विजयदशमी के दिन होने वाले ऐतिहासिक राघव शक्ति मिलन की परंपरा का निवर्हन इस बार धूमधाम से पांच अक्टूबर को होगा. पिछले दो वर्ष कोरोना के कारण इस परंपरा का निर्वहन सादगी के साथ हुआ था. श्रीश्री राघव शक्ति मिलन कमेटी के महामंत्री राकेश वर्मा ने बताया कि राघव शक्ति मिलन कार्यक्रम की शुरुआत 1948 में स्व. मोहन लाल यादव स्व. रामचंद्र सैनी स्व. मेवालाल यादव एवं स्व. रघुवीर मास्टर ने राघव शक्ति मिलन कमेटी की स्थापना करके व्यवस्थित तरीके से की थी.


गोरखपुर (ब्यूरो). तभी से इस परंपरा का निर्वहन निरंतर हो रहा है। विजयदशमी के दिन बर्डघाट रामलीला के श्रीराम रावण का वध करने के पश्चात माता जानकी, भाई लक्ष्मण और हनुमान के साथ विजय जुलूस में दुर्गा मिलन चौक, बसंतपुर तिराहे पर पहुंचते हैं। जहां आकर शहर की प्राचीनतम दुर्गा बाड़ी की प्रतिमा का श्रीराम पूजन-अर्चन और आरती कर युद्ध में विजय के लिए माता रानी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आशीर्वाद लेते हैं। श्रीराम व माता दुर्गा के मिलन के कार्यक्रम को राघव शक्ति मिलन के नाम से जाना जाता है। इस अद्भुत पल को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु बसंतपुर पहुंचते हैं। जहां फूलों की वर्षा और जयघोष के बीच वातावरण भक्तिमय हो जाता है। राघव शक्ति मिलन के बाद ही शहर की कोई दुर्गा प्रतिमा राप्ती नदी में विसर्जन के लिए आगे बढ़ती है।ये है मान्यता
मान्यता है कि लंका विजय के बाद जब श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लौट रहे थे तो सबसे पहले उन्होंने मां शक्ति की आराधना कर लंका में मिली विजय पर माता के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनका आशीर्वाद लिया था। इसी का जीवंत रूप शहर में राघव शक्ति मिलन कार्यक्रम में देखने को मिलता है।

Posted By: Inextlive