ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का 96 साल की ऐज में स्कॉटलैंड के बाल्मोरल महल में 8 सितंबर को निधन हो गया. सभी देश क्वीन एलिजाबेथ के निधन पर शोक मना रहे हैं. वहीं बहुत से लोग सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ीं यादों को शेयर कर रहे हैं. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ की गोरखपुर से भी यादें जुड़ी हैं. यहां साल 1950 में महारानी एलिजाबेथ के कदम पड़े थे. सरदारनगर के स्टेट मजीठिया फैमिली ने उनका स्वागत किया था.


गोरखपुर (अनुराग पांडेय).मजीठिया परिवार के सुखदेव सिंह मजीठिया ने बताया कि साल 1850 में महारानी एलिजाबेथ गोरखपुर एयरपोर्ट पर आई थीं। वहां पर मेरे ग्रैंड फादर सर सुरेन्द्र सिंह ने उनका स्वागत किया था। महारानी एलिजाबेथ के लिए एयरपोर्ट पर स्पेशली एक कमरा बनाया गया था। जहां पर महारानी ने तीन घंटे तक स्टे किया था। इस दौरान उन्होंने चाय नाश्ता किया था। गोरखपुर के कई लोग वहां पर स्वागत के लिए पहुंचे थे, जिनसे महारानी ने बातें भी की थीं। सर सुरेन्द्र सिंह मजीठिया के स्वागत से महारानी खुश हुई थीं। ग्रैंड फादर को दी थी सर की उपाधि


सुखदेव सिंह मजीठिया ने बताया कि उनके ग्रैंड फादर को महारानी ने नाइट हूड यानी सर का खिताब दिया था। यही नहीं उस समय डिफेंस मिनिस्टर रहे सुरजीत सिंह मजीठिया को भी महारानी ने सर का खिताब दिया था। उन्होंने बताया कि हमारे परिवार से महारानी एलिजाबेथ का बहुत ही मधूर संबंध था। उन्होंने बताया, उनके निधन की सूचना पर पूरा परिवार दुखी है। मजीठिया परिवार ने तैयार कराया था एयरपोर्ट

सुखदेव सिंह ने बताया कि उनके परिवार के भारतीय वायु सेना में रहे सरदार दिलीप सिंह मजीठिया दूसरे विश्वयूद्ध में भी शामिल हो चुके हैं। जब गोरखपुर आए तो सरदार दिलीप सिंह को हवाई जहाज उड़ाने का शौक था। अपने शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने न केवल एक चार्टर्ड प्लेन खरीदा, बल्कि अपना प्राइवेट एयरपोर्ट भी बनाया। गोरखपुर एयरपोर्ट का भी श्रेय उनको ही जाता है। नेपाल की धरती पर पहली बार उतारा जहाजसुखदेव सिंह मजीठिया ने बताया कि नेपाल की धरती पर पहली बार हवाई जहाज उतारने का श्रेय दिलीप सिंह मजीठिया को ही है। उन्होंने 23 अप्रैल 1949 को काठमांडू के परेड ग्राउंड में यह ऐतिहासिक कार्य किया था। आज भी काठमांडू के त्रिभुवन हवाई अड्डे पर लगी उनकी तस्वीर इसकी पुष्टि करती है।

Posted By: Inextlive