GORAKHPUR: लॉकडाउन के दौरान विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रोडवेज की तरफ से सैकड़ों बसें लगाई गई हैं। ड़्राइवर व कंडक्टर पर उन्हें घर तक पहुंचाने का जिम्मा है। लेकिन कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए रोडवेज की तरफ से इन्हें मॉस्क, ग्लब्स और सेनेटाइजर तक मुहैया नहीं कराया गया है। जान जोखिम में डालकर कामगारों को उनके घर तक पहुंचा रहे हैं।

इतना ही नहीं रोडवेज की तरफ से कर्मचारियों के लिए भोजन तक की व्यवस्था नहीं की गई है। बाहर चाय पानी की दुकानें भी बंद है। भूखे प्यासे वह काम कर रहे हैं। मगर अफसरों को उनकी तनिक भी चिंता नहीं है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब उनसे बातचीत की तो उन्होंने अपनी परेशानी बयां किया।

परिवहन निगम की रोडवेज बसों का संचालन भले ही बंद हो, लेकिन निगम के चालक-परिचालक लॉकडाउन के दौरान सरकार के हर आदेश का पालन करते दिख रहे हैं। बस चालक व परिचालक बाहर विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों को घर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई हैं। फिर भी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सोनौली डिपो के परिचालक भुआल प्रसाद गुप्ता का कहना है कि जबसे विभिन्न राज्यों में फंसे श्रमिकों को लाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई। तबसे ड््यूटी पर मुस्तैद हैं। श्रमिकों को उनके घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी हम सभी पर है। कोरोना संक्रमण से हमें भी डर लगता है। हम लोगों को मॉस्क, ग्लब्स और सेनेटाइजर तक उपलब्ध नहीं कराया गया। ड्राइवर सुभाष शुक्ला का कहना है कि जब से ड््यूटी पर आया हूं। खाने पीने तक की व्यवस्था नहीं है। हम लोग किस हाल में हैं कोई जिम्मेदार अफसर पूछने तक नहीं आया। मांगने के बाद भी चालक और परिचालकों को ग्लब्स नहीं उपलब्ध कराया जा सका है। अगर एक भी संक्रमण का शिकार हुए तो फिर रोडवेज विभाग में भी वायरस का खतरा मंडराने लगेगा।

-रोडवेज बस चालक व परिचालक 9476 लोगों को पहुंचा चुके हैं घर

-विभिन्न राज्यों से आए लोगों को पहुंचाने के लिए गोरखपुर से चलाई जा चुकी है लगभग 1080 बसें

इससे पहले विभिन्न राज्यों से गोरखपुर पहुंच चुके हैं श्रमिक--3200

अंकलेश्वर से गोरखपुर पहुंचे श्रमिक--1211

पालमपुर से गोरखपुर पहुंचे श्रमिक--1118

लिंगमपल्ली से पहुंचे श्रमिक--1188

जालंधर से पहुंचे श्रमिक--1262

बड़ौदा से पहुंचे श्रमिक--1203

भावनगर से पहुंचे श्रमिक--1189

लुधियाना से गोरखपुर पहुंचे श्रमिक-1205

कोट

रात-दिन श्रमिकों को लेकर उनके घर पहुंचाने रहे हैं। कोरोना का डर हमें भी हैं। रोडवेज ने सेफ्टी का इंतजाम नहीं कोई इंतजाम नहीं किया है। समय से भोजन भी नहीं मिल पा रहा है।

भुआल प्रसाद गुप्ता, डिपो सोनौली

कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने का दावा करने वाला रोडवेज अपने कर्मचारियों के बारे में नहीं सोच रहा है। विभिन्न राज्यों से आ रहे श्रमिकों को लेकर उनके घर तक जा रहे हैं। भगवान से यहीं मनाते हैं कि सही सलामत रहे।

जगदीश गुप्ता, डिपो सोनौली

दिन-रात ड््यूटी पर रहते हैं लेकिन रोडवेज हमारे बारे में तनिक भी ध्यान नहीं देता है। खाने पीने की बात तो अलग है सुरक्षा तक के इंतजाम नहीं है।

सुभाष शुक्ला, डिपो सोनौली

श्रमिकों को लेकर अनजान रूट्स पर जाना पड़ता है। वहीं संक्रमण का भी भय रहता है। फिर भी कार्य कर रहे हैं। रोडवेज की तरफ से ग्लब्स और सेनेटाइजर नहीं मिला है। जान जोखिम में डालकर बसों का संचालन कर रहे हैं।

वीर शिवेंद्र सिंह, डिपो सोनौली

वर्जन

लॉकडाउन के दौरान विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए बसों का संचालन किया जा रहा है। बसों के संचालन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है। सभी डिपो में मॉस्क व सैनिटाइजर की व्यवस्था कराई गई है। जहां तक खाने पीने का सवाल है तो उसका भी इंतजाम कराया गया है।

डीवी सिंह, आरएम गोरखपुर

Posted By: Inextlive