एडमिट होना है तो लगाएं सोर्स
मौसम की मार ने फुल किए बेडबारिश न होने से गोरखपुराइट्स मौसम की मार झेल रहे हैं। बैक्टीरियल और वायरल अटैक से हर फैमिली बीमारी से परेशान है। जिसका इफेक्ट डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में देखने को मिल रहा है। हॉस्पिटल की न सिर्फ ओपीडी में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है बल्कि सारे वार्ड हाउसफुल हो गए हंै। इमरजेंसी और मेडिकल वार्ड की कौन कहे आर्थो और सर्जिकल वार्ड भी खाली नहीं है। इस टाइम डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में 268 लोग एडमिट हैं और अपना इलाज करा रहे हैं। इमरजेंसी में होती है प्रॉब्लम
बेड फुल होने का खामियाजा डॉक्टर्स को नाइट में भुगतना पड़ रहा है। जब इमरजेंसी में फैमिली मेंबर्स मरीज को लेकर आते हैं और हालत क्रिटिकल होने के बाद भी डॉक्टर्स एडमिट करने में खुद को असहज महसूस करते हैं क्योंकि बेड हाउसफुल है। नतीजा डॉक्टर, स्टाफ और फैमिली मेंबर्स के बीच नोंकझोंक और झड़प होने लगती है। यह वाक्या अब रोज का हो गया है। मजबूरन डॉक्टर को सीरियस पेशेंट की कंडीशन देखते हुए वार्ड का राउंड लेना पड़ता है और किसी एक मरीज की छुïट्टी करनी पड़ती है, जिसकी कंडीशन बेहतर होती है।
पिछले कुछ दिन से हॉस्पिटल के सभी वार्ड के बेड हाउसफुल है। एक भी वार्ड में बेड खाली नहीं है। नए पेशेंट को एडमिट करने के लिए पुराने पेशेंट की कंडीशन को देखा जाता है। इससे काफी परेशानी हो रही है। बेड फुल होने से हो रही परेशानी की सूचना एसआईसी को दे दी गई है। कलावती, मेट्रेनहाउसफुल है वार्डवार्ड - बेड - पेशेंटइमरजेंसी - 40 - 40आर्थो - 40 - 38सर्जिकल 1 - 30 - 28सर्जिकल 2 - 26 - 24आईसीयू - 9 - 1स्पेशल - 24 - 24प्राइवेट - 7 - 7टिटनेस - 8 - 1फीमेल वार्ड - 60 - 52 अन्य वार्ड - 60 - 53(फीमेल वार्ड में सर्जिकल, मेडिकल, आर्थो और आई वार्ड है.)(अन्य वार्ड में आईसीयू, इंसेफेलाइटिस, चिल्ड्रेन और मेल मेडिकल है.)