- 'तब टैबलेट को चार बार रगड़ने पर टच स्क्रीन करता था काम'

- नगर निगम में पेपर लेस काम को बढ़ावा देने के लिए सभी पार्षदों को दिया जाएगा टैबलेट

- पिछले कार्यकाल 2015-16 में भी सभी पार्षदों को दिया गया था टैबलेट, कुछ ही दिन में खराब होकर हो गया था खिलौना

GORAKHPUR: नगर निगम प्रशासन 70 पार्षद और 10 मनोनीत पार्षदों को टैबलेट देने जा रहा है। पेपर लेस काम को बढ़ावा देते हुए ये पहल की गई है। मगर नगर निगम का यह प्रयोग कोई नया नहीं है। पहले भी निगम इस मामले में मात खा चुका है। 2015-16 में भी सभी पार्षदों को इसी तरह टैबलेट दिए गए, जो चंद दिनों इस्तेमाल के बाद खराब होकर खिलौना बन गए। पिछले कार्यकाल के पार्षदों का कहना है कि ऐसा टैबलेट खरीदा गया था जिसमें दो महीने बाद से ही टैबलेट में प्रॉब्लम आना शुरू हो गई। स्क्रीन को चार बार रगड़ने पर करता काम करता था। एक बार फिर ऐसी कोशिश की जा रही है, कहीं इस बार भी सस्ता टैबलेट पकड़ाकर नगर निगम अपनी पीठ ना थपथपा ले।

पानी में चला गया लाखों रुपया

पार्षदों ने बताया कि 2015-16 में जो टैबलेट उन्हें दिए गए थे। उसपर करीब चार लाख रुपए खर्च किए गए थे। मतलब एक टैबलेट की कीमत करीब पांच हजार रुपए थी। पार्षद ने बताया कि मरकरी कंपनी का टैबलेट था। जिसमे पहले ही दिन से परेशानी आ रही थी। उस टैबलेट का टच या फिर कैमरा सही से काम नहीं करता था। धीरे-धीरे मोबाइल पूरी तरह बंद हो गया था। बाद में बच्चे उससे खेलने लगे।

मेयर ने बोला कि देंगे ब्रांडेड टैबलेट

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने टैबलेट को लेकर मेयर सीताराम जायसवाल से बात की। मेयर ने बताया कि मेरा कार्यकाल तो केवल दो साल ही बचा है, लेकिन मै जो टैबलेट देने जा रहा हूं। वो पांच साल तक अच्छे से चलेगा। उन्होंने बताया कि पैसे की कोई दिक्कत नहीं है। दस हजार से अधिक कीमत का एक टैबलेट पार्षद को दिया जाएगा। मेयर ने ये भी बताया कि पूरी उम्मीद है ब्रांडेड कंपनी का टैबलेट दिया जाए। जेम पोर्टल के जरिए टैबलेट की खरीदारी भी की जा रही है। 5-6 मार्च तक सभी पार्षदों के हाथ में टैबलेट होगा।

पिछली बार के टैबलेट की ये हुई थी हालत

-दो महीने में टच स्क्रीन हो गया खराब।

-छह महीने में खराब होने लगा टैबलेट।

-करीब पांच हजार का दिया गया था टैबलेट।

-70 पार्षद और 80 मनोनीत पार्षदों को मिला था टैबलेट।

नया-नया टैबलेट मिला था। तभी उसका टच स्क्रीन का फंक्शन काम करना बंद कर दिया था। तीन बार रगड़ो तब टच काम करता था। मुश्किल से पांच से छह महीने में टैबलेट खराब हो गया था।

जियाउल इस्लाम, पार्षद, 66

टैबलेट दो से तीन महीने ही चला था। कई बार बनवाने के लिए भेजा भी, लेकिन चाइनीज कंपनी होने की वजह से कहीं बन भी नहीं पाया। इस बार उम्मीद की जा रही है ऐसा काम चलाऊ टैबलेट ना देकर कुछ अच्छा करें।

रमेश यादव, पार्षद, 23

टैबलेट की बहुत अल्प आयु थी। जब मिला तो बहुत अच्छा लगा, लेकिन कुछ ही दिन में उसकी चमक जाने लगी। जिस काम के लिए टैबलेट दिया गया। वो काम तो एक दिन भी ठीक से नहीं हो पाया।

ऋषिमोहन वर्मा, डिप्टी मेयर और पार्षद, 12

मैने तो टैबलेट दो ही दिन में वापस कर दिया। बाद में पता चला कि जिसको भी टैबलेट मिली थी। वो कुछ दिन भी ठीक से काम नहीं किया। इस वजह से नगर निगम प्रशासन की जो मंशा थी, उसपर पानी फिर गया था।

देवेन्द्र कुमार गौड पिन्टू, पार्षद, 62

Posted By: Inextlive