाल : क्या औरतों पर भी नमाजे तरावीह का पढ़ना सुन्नते मुअक्कदा (जरूरी) है? (शहनाज, मेवातीपुर)

जवाब: हां। नमाजे तरावीह का पढ़ना मर्द व औरत सब पर पूरे रमजान पढ़ना सुन्नते मुअक्कदा है। (कारी मो। अनस रजवी)

सवाल : क्या घर में नमाजे जुमा पढ़ सकते हैं? (मोहसिन खान, बड़गो)

जवाब : नहीं। घर में नमाजे जुमा के शराइत नहीं पाए जाते इसलिए घर में जुमा की नमाज नहीं कायम कर सकते। घर में नमाजे जुमा की जगह नमाजे जोहर अदा की जाएगी। (मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी)

सवाल : नमाजे तरावीह में कयाम के दौरान पीछे बैठे रहना और इमाम साहब के रुकूअ में जाते वक्त जमाअत में शामिल होना कैसा? (शफीक, तुर्कमानपुर)

जवाब : तरावीह या किसी भी नमाज में कुछ लोगों का सुस्ती वा काहिली की बिना पर पीछे बैठे रहना और इमाम साहब के रुकूअ में जाते वक्त जमाअत में शामिल होना मुनाफिकों का तरीका, मकरूह और नजाइज व गुनाह है। हां अगर बुढ़ापे या कमजोरी की वजह से हो तो मकरूह नहीं। (मुफ्ती मो। अजहर शम्सी)

Posted By: Inextlive