- ऑनलाइन पढ़ाई में भी बच्चों में हो रहा कॉम्प्टीशन

- अब मोबाइल छोड़ बच्चे भी कर रहे लैपटाप से पढ़ने की जिद

- बच्चों की डिमांड से पेरेंट्स परेशान

केस-1

लैपटॉप बना झगड़े का कारण

विकास नगर कालोनी में रहने वाले अभिषेक सिंह बताते हैं कि उनका बेटा आकाश 5वीं में पढ़ता है। स्कूल बंद हुए तो इसके बाद उसकी ऑनलाइन क्लास शुरू हो गई। एक मोबाइल उसके लिए स्पेशली ले रखा है ताकि उसकी पढ़ाई में बाधा ना आए। ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान उसका एक दोस्त लैपटॉप से पढ़ता है। दोनों हमेशा कॉल करके एक-दूसरे बात भी करते रहते हैं। जबसे उसको लैपटॉप से पढ़ता देखा है उसने भी जिद मचाई हुई है। रोज लैपटॉप खरीदने की जिद करता था तो मैं भी लेता आया। जैसा कि घर में दो बच्चे हैं। अब घर में ही लैपटॉप के लिए दोनों भाई भिड़ जाते हैं। ऐसे में मैं क्या-क्या डिमांड पूरी करूं ये सोचकर परेशान हो जाता हूं।

केस-2

बच्चे के लिए बने पेरेंट्स चाइनीज

बेतियाहाता इलाके में रहने वाले राघवेन्द्र का एक बेटा 6वीं क्लास में तो बेटी पांचवीं में पढ़ती है। दोनों ही बच्चे चाइनीज डिश के बहुत शौकीन है। स्कूल जाते थे तो डेली बरगर, चाउमीन और मोमोज का चटकारा लगाते थे। जब से स्कूल बंद हुआ वे बाहर का सामान खाने के लिए परेशान हैं। ऐसे में सबसे अधिक परेशान राघवेन्द्र की पत्नी अनिता को होना पड़ता है। राघवेन्द्र बताते हैं कि बच्चे की जिद के आगे हम दोनों पति पत्नी को खुद चाइनीज बनना पड़ा। डेली घर पर मोमोज, चाउमीन और पिज्जा यू-ट्यूब पर रेसिपी देखकर बनाते हैं ताकि बच्चे खुश रहें। बच्चों पर चाइनीज डिश का भूत सवार रहता है।

घूमने जाने की जिद करते हैं बच्चे

बिलंदपुर इलाके में रहने वाले राकेश श्रीवास्तव के घर चार बच्चे हैं। दो राकेश के और दो बच्चे उनके छोटे भाई दीपेश के हैं। जब से स्कूल बंद हुआ है तभी से सभी बच्चे घर में कैद हैं। इस हाल में बच्चे बाहर नहीं जा पा रहे है ना ही कॉलोनी के पार्क में उन्हें खेलने की परमिशन मिल पा रही है। इस हाल में बच्चे डेली पेरेंट्स से जिद करते हैं कि उन्हें बाहर जाकर खेलना है। उन्हें कोरोना के बारे में बताओ तो बच्चे कहते हैं कि आपलोग जब मन करता है तब चले जाते हैं हम लोगों को घर में डराकर रखे हुए हैं। इस हाल में बच्चों के साथ-साथ डेली घर में ही दोनों भाई खेलते हैं। राकेश ने कहा कि बच्चों के साथ डेली खेलता हूं लेकिन उनकी बाहर जाने की डिमांड मैं नहीं पूरी कर सकता हूं। घर पर बच्चे तरह-तरह की डिमांड करते रहते हैं।

ये तो केवल तीन केस हैं। इस समय कोरोना की चुनौती से निपटना एक बड़ा टास्क है। वहीं दूसरी तरफ बच्चों को घर पर संभालना और उन्हें समझा पाना हर पेरेंट्स के लिए परेशानी का सबब बन गया है। मां को शेफ बनना पड़ा है तो पापा को काम से लौटने के बाद भी आराम का मौका नहीं मिल पा रहा है। ऑफिस से बचे टाइम में बच्चों को एंटरटेन करना पेरेंट्स के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पेरेंट्स का कहना है कि दिन भर मोबाइल यूज करने बच्चे इतना अजीब क्वेश्चन करते हैं कि उनका बार-बार आंसर दे पाना भी संभव नहीं हो पाता है। उनका कहना है कि कभी कभी तो इतने सवाल बच्चों के मुंह से सुनकर बहुत गुस्सा आने लगता है।

खाना खिलाने के लिए टीचर्स की मदद

पेरेंट्स का कहना है कि बच्चों के दिल में अब घर वालों का डर नहीं रह गया है। अभी भी जो थोड़ा बहुत डर बचा है वो केवल क्लास टीचर का है। राघवेन्द्र कहते हैं कि कई बार तो टीचर का नाम बताकर बच्चा खाना खा लेता है। कई बार ऐसा भी होता है कि टीचर को वाट्सएप कॉल करनी पड़ती है। ऐसे में टीचर को भी परेशान करना पड़ता है।

सीबीएसई स्कूल- 119

आईसीएससीई स्कूल-17

यूपी बोर्ड स्कूल- 489

शहर में वार्ड की संख्या- 70

शहर की जनसंख्या- 9 लाख से अधिक

Posted By: Inextlive