-खराब सड़क ने सीएम सिटी से दूर किया पीएम सिटी

-लखनऊ पहुंचने में 4 घंटे और बनारस में लगते हैं 8 घंटे

GORAKHPUR: बैठे-बैठे सिर में दर्द हो गया, अब तो पैर भी सीधा नहीं हो रहा है, घुटने का दर्द दे दिया इस सफर ने, जो खाया हचकों की वजह से सब पलट दिया, अरे भईया कब पहुंचेंगे बनारस कुछ इस तरह दर्द छलक रहा है। रोडवेज की बस से सफर कर बनारस से गोरखपुर आने-जाने वालों का। यह एक या दो साल की बात नहीं है, बल्कि 10 साल से भी अधिक समय से इस रोड पर ऐसी परेशानी है। इस दौरान केंद्र और राज्य में तीन सरकारें आ गई। फिर भी सड़कें ठीक नहीं हुई। आदमी तो आदमी नई-नवेली जनरथ एसी बस भी कम उम्र में इस रोड पर बुढ़ी हो जा रही है। इतना दर्द देने वाली और सीएम से पीएम सिटी को मिलाने वाली ये रोड आखिर क्यों उपेक्षा का शिकार हैं, यह सवाल हर किसी के मन में उठता है।

चार घंटे में पहुंचते लखनऊ

गोरखपुर से लखनऊ की दूरी 270 किमी है। गोरखपुराइट्स को लखनऊ जाना ज्यादा भाता है। फोर लेन होने से लखनऊ से आने-जाने में समय का पता ही नहीं चलता है। गोरखपुर से एसी बसों से करीब 4 घंटे में लखनऊ तक का सफर तय हाे जाता है।

आठ घंटे में पहुंच रहे बनारस

एसी जनरथ बस के चालक-परिचालक ने बताया कि इस समय तो रोड और भी खराब है। अभी तक जहां पहले गोरखपुर से बनारस पहुंचने में 6-7 घंटे लगते थे। अब 8-9 घंटे भी लग जाते हैं। जबकि, बनारस की दूरी केवल 209 किमी है। गोरखपुर से लखनऊ की दूरी बनारस से 60 किमी अधिक है। इसके बाद भी जितना समय बनारस जाने में इस समय लग रहा है, उतने समय में हम लोग लखनऊ जाकर वापस फिर गोरखपुर आ जाएंगे।

लखनऊ की दूरी -270

बनारस की दूरी-209

रोडवेज की बसों की संख्या-

मजबूरी में बस का सफर

पैसेंजर्स से बात करके पता चला कि इस रूट पर ट्रेन कम होने की वजह से वे इस समय मजबूरी में रोडवेज बस से सफर कर रहे हैं। वहीं चालक-परिचालक भी इस रूट पर नहीं जाना चाहते हैं। वे इस जुगाड़ में लगे रहते हैं कि इस रूट से उन्हें मुक्ति मिले।

कोट-

बनारस से आ रहा हूं। रास्ता ही खत्म नहीं हो रहा था। बस में इतना कूदना पड़ा है कि कमर में दर्द हो गया। बहुत ही खराब रास्ता है। पुरानी बस तो रास्ते में ही दम तोड़ देगी।

नवीन राय, बनारस

मुझे ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं मिला तो बस से ही प्रयागराज से गोरखपुर आया हूं। ये मेरा सबसे खराब एक्सपीरियंस है। रास्ते की वजह से सिर में दर्द हो गया है।

आशीष कुमार, प्रयागराज

सोचा एसी बस से जल्दी पहुंच जाउंगा। लेकिन रास्ता ही खराब है तो एसी बस क्या करेगी। पूरे रास्ते कूदते फांदते आ रहा हूं। अब तो कहीं जाने की हिम्मत ही नहीं हो रही है।

सूरज, बनारस

वर्जन

हर रूट से अधिक बनारस रूट की बसों पर मेंटेनेंस का खर्च होता है। नई नई बसों की भी बॉडी कुछ ही दिनों में डैमेज हो जाती है।

डीवी सिंह, आरएम

Posted By: Inextlive