- बच्चे और बुजुर्गो के साथ ही दमा और अस्थमा मरीजों की बढ़ी परेशानी

- पॉल्युशन और कोहरे का ज्वॉइंट कॉम्बीनेशन बढ़ा रहा है परेशानी

- डॉक्टर्स दे रहे हैं धूप निकलने से पहले और सूरज ढलने के बाद सावधानी बरतने की सलाह

GORAKHPUR: मौसम की उठापटक का दौर काफी तेज हो चला है। कब ठंड बढ़ जाए और कब गर्मी परेशान करने लगे, इसका किसी को भी अंदाजा नहीं है। मौसम के इस रुख के बीच इन दिनों शुरू हुए कोहरे ने परेशानी और बढ़ा रखी है। फॉग के साथ शहर में फैले पॉल्युशन के जाल से स्मॉग पैदा हो रहा है, जो लोगों की परेशानी को कई गुना बढ़ा दे रहा है। इसका असर यह है कि बच्चों और बुजुर्गो को बीमारी चपेट में ले ले रही है, जिससे मरीजों की तादाद बढ़ गई है। इसलिए धूप निकलने से पहले और सूरज ढलने के बाद जहां तक पॉसिबल हो, सावधानी बरतें, जिससे बीमारी की चपेट में आने से बचा जा सके।

दमा और अस्थमा वालों को परेशानी

मौसम के इस उठा-पटक भरे रुख की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी दमा और अस्थमा का शिकार हुए मरीजों को हो रही है। इस वक्त मौसम में फ्लक्चुएशन काफी ज्यादा होता है। ऐसे में फॉग और दबाव ज्यादा होने से पॉल्युटेंट लोवर लेवल पर पहुंच जाते हैं। इससे रेस्पीरेटरी ऑर्गन में इंफेक्शन के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं। इस दौरान डर्ट माइट भी काफी एक्टिव होती हैं, जिससे भी परेशानी हो सकती है। ऐसे बदलते मौसम में ह्यूमन बॉडी टेंप्रेचर एडजस्ट नहीं कर पाती और लोग मौसम की उठापटक की चपेट में आकर बीमार पड़ जाते हैं।

जॉगिंग करें तो रहें सावधान

इस समय सबसे ज्यादा प्रॉब्लम जॉगर्स और मॉर्निग वाकर्स को हो सकती है। यह समय ऐसा है जब ओस गिर रही है। इस दौरान खुले सिर बाहर टहलने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। पॉल्युशन और फॉग के कॉम्बीनेशन से बना स्मॉग लोगों की परेशानी और ज्यादा बढ़ा रहा है। इसके साथ ही ह्यूमन स्किन पर जब यह पड़ रहा है तो इससे स्किन रिलेटेड प्रॉब्लम भी सामने आ रही हैं। वहीं आंखों पर लगने से आखों में जलन के साथ कई और प्रॉब्लम हो सकती है।

कंगारू मदर केयर देगी राहत

न्यू बॉर्न बेबीज के लिए ठंड का मौसम काफी सेंसेटिव होता है। इस दौरान थोड़ी सी लापरवाही उन्हें काफी बीमार बना सकती है। ऐसे में 'कंगारू मदर केयर' यानि मां की आगोश और बॉडी हीट बच्चे के लिए किसी वरदान से कम नहीं होती, वहीं बची-कुची प्रॉब्लम ब्रेस्ट फीडिंग के थ्रू दूर हो जाती है। वहीं मौसम के इस फेज में वाइरस काफी एक्टिव हो जाते हैं, ऐसे में अपर रेस्पीरेटरी ऑर्गन में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। सीनियर सिटीजन पर इसका ज्यादा इफेक्ट पड़ता है। वहीं दमा मरीजों ने अगर प्रिकॉशन नहीं लिया तो यह उनके लिए जानलेवा हो सकता है।

टेंप्रेचर डिफरेंस का अलग वार

मौसम की उठा-पटक का असर भी गोरखपुराइट्स पर पिछले कुछ दिनों से साफ नजर आ रहा है। सुबह और शाम के टेंप्रेचर चेंज की वजह से बच्चे-बूढे़ लोगों के साथ ही दमा और कार्डिएक पेशेंट्स की परेशानी बढ़ गई। एटमॉस्फियर में पॉल्युशन पार्टिकिल्स के साथ ही ओस और हवा लोगों पर एक साथ अटैक कर रही है, जिसकी वजह से सांस लेने की प्रॉब्लम के साथ ही गला चोक, दम घुटने जैसे कई केसेज सामने आ रहे हैं। जिसे दिखाने के लिए लोगों की लंबी लाइन अस्पतालों के बाहर लगी नजर आई।

क्या बरतें सावधानी?

- किसी को खांसी-जुकाम हो तो वह छोटे बच्चों से दूर रहे।

- बाहर निकलें तो फुल स्लीव्ज के कपड़े पहनें और हो सके तो पूरी बॉडी ढक कर चलने की कोशिश करें

- बंद हेलमेट पहनकर निकलें, इससे नाक और मुंह में पॉल्युशन नहीं जाएगा, जिससे बीमारी का खतरा कम होगा।

- पीने के पानी की मात्रा बढ़ा दें।

- अगर बीमार हैं तो ज्यादा से ज्यादा आराम करें।

- दमा के पेशेंट हैं तो फौरन ही डॉक्टर को दिखाएं।

- हाइजीन को मेनटेन करें और हाथ-पांव साफ रखें।

- सीनियर सिटीजन मॉर्निग वॉक को अवॉयड करें।

वर्जन

इस वक्त मौसम में फ्लक्चुएशन काफी ज्यादा होता है। दबाव ज्यादा होने से पॉल्युटेंट बिल्कुल नीचे आ जाते हैं, जिससे बीमारियों के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं। कपड़ों को अच्छे से धूप दिखाने के बाद ही इस्तेमाल करें, वरना डर्ट माइट से भी परेशानी हो सकती है।

- डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट

न्यू बॉर्न बेबीज अपना टेंप्रेचर रेग्युलेट नहीं कर पाते हैं, इसलिए उन्हें कंगारू मदर केयर की जरूरत है। बच्चों को इंफेक्शन हो सकता है, इसलिए अगर किसी को सर्दी और जुकाम है, तो वह बच्चों के कमरे से दूर रहे तो बेहतर होगा। मां इस केस में एक्सेप्शन है, जो बीमार होने के बाद भी जा सकती है। रेग्युलर ब्रेस्ट फीड कराने के साथ साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।

- डॉ। अश्विनी गुप्ता, पिडियाट्रिशियन

Posted By: Inextlive