- सिटी के मिया साहब इस्लामिया इंटर कॉलेज की लाइब्रेरी में मौजूद है टिकट साइज का कुरआन

- वहीं तिवारीपुर में हस्तलिखित दुर्लभ बड़ा कुरआन शरीफ मौजूद

आई स्पेशल

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: नंगी आखों से जिसे पढ़ना मुश्किल और देखने में टिकट के बराबर साइज, ऐसी दुर्लभ कुरआन शरीफ शहर में मौजूद है। यह मियां साहब इस्लामियां इंटर कॉलेज की लाइब्रेरी में रखी हुई है। जहां इसे काफी संजोकर रखा गया है। वहीं शहर के तिवारीपुर और खूनीपुर स्थित अंजुमन इस्लामियां में खुशखत (हाथों से लिखा) कुरआन शरीफ जो करीब 200 साल से ज्यादा पुराना है, यह भी मौजूद है। इसी तरह शहर में कई ऐसी चीजें मौजूद हैं, जो काफी दुर्लभ हैं और जिन्हें ऑकेजनली लोगों के सामने जियारत के लिए निकाला जाता है।

महज 2.5 सेमी लंबा है कुरआन

बक्शीपुर स्थित एमएसआई इंटर कॉलेज में सबसे छोटा कुरआन रखा हुआ है। यह नुस्खा दुनिया के सबसे छोटे कुरआन से लिया गया है। इसकी लम्बाई 2.5 सेमी, चैड़ाई 1.7 सेमी और ऊंचाई एक सेमी है। वहीं इसका वजन 2.760 मिली ग्राम है। इस कुरआन शरीफ की जियारत एमएसआई में जलसा सीरतुन्नबी में लगने वाली दीनी तालीमी नुमाइश में कराई जाती है। इसे माइक्रो लेंस के जरिए पढ़ा जाता है। कालेज के लाइब्रेरीयन सोहराब ने बताया कि यह काफी पुराना है। जब से यहां नौकरी कर रहा हूं इसकी देखरेख कर रहा हूं। लोग इसे चांदी की डिबिया में रखकर पहनते थे, हालांकि उलेमा ताबीजी कुरआन को पहनने से मना करते हैं। वहीं खोखर टोला स्थित सैयद जफर हसन के घर पर छोटे कुरआन का नुस्खा मौजूद है। इसे इनके भाई मरहूम शौकत अली ने लाकर दिया था। उन्होंने बताया कि यह उन्हें 40 साल पहले भाई ने दिया था, तब से संभाल कर रखा है।

24 इंच लंबा है बड़ा कुरआन

सिटी में बड़ा और दुर्लभ कुरआन शरीफ जोकि करीब दो सौ साल से ज्यादा पुराना है, तिवारीपुर स्थित मरहूम खादिम हुसैन के खानदान के पास मौजूद है। इस दुर्लभ हस्तलिखित सबसे बड़े कुरआनशरीफ की लम्बाई 24, चैड़ाई 18, ऊंचाई 4 इंच है। यह तीन जिल्दों में है। एक जिल्द दस पारों में है। एक जिल्द का वजन करीब 2 से 3 किलो का होगा। सैयद आमिर ने बताया कि दादा मरहूम खादिम हुसैन को अकसर इस कुरआन शरीफ की तिलावत करते हुए देखा है। इस हिसाब से मैं कह सकता हूं कि यह डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। उन्होंने बताया कि काफी पुराना होने की वजह से कुरआन शरीफ के पन्ने फटने लगे है, जिसे महफूज किया जा रहा है।

अंजुमन इस्लामियां में 'जखीरा'

हस्तलिखित कुरआन शरीफ और नायाब किताबों का जखीरा खूनीपुर स्थित मदरसा अंजुमन इस्लामियां की समृद्ध लाइब्रेरी में हस्तलिखित कुरआन और नायाब किताबों का जखीरा है। यहां करीब आठ हजार किताबें मौजूद हैं। लाइब्रेरी में हस्तलिखित कुरआन शरीफ नौ जिल्दों में मौजूद है। इसकी तफसीर हुसैनी है, जोकि बेहद दुर्लभ है। मदरसे के शिक्षक डॉ। मोहम्मद अजीम फारूकी ने बताया कि हस्तलिखित कुरआन शरीफ का जो नुस्खा यहां है वह मुबइच्जा है। अंजुमन ने बड़े एहतियात से इसे संभाल कर रखा हुआ है। इसका कागज कमजोर हो चुका है, खोलने पर टूटने लगता है। वहीं कुछ कागजों को दीमक ने अपना निवाला बना लिया है। यह हस्तलिखित कुरआन अंजुमन की अनमोल धरोहर है।

उलेमा क्या कहते है?

मुफ्ती अख्तर हुसैन ने बताया कि रमजानुल मुबारक के इस मुकद्दस महीने में कुरआन मजीद नाजिल हुआ। इसे पढ़ना देखना, छूना, सुनना सब इबादत में शामिल है। कुरआन मजीद पूरी दुनिया के लिए हिदायत है। हमें कुरआन मजीद के मुताबिक बताए उसूलों पर जिदंगी गुजारनी चाहिए। मौलाना रियाजुद्दीन ने कहा कि अल्लाह के रसूल पर कुरआन मजीद 23 साल में नाजिल हुआ। इस पर अमल करके ही दुनिया में अमन और शंति कायम की जा सकती है।

Posted By: Inextlive