गोरखपुर. गोरखपुर यूनिवर्सिटी में सत्र 2019-20 के प्री-पीएचडी एग्जाम के दौरान कई स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी एडमिनिस्टे्रशन की ओर से पेपर का प्रारूप बदलने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को जमकर हंगामा किया. स्टूडेंट्स ने सिर्फ हंगामा ही नहीं किया. बल्कि कई ने एग्जाम का बहिष्कार कर दिया. आरोप है कि एग्जाम के दौरान हंगामा कर रहे स्टूडेंट्स ने 100 से अधिक अन्य स्टूडेंट्स की उत्तरपुस्तिका फाड़ दीं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। डीडीयू एडमिनिस्ट्रेशन ने इस मामले में उन स्टूडेंट्स को निष्कासित करने और एफआईआर दर्ज कराने का निर्णय लिया है। प्री-पीएचडी का कोर्स वर्क छह महीने में ही पूरा हो जाता है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते सत्र 2019-20 के स्टूडेंट्स का एग्जाम ढाई साल बाद भी नहीं हो सका था। इसे लेकर स्टूडेंट लगातार आंदोलित थे। इस बीच डीडीयू प्रशासन की ओर से 7 और 9 जनवरी को उनके एग्जाम कराने का निर्णय लिया गया था। स्टूडेंट्स को आश्वासन दिया गया था कि जितना सिलेबस पढ़ाया गया है, उसी के अनुरूप एग्जाम होगा। 7 जनवरी को दीक्षा भवन में दोपहर 1 से 4 बजे तक रिसर्च मेथोडोलॉजी का पेपर था। प्रश्नपत्र हाथ में मिलते ही कुछ स्टूडेंट एग्जाम कक्ष से हंगामा करते हुए


बाहर निकल आए। उनका आरोप था कि जिस प्रारूप के अनुसार एग्जाम कराए जाने का आश्वासन दिया गया था। उसके विपरीत दूसरे प्रारूप में एग्जाम कराया जा रहा है। इन पर है आरोप डीडीयू प्रशासन के मुताबिक एग्जाम में व्यवधान उत्पन्न करने और उत्तर पुस्तिका फाडऩे वालों में मंदीप राय, कमलकान्त राव, राधा विश्वकर्र्मा, अन्नू जायसवाल, कृतिका सिंह, रामभरोसे तिवारी, राजन दुबे, अमन यादव, सुधीर मद्धेशिया, अंजली पाण्डेय, राजन विश्वकर्मा, प्रशान्त मौर्या, आनन्द मिश्रा, श्वेता पाण्डेय, दीप्ति, अर्चना, प्रियंका आदि शामिल रहे।

केन्द्राध्यक्ष ने अपनी रिपोर्ट में ये कहा केंद्राध्यक्ष प्रो। एसके सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एग्जाम प्रारम्भ होने के बाद करीब 10-15 शोध स्टूडेंट ने एग्जाम का बहिष्कार किया तो उनको बाहर जाने की अनुमति दे दी गई, लेकिन उन्होंने सभी एग्जाम कक्षों में जाकर एग्जाम बाधित किया। उसके बाद भी लगभग 95 प्रतिशित स्टूडेंट शालीनतापूर्वक एग्जाम दे रहे थे। केन्द्राध्यक्ष ने सभी कक्ष निरीक्षकों को आदेश दिया है कि जो स्टूडेंट्स एग्जाम दे रहे हैं। उन्हें बाधा न आए, यह सुनिश्चित करें। कुछ समय बाद केन्द्राध्यक्ष के कमरे में स्टूडेंट्स जबरन घुसकर गोपनीय कागजात को फाड़ते हुए तोड़-फोड़ भी करने लगे तथा पूरे कमरे में कागजात को बिखेर दिया। जो स्टूडेंट एग्जाम दे रहे थे, उनके प्रश्न-पत्रों और ओएमआर शीट को जबरदस्ती छीनकर फाडऩे लगे तथा कुछ कक्ष निरीक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार भी किया, जिसमें महिला शिक्षक भी थीं। इस तरह से लगभग 100-150 स्टूडेंट्स की कापियां फाड़ दीं।नोटिफिकेशन के मुताबिक ही था फॉर्मेट यूनिवर्सिटी एडमिनिस्टे्रशन ने कहा है कि एग्जाम का फॉर्मेट वैसा ही था, जैसा पहले नोटिफाई किया गया था। प्रथम प्रश्नपत्र रिसर्च मेथोडोलॉजी का 65 अंक का था, जिसमें 20 अंक

का सब्जेक्टिव पेपर तथा 45 अंक का ऑब्जेक्टिव पेपर था। सब्जेक्टिव प्रश्न यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों द्वारा ही तैयार किया गया था। जबकि ऑब्जेक्टिव प्रश्न परीक्षकों द्वारा तैयार किया गया था। प्रश्नपत्र पढ़ाये गए सिलेबस में से ही दिया गया था। जिनकी उत्तरपुस्तिका फटीं, उन पर निर्णय आज मीडिया प्रभारी महेन्द्र सिंह ने बताया, जिन एग्जामर्थियों की उत्तरपुस्तिका फाड़ी गई हैं। उन पर निर्णय शनिवार को यूनिवर्सिटी एडमिनिस्टे्रशन की मीटिंग में लिया जाएगा। फिलहाल पूरा फोकस 9 जनवरी की कम्प्यूटर अप्लीकेशन की एग्जाम सकुशल संपन्न कराए जाने पर है। मंडलायुक्त को सौंपा ज्ञापन एग्जाम का बहिष्कार करने वाले स्टूडेंट्स ने डीडीयू के मुख्य द्वार पर मंडलायुक्त को संबोधित ज्ञापन अपर नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रथम प्रश्न पत्र का एग्जाम 45 नंबर का होना था, लेकिन प्रारूप के विपरीत 45 नंबर का बहुविकल्पीय और 20 नंबर का लिखित एग्जाम का पेपर दिया गया। 45 नंबर का पेपर उनके सिलेबस के बाहर से पूछा गया था। इसीलिए स्टूडेंट एग्जाम का बहिष्कार कर कक्ष से बाहर चले गए। अभाविप का प्रदर्शन आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में 8 जनवरी से सुबह 11 बजे से प्रशासनिक भवन पर प्रदर्शन किया जाएगा। मीडिया संयोजक
अनुराग मिश्र ने बताया कि प्री पीएचडी एग्जाम में सिलेबस के अनुरूप प्रश्न न होने और शांतिपूर्ण तरीके से एग्जामर्थियों द्वारा दी जा रही एग्जाम के दौरान व्यवधान उत्पन्न किए जाने के विरोध में प्रदर्शन होगा। संगठन के सदस्यों से उन्होंने समय पर पहुंचने की अपील की है।

Posted By: Inextlive