-डीडीयू के मनोवैज्ञानिक विभाग और पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में चला अवेयरनेस प्रोग्राम

-एक्सपर्ट ने स्टूडेंट्स को दिए सुझाव और हेल्प लाइन के महत्व को बताया

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: अगर आपको दुश्चिंता, आत्मघाती विचार, अवसाद, स्वयं, ध्यान या तार्किक विचार में समस्या की परेशानी है। तब आप हेल्प लाइन 'किरण' की मदद ले सकते हैं। भारत के किसी भी कोने से आप इस हेल्प लाइन पर मदद ले सकते हैं। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में मनोवैज्ञानिक विभाग और पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को अवेयरनेस प्रोग्राम आर्गनाइज किया गया। जिसमें यूजी और पीजी के स्टूडेंट को एक्सपर्ट ने टिप्स दिए और मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास की हेल्प लाइन किरण के फायदे बताए।

जल्दी पहचान के लिए काउंसिलिंग जरूरी

दिव्यांगता शीघ्र पहचान, निदान, पुनर्वास सेवाओं के लिए हेल्प लाइन किरण बहुत ही कारगर है। पुनर्वास केंद्र से आए एक्सपर्ट राजेश, नागेन्द्र पांडेय ने मनोविज्ञान के यूजी और पीजी के स्टूडेंट्स को मनोचिकित्सा से जुड़े हर पहलुओं को बताया।

अवेयरनेस से दूर होगा वहम

मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो। अनुभूति दुबे ने कहा कि अधिकांश मानसिक रोगों का निदान और उपचार एक्सपर्ट सहायता द्वारा संभव है। इस प्रकार के जन जागरुकता प्रोग्राम से समाज के मनोरोगों और मनोरोगियों को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर कर सकते हैं। दिव्यांगता शीघ्र पहचान, निदान के साथ पुनर्वास इस प्रकार के बच्चों को उनकी स्पेशल योग्यताओं को पहचानने और समाज के लिए उन्हें तैयार करने में जो योगदान सरकार द्वारा दिया जा रहा है उसे सभी तक पहुंचना चाहिए। नए उभरते हुए मनोवैज्ञानिको के लिए मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी यह कार्यशाला उपयोगी है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का समाज के उत्थान में योगदान होता है।

लर्निग डिस-एबिलिटी के लिए क्रिया तंत्र जरूरी

पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो। सुषमा पांडेय ने कहा कि लर्निंग डिसेबिलिटी पर विभाग में अनेक शोध कार्य एवं परियोजनाएं हुई और अब बच्चो में अधिगम संबंधी जो कठिनाइयां है उनकी पहचान करने के लिए सामान्य स्कूल में भी क्रिया तंत्र होने चाहिए। 'तारे जमीन पर' फिल्म के उदाहरण द्वारा उन्होंने बच्चों में अधिगम निर्योग्यता के विभिन्न पहलुओं जैसे डिस्लेक्सिया, डिसग्रफिया आदि पर प्रकाश डाला।

ऐसे प्रोग्राम देते पैरेंट्स को चेतना

प्रो। धनंजय कुमार ने बताया कि दिव्यांगता में पुनर्वास संभव है और माता-पिता को चेतना इसी प्रकार के प्रोग्राम से ही आएगी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने के लिए नियमित अन्तराल पर जागरूकता सत्रों की महती आवश्यकता है जो न केवल शहरी क्षेत्रों में हो बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी और ज्यादा जरुरत है ।

केन्द्र की सुविधाओं के बारे में बताया

पुनर्वास केंद्र गोरखपुर के असिस्टेंट प्रो। राजेश ने स्टूडेंट्स को अपने केंद्र की सुविधाओं जैसे मानसिक रूप से बच्चों का बुद्धि परीक्षण, कौशल प्रशिक्षण, स्पीच थेरेपी, फिजियोथेरेपी, आदि के साथ उनके माता-पिता की काउंसलिंग और प्रशिक्षण आदि के बारे में बताया। इसके अतिरिक्त उन्होंने स्पेशल एजुकेशनल सम्बन्धी कोर्सो के बारे में भी स्टूडेंट्स को बताया।

Posted By: Inextlive