- सक्षम लोग भी जमा नहीं कर रहे फीस, हर स्कूल में 50 से अधिक टीचर्स - प्रबंधन के सामने सैलरी देने का संकट, बस का लोन चुकाने में भी होगी दिक्कत

GORAKHPUR: लॉकडाउन में स्कूलों के सामने बड़ा संकट आ गया है। पैरेंट्स तीन महीने की फीस आगे मेंशन कर सकते हैं। डीएम का यह आदेश उन लोगों के लिए था जो लॉकडाउन में परेशान हैं। लेकिन इस आदेश के बाद जो सक्षम हैं वो भी फीस जमा करने आगे नहीं आ रहे हैं। कहीं न कहीं एक बात अधिकतर पैरेंट्स के जेहन में है कि हो सकता है कि आगे फीस माफ हो जाए। जबकि, स्कूल जैसे-तैसे नया सेटअप तैयार कर ऑनलाइन पढ़ाई भी शुरू करा चुके हैं। ऐसी स्थिति में फीस न आने पर स्कूल प्रबंधन के सामने सबसे बड़ा संकट अपने टीचर्स और इंप्लॉइज को सैलरी देने का बनता ि1दख रहा है।

सभी पैरेंट्स बैठे तो होगी दिक्कत

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि जो पैरेंट्स परेशानी में हैं हम उनके साथ हैं। लेकिन सभी पैरेंट्स फीस जमा करने में इंट्रेस्ट नहीं दिखाएंगे तो बड़ी दिक्कत आ जाएगी। तीन महीने तक फीस नहीं जमा होने की कंडीशन में इंप्लॉइज और टीचर्स की सैलरी, बिजली और पानी का बिल, हाउस टैक्स, लोन की किश्त चुकाना मुश्किल हो जाएगा। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन अध्यक्ष अजय शाही का कहना है कि जो पैरेंट्स गवर्नमेंट जॉब या अच्छी कंडीशन में हैं वे भी उीस जमा करने में इंट्रेस्ट नहीं ले रहे हैं।

पैरेंट्स पर भी बढ़ेगा एक्स्ट्रा प्रेशर

स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि तीन महीने तक पैरेंट्स फीस जमा नहीं कराते हैं तो एक साथ उन्हें ज्यादा पैसे जमा करने होंगे। इससे पैरेंट्स पर भी एक्स्ट्रा प्रेशर आ जाएगा। आज नहीं तो कल उन्हें फीस तो जमा ही करनी है।

बॉक्स

किताब-कॉपी खरीदने में भी नहीं इंट्रेस्ट

स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से अब किताब-कॉपियों की होम डिलेवरी भी शुरू कर दी गई है। लेकिन इसके लिए भी पैरेंट्स ज्यादा इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं। जबकि किताब-कॉपियों के बिना स्टूडेंट्स को भी पढ़ाई में दिक्कत आ रही होगी। वहीं किसी भी हाल में किताब-कॉपियां खरीदनी भी पड़ेंगी तो आखिर समय से क्यों नहीं खरीद रहे हैं।

पिछली फीस भी बकाया

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन अध्यक्ष अजय शाही ने बताया कि कई स्कूलों में हर साल लगभग 60-70 प्रतिशत फीस फंसी रहती है। स्कूल को उम्मीद रहती है कि इसका कुछ हिस्सा एनुअल एग्जाम में निकल जाएगा। इसमें से भी 20-30 प्रतिशत फीस बाकी रही जाती है। इस साल भी कई स्कूलों में अभी ऐसी दिक्कत है।

कैसे भरेंगे 20 लाख की बस का लोन

कई स्कूल प्रबंधन का कहना है कि हम लोग बच्चों के लिए 20-20 लाख रूपए की बसें खरीदते हैं। हर महीने इसका टैक्स, लोन और मेंटेनेंस में खर्च होता है। ऐसे में बसों की फीस माफ कर देंगे तो टैक्स और लोन का भार कहां जाएगा। स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज के डायरेक्टर राजीव गुप्ता का कहना है कि जो एजुकेशन हम लोग गोरखपुर में बच्चों को देते हैं इसी के लिए लखनऊ और दिल्ली में पैरेंट्स को लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। हम लोगों ने पहले ही फीस कम रखी हुई है, इसके बाद भी समय पर ना मिले तो दिक्कत बढ़ जाएगी।

सैकड़ों प्राइवेट स्कूल परेशान

इसी तरह यूपी बोर्ड के भी सैकड़ों इंग्लिश मीडियम स्कूल हैं जहां भी फीस न जमा होने से टीचर्स की सैलरी पर संकट आ गया है।

सिटी में स्कूल

सीबीएसई स्कूल - 109

सीआईएससीई स्कूल - 19

सीबीएसई स्कूल में टीचर्स - लगभग 5450

सीआईएससीई स्कूल में टीचर्स - लगभग 950

नई बस आती है- 20 लाख रुपए में

कोट्स

जो लोग फीस जमा करने में सक्षम हैं वे लोग भी आगे नहीं आ रहे हैं। स्कूल संचालन करने में संकट उत्पन्न होने लगा है। हम लोग अपनी बातों को बार-बार डीआईओएस के सामने रख रहे हैं। आने वाले समय में प्रशासन या शासन स्तर पर अपनी बात लिखित रूप में पहुंचाएंगे।

अजय शाही, अध्यक्ष, स्कूल्स एसोसिएशन ऑफ गोरखपुर

बच्चों की फीस जमा होती है तो टीचर्स और इंप्लॉइज की सैलरी दी जाती है। ऐसे में पैरेंट्स फीस जमा कराने में इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं जिससे स्कूल संचालन में दिक्कत आ रही है। वहीं इतनी महंगी बसों का लोन और टैक्स, बीमा भी जमा करना होता है। अब इसे कहां से जमा कराएंगे।

राजीव गुप्ता, डायरेक्टर, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज

जो पैरेंट्स सक्षम हैं उन्हें फीस जमा करने आगे आना चाहिए। वे भी आगे नहीं आ रहे हैं जबकि उन्हें आगे चलकर फीस जमा करना ही है। तब इनके उपर एक्स्ट्रा लोड भी आएगा। यही नहीं किताब-कॉपी खरीदने में भी पैरेंट्स इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं। ये बच्चों के भविष्य के साथ ही खिलवाड़ हो रहा है।

हेमंत मिश्र, डायरेक्टर, एबीसी पब्लिक स्कूल

Posted By: Inextlive