पढ़ाई से दूर 75 परसेंट बच्चे
-बेसिक स्कूलों में केवल 25 परसेंट बच्चे ही कर रहे ऑनलाइन पढ़ाई
-टीचर की लाख कोशिश के बाद भी नहीं जुड़ पा रहे बच्चे -आठवीं पास करने बच्चों ने नहीं लिया 9 में एडमिशन गवर्नमेंट के प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूल का उदे्दश्य हर घर तक एजुकेशन पहुंचाना था। लेकिन कोरोना काल ने इस अभियान पर ब्रेक लगा दिया है। पिछले साल तक बेसिक स्कूल भी इंग्लिश मीडियम स्कूल की तरह स्मार्ट बने तो उसमे बच्चे भी तेजी बढ़ने लगे। कोरोना काल में प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में भले ही 250-300 नाम रजिस्टर्ड हैं लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में केवल 25 परसेंट बच्चे ही अपना इंट्रेस्ट दिखा रहे हैं। बाकी बच्चे टीचर की लाख कोशिश के बाद भी पढ़ाई से दूरी बनाए हुए हैं। सितंबर में भी बंद रहेंगे स्कूलअभी तक टीचर ये मानकर चल रहे थे कि सितंबर माह में स्कूल खुलेंगे तो बच्चों पर मेहनत कर उनका कोर्स पूरा करा लेंगे। लेकिन सितंबर में भी स्कूल बंद रहेंगे। इसको देखते हुए सरकारी और प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई के संसाधनों को जुटा कर लाइव क्लास कराने में जुट गए हैं। सभी स्कूलों को मानना है कि अब ऑनलाइन पढ़ाई ही एक आप्शन है इसको मजबूत करने की जरूरत है।
बच्चों के पास नहीं है मोबाइलगोरखपुर में प्राइमरी और जूनियर मिलाकर 3134 स्कूल है। जहां पर कुल 1,80000 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। कोरोना काल के बाद इन स्कूलों में भी टीचर्स ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की। लेकिन सभी बच्चों के ना जुड़ने से टीचर मेहनत पर पानी फिर गया। डेली टीचर वाट्सएप गु्रप पर ऑडियो और वीडियो डालते हैं, लेकिन उसका जवाब बहुत ही कम बच्चे देते हैं। टीचर्स ने अभिभावकों से भी सम्पर्क किया तो पता चला कि अधिकतर के पास एंड्रॉयड मोबाइल ही नहीं है।
114 बच्चे, क्लास कर रहे केवल 5 सिटी के अलहदादपुर के पूर्व माध्यमिक स्कूल की टीचर सरिता दुबे ने बताया कि उनके स्कूल में प्राइमरी में 75 और जूनियर में 36 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। कोरोना काल में जब ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की तो केवल 5 बच्चे ही जुड़ पाए। सरिता ने बताया कि बच्चों के गार्जियन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके पास ना तो अच्छा मोबाइल है ना ही रोज नेट डलवाने के लिए पैसा है। 60 बच्चों को जोड़ने में हुए कामयाबइसी तरह अराजी बसडीला के प्राइमरी स्कूल के टीचर आशुतोष सिंह ने बताया कि उनके स्कूल में 211 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। जबकि ऑनलाइन क्लास में बहुत दौड़ भाग और गार्जियन को समझाने के बाद 60 बच्चों को जोड़ने में कामयाबी मिली है। लेकिन उसमें भी सभी बच्चे वाट्सएप गु्रप पर रिप्लाई नहीं देते हैं। इसी तरह हाइटेक मॉडल जूनियर स्कूल पिपरौली की टीचर प्रीति पाल ने बताया कि उनके स्कूल में 270 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। उन्होंने बताया कि काफी प्रयास करने के बाद सौ बच्चों को वाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया। लेकिन केवल 30-40 बच्चे ही रिप्लाई देते हैं। बाकी बच्चे इंट्रेस्ट नहीं दिखाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल और नेट रिचार्ज के लिए पैसे ना होना है।
बॉक्स- आठ में ही रह जाएंगे बच्चे सभी स्कूलों से बात करने के बाद एक और हैरान करने वाली बात सामने आई है। जूनियर हाई स्कूल में 8 वीं पास कर चुके बच्चे अभी तक स्कूल से अपनी मार्कशीट और टीसी लेने नहीं पहुंचे हैं। रजिस्टर में भी अभी तक ये 8 वीं क्लास के स्टूडेंट बने हुए हैं। इसका मतलब ये है कि इस बार ये बच्चे 9 वीं क्लास में किसी स्कूल में दाखिला नहीं ले रहे हैं। ये आठवीं क्लास में ही रह जाएंगे। स्कूल -3134 बच्चे-1,80000 टीचर-7400 अनुदेशक- 580 शिक्षामित्र-3300 वर्जन-स्कूल में टीचर और हम लोग बच्चों को जोड़ने में लगे हुए हैं। अधिकतर बच्चों के पास संसाधन ही नहीं है इसलिए वे ऑनलाइन जुड़ने में सक्षम नहीं है। इसके लिए हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं।
बीएन सिंह, बीएसए