- सीएम तक शिकायत पहुंचने पर होगी कार्रवाई, नपे कोतवाल

- जनता दरबार में खुलती है पोल, बगले झांकने लगते हैं अधिकारी

- ज्यादा शिकायत पर डीएम और एसएसपी को सीएम ने दिए हैं निर्देश

GORAKHPUR: जनता दर्शन में कोतवाली एरिया से चार शिकायतें मिली। थानों पर कार्रवाई न होने की शिकायत की गई। जनता की फरियाद पर सीएम ने कोतवाल को हटाने का निर्देश दिया। सीएम के निर्देश पर डीआईजी-एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने शनिवार की रात कोतवाल को हटा दिया। जिले में अब आगे भी पब्लिक की फरियाद न सुनने की कीमत थानेदारों को चुकानी पड़ेगी। सीएम के सख्त तेवर के बाद सीनियर पुलिस ऑफिसर्स ने सख्ती बरतने का निर्देश जारी कर दिए हैं। थानों पर बात न सुने जाने की वजह से पब्लिक की शिकायतें सीएम तक पहुंच रही हैं। ऐसे में कप्तान ने सभी मातहतों को आगाह कर दिया है कि अब किसी भी सूरत में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। फरियादी ही अब उनकी थानेदारी बचाएंगें। अगर उनके थाना क्षेत्र से शिकायत सामने आती है, तो किसी भी सूरत में जिम्मेदार को बख्शा नहीं जाएगा।

सीएम के जनता दर्शन में पहुंची शिकायत

गुरुवार की सुबह सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में थे। सीएम के जनता दरबार में फरियादी अपनी बात कह रहे थे। उसी समय कोतवाली एरिया की चार शिकायतें उन तक पहुंचीं। फरियादियों ने पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। लगातार मामले सामने आने पर उन्होंने कड़ी नाराजगी जताई। शनिवार की रात एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने कोतवाल जयदीप वर्मा को हटा दिया। उनकी जगह शनिवार को ही गोरखपुर में ज्वाइन करने वाले इंस्पेक्टर कल्याण सिंह सागर को कोतवाली का चार्ज दिया गया। कोतवाल के हटाए जाने के बाद जिले भर में हड़कंप मचा हुआ है।

पहले भी कार्रवाई, नहीं सुधरे प्रभारी

जिले में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इसके पूर्व भी सीएम के जनता दरबार में लगातार शिकायत पहुंचने पर गोला के एसओ के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। एक साल पूर्व फरवरी 2020 में गोला एरिया के कई फरियादियों ने थाने पर बात न सुने जाने की शिकायत की। लापरवाही सामने आने पर सीएम काफी नाराज हुए। इसके बाद तत्कालीन प्रभारी संतोष यादव को हटा दिया गया। तब पुलिस अधिकारियों ने हर थाना पर रजिस्टर बनाकर फरियादियों की पूरी डिटेल नोट करने के निर्देश दिए। बावजूद इसके थानों पर व्यवस्था नहीं सुधर सकी। सीएम के जनता दरबार में लगातार थानों पर कार्रवाई न होने की शिकायतें पहुंच रही हैं।

आखिर क्या करते हैं थानेदार

- सीएम के जनता दरबार में शिकायत पहुंचने से पूरी व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है।

- लोगों का कहना है कि जब गोरखपुर का यह हाल है तो अन्य जनपदों में क्या होता होगा।

- जबकि हर लेवल पर पीडि़त की बात सुनकर उनके निस्तारण के लिए व्यवस्था की गई है।

- बावजूद इसके फरियादी दरियाफ्त लेकर सीएम तक पहुंच जाते हैं।

- सीएम के संज्ञान में मामला आने पर पुलिस हरकत में आती है।

- सवाल उठता है कि आखिर थानेदार क्या करते हैं जिससे उनको हटाने की नौबत आ जाती है।

पीडि़तों के लिए यह है इंतजाम

- थानों और पुलिस चौकियों पर एप्लीकेशन देकर अपनी बात रख रख सकते हैं।

- थानों पर कार्रवाई न होने की दशा में एसएसपी, एसपी, सीओ से शिकायत कर सकते हैं।

- सीनियर अफसरों से शिकायत के बाद जांच के लिए एप्लीकेशन को फिर से थाने पर भेजा जाता है।

- ?मैन्युअल एप्लीकेशन देने के साथ-साथ जनसुनवाई पोर्टल पर भी कोई पीडि़त अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।

- शिकायतों के निस्तारण के लिए अलग जनसुनवाई सेल बनाकर हर मामले की मानीटरिंग की जाती है।

जिला मुख्यालय पर रोजाना लोग पहुंचते हैं। पीडि़त अपनी बात रखने के लिए एडीजी से लेकर एसपी तक जा रहे हैं। पुलिस कार्यालय से जुड़े लोगों का कहना है कि औसतन 150 से 200 लोग विभिन्न तरह की शिकायतें लेकर आते हैं। उनके अप्लीकेशन को लेकर पूरी जानकारी नोट करते हुए अधिकारियों से मिलवाया भी जा रहा है। इसके बाद कार्रवाई की रिपोर्ट भी तलब की जा रही है।

पब्लिक शिकायतों पर लापरवाही बतरने वाले थानेदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी। कोतवाली एसएचओ जयदीप वर्मा को लाइन हाजिर किया गया है। पब्लिक की बात न सुनने, उनकी समस्याओं का समाधान न करने वाले थानेदार नहीं रहेंगे।

जोगेंद्र कुमार, डीआईजी-एसएसपी

- सीएम हेल्प लाइन नंबर 1097 के साथ-साथ अन्य अधिकारियों से मिलकर पीडि़त अपनी बात रख सकते हैं।

गायब हो गई शिकायत पर्ची

अक्सर पीडि़त आरोप लगाते हैं कि थाने पर अप्लीकेशन देने के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई। जांच के नाम पर मामले को टरका दिया गया। सीनियर अफसरों के पास पहुंचकर जब फरियादी अपनी बात रखते हैं, तो संबंधित थानेदार बताते हैं उनके पास कोई आया ही नहीं था। इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप से बचने के लिए हर थाना पर शिकायत रजिस्टर बनाकर मामला दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा पीडि़त, फरियादियों को पर्ची देने का नियम लागू हुआ था। पर्ची में शिकायतकर्ता का नाम, जांच अधिकारी का मोबाइल नंबर सहित अन्य जानकारी नोट किए जाने को कहा गया था।

औसतन 150 से दो सौ शिकायतें

Posted By: Inextlive