यूएनओ ने मानव अधिकार चार्टर 1948 में पास किया। जबकि प्यारे रसूल मोहम्मद साहब ने मानव अधिकार समानता का अधिकार महिलाओं के अधिकरर पॉपर्टी का अधिकार रिश्तेदारों के अधिकार आदि को 1400 साल पहले ही अपने आखिरी मैसेज यानि कि 'खुत्ब-ए-हुज्जतुल विदाअÓ में बयान कर दिए थे। यह बातें गोरखपुर यूनिवर्सिटी लॉ डिपार्टमेंट के प्रो। नसीम अहमद ने कहीं। वह इस्लामिक नर्सरी स्कूल के हॉल में मोहम्मद शहाबुद्दीन की लिखी 'प्यारे रसूलÓ किताब का विमोचन करने पहुंचे थे।


गोरखपुर (ब्यूरो)। इस मौके पर मुफ्ती मुहम्मदुल्लाह ने कहा कि हमारे नहीं हम सबके रसूल पैगंबर मोहम्मद साहब पूरी तरह से रहमत थे। उन्होंने अपने आचरण और कार्यशैली से सारी दुनिया को हक का पैगाम दिया। उन्होंने जुल्म करने वालों को माफ कर अपनी रहमत का सबूत पेश किया। मुफ्ती मुनीउर्रहमान ने कहा कि प्यारे रसूल से बढ़कर कोई जात नहीं है। उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर ही ईश्वर को पा सकते हैं। अगर हम जिंदी के हर हिस्से में उनके बताए रास्ते को चुने तो दीन और दुनिया दोनों में हम कामयाब हो जाएंगे। तिलावत-ए-कुरआन से शुरुआत
प्रोग्राम की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन से हुई। प्रोग्राम की शुरुआत हाफिज अब्दुल्लाह ने कुरआन पाक की तिलावत कर की। इसके बाद नात पेश की। डॉ। दरख्शां ताजवर ने रसूल-ए-पाक के आखिरी मैसेज को विस्तार से बताया। आखिर में मोहम्मद शहाबुद्दीन ने खुत्बए-हुज्जतुल विदाऊ पढ़ा। इस प्रोग्राम में मौलाना नसरुद्दीन, मौलाना असद, डॉक्टर ताबिश, डॉ। शकील, प्रो। खालिद हसन, डॉ। नईम के साथ शहर के रिनाउंड लोग मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive